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कत्ले गारत 8

31 दिसम्बर 2022

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गांव के लोगों की खासियत होती है- वह जो थोड़े में संतुष्ट हो जाते हैं। वह नहीं सोचते कि वह कार पर चले। वे यह नहीं सोचते कि बहुत बड़ा बंगला बने, वे नहीं सोचते कि बहुत बड़ी कोठी हो ।बस दो वक्त की रोटी बीवी बच्चों का प्यार ।बच्चों  का मुस्कुराता चेहरा देखकर- खेतों के लहलहते धान और गेहूं को देखकर- अपने फसलों को देखकर -किसान खुश हो जाता है। किसान की खुशी उनकी बच्चों की मुस्कान और खेतों के लहलाते  फसल होते है।

बला उनके सर से टल गई थी ।इंडस्ट्री वाली बात कही पंच सी गई थी। गांव वालों किसान चाहते  तो यही थी।
वो रात बड़ी भयानक रात थी। गांव में   खाना पीना खाने के बाद 9:00 बजे तक सभी सो जाते हैं। जो इतने दुखी होते हैं जो पढ़ाई करते हैं। वही थोड़ी देर तक जागकर रहते हैं। अन्यथा सारे थके हारे किसान 9:00 बजे तक सभी सो जाते हैं। करीब 10:00 बजे के बाद सारा गांव ऐसा हो जाता है, जैसे अंधकार में डूब गया हो। पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ वह गांव ,बड़ा खूबसूरत गांव ।रात के अंधेरे में उस दिन डूबा हुआ था।
जिस दिन कत्ले गारत  हुई ।जिस दिन जलजला आया -उस दिन भी सारा गांव सो चुका था। कि  किसी को पता भी नहीं था। कि आगे क्या होने वाला है ।आज की रात क्या होने वाला है ।हम भी सो चुके थे। बेफिक्र रोज की तरह।
अचानक कहीं गाड़ियां आई। चारों ओर से सड़कों से घिरा हुआ गांव, चारों ओर से गाड़ियों से घिर चुका था। उस समय यह किसी को पहचान में नहीं आया कि किसके गाड़ियों से गांव गिरा हुआ था?
बड़ी-बड़ी गाड़ियों में कौन लोग आए थे? क्या वह सरकारी नुमाइंदे थे? या फिर सर इंडस्ट्रियलिस्ट लोगों लोगों ने उस गांव को तहस-नहस करने के लिए, गुंडों की फौज भाड़े पर ले आए थे!
अचानक यूं लगा जैसे गर्मी बढ़ गई हो। यूं लगा जैसे घर के अंदर ही आग घुस गया हो! अचानक यूं लगा जैसे अंदर ही ज्वालामुखी फूट पड़ा हो।
मेरे बाबा अचानक चीख पड़े। आग ..आग.. आग ..आग । और सारे लोग गांव के लोगों में हाहाकार मच गई। बाबा आग में झुलस चुके थे। मैं बाबा बाबा मां मा चीखता  रहा ।लेकिन पता नहीं आगने मेरे को क्यों नहीं पकड़ा। मैं न जाने क्यों कर बच गया। बाबा और मां चीखते रहे।
 आग !भाग जा निकल जा। भाग जा निकल जा ।
मां भी चीख  रही थी। मैं उनको बचा नहीं पा रहा था। बाबा बोले भाग जा। भाग जा। अग्नी भाग जा। अग्नि भाग जा तू। यहां से भाग जा।

 मेरा ध्यान उस समय अचानक मेरे घोड़े की ओर गई। उस दिन गलती से मैं थकान की वजह से घोड़े के पीठ से रकांब उतार ना भूल गया था। और उस वक्त की वह मेरी भूल मेरे काम आ गई थी।
 मैंने घोड़े को और बकरियों को भी खोल दिया । मगर घोड़े  पे सवार होकर मैं घोड़ा जिधर ले आया  उधर की और ही भगता रह  गया।
मैंने महसूस किया। जो भाग रहे थे ।बाहर जो गुंडे खड़े थे गांव के बाहर होने मार-मार कर आग मे धकेल रहे थे। मगर मैं घोड़े में सवार होने की वजह से मेरे पीछे भी कई घुड़सवार पीछा करते रहे। मगर मेरे बहुत दूर निकल जाने के बाद वह मेरे पीछे आना छोड़ दिए थे। शायद।
ऐसा मेरा अनुमान था। इसके अलावा वहां क्या घटना घटित हुई है? मुझे और कुछ नहीं मालूम था!
मेरा गांव तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ था। और एक और से रास्ता निकलता था नदी पहाडो की तलहटी तलहटी से होती हुई गांव का चक्कर लगाती हुई बाहर निकल जाती थी।
रास्ता भी नदी के साथ-साथ ही बाहर निकलती थी। बीच में कई रास्ते थे गांव के अंदर आने जाने के लिए।
रास्ता जो निकलता था वह पूरब की ओर निकलता था। पहाड़ों में जाने के लिए नदी और पार रास्ते के बीच में कई पुलें बनाई गई थी।
कई लोग जो बचकर निकले होंगे वह पहाड़ी की ओर चले गए होंगे कई लोग निकले होंगे जो पश्चिम की ओर भी निकल गए होंगे लेकिन मेरे घोड़े ने रास्ता रास्ता बिल्कुल पूरब की ओर दौड़ा दिया था।
गांव में हाहाकार मच गया था ।उन लोगों की जलने की बदबू सी आ गई थी ।मवेशियों की शरीर जल गई थी ।मकाने धूधू करके जल रही थी। ऐसा लग रहा था। जैसे पहाड़ों के बीच में अचानक सूरज आ गिर हो। पूरा गांव आग का गोला सा दिख रहा था।
 मैं  मां! मां! रो ता राहा बाबा! बाबा! रोता राहा और भागता राहा।
मैं भाग तो रहा था! और रो भी  रहा था। मेरी अंतर आत्मा  मुझे कचोट रही थी।
 मगर मैं क्या करता? मैं कुछ नहीं कर सकता था? और मेरे पीछे मुझे पकड़ने के लिए या मुझे मारने के लिए 2,3 घुड़सवार भागे थे।
 क्या वह मुझे मारने के लिए भागे थे ?
या फिर वह मेरे गांव के ही लोग थे! जो बचके  मेरे पीछे पीछे भागे थे? मैं बहुत दूर निकल गया था!
मुझे कुछ समझ नहीं आया था। भागने के सिवा। मैं सिर्फ भागे ही जा रहा था।
मैंने अपनी आंखों से मां बाबा को जलकर मरते देखा था। गांव के कई लोग थे जो इस तरीके से झुलस झुलस कर मर गए थे ।200 मकानों का  गांव था। 200 मकानों में कम से कम 700 लोग होंगे।
 700 लोगों में मुश्किल से कुछ लोग भाग पाए होंगे। वरना सभी वही जल भुन गया होंगे! इतना बड़ा हादसा इतना बड़ा कत्ले गारत और क्या हो सकता था?दुश्मन  आग बन के टूट पड़े थे। दुश्मनों ने  सोते वक्त घर जलाया  था।

 सिर्फ जलाया नहीं गया था। उनके घरों पर पेट्रोल डाला गया था। उनके घरों में ज्वलनशील पदार्थों से पहले भिगोकर आग लगाई गई थी। और भाग न पाए इसलिए गुंडे भी लाए गए थे।
कई भागते लोगों को भी पकड़ पकड़ कर उन्होंने जान से मार डाला फिर उसी आग में झोक दिया।
कई जिंदगियां तबाह कर दी ।बूढ़े बच्चे औरत मर्द किसी को नहीं छोड़ा। 2,4 मुश्किल से एक मेरी तरफ भाग खड़े हुए होंगे। दो चार ही लोग बच पाए होंगे ।वह भी नजरें बचाकर जो भाग गए भाग गए। क्योंकि, उस वक्त किसी को इस बात का भी इल्म नहीं था। कि कोई इस तरीके से उनके घरों में पेट्रोल छिड़ककर पेट्रोल डालकर आग लगा देगा। और निकलने वालों का कत्ल करके उसी आग में झोंक देगा।

वह मौत मंजर भयानक था। चारों ओर चीख पुकार । 200 मकानों को एक साथ जब कोई जला देता है। उसमें जल रहे इंसानों की हालत क्या तो सकती है? हम कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति को मैंने भुगतना पड़ा। निकलना पड़ा मुझे।
इस बात ही कल्पना भी करता हूं ,तो मेरे अंदर  कमीनो को नेस्तनाबूद करने के लिए मेरा दिल तड़प उठता है। उन्हें उसी तरह ही तबाह करने के लिए मैं तड़प रहा था।

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रचनाएँ
कत्ले गारत
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बदले और खून से सनी खूनी सफर सफर का इतिहास है ।जिसे हम कत्ले गारत का नाम देकर यहां प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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कत्ले गारत 1

28 दिसम्बर 2022
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यह उपन्यास काल्पनिक है ।जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं ।या फिर किसी वास्तविक व्यक्ति या समुदाय को चोट पहुंचाने के लिए कतई लिखी गई नहीं है। &n

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कत्ले गारत 2

28 दिसम्बर 2022
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अब मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा था। हवा में ठंडक बढ़ चुकी थी। हवा इतनी ठंड थी। कि ठिठुरन सी हो रही थी ।मगर यह ठिठुरन भी उस कत्ले गारत से कई गुना अच्छी थी। मैं खौफ़ के साऐ से बहुत दू

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29 दिसम्बर 2022
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आसमान की ओर मैंने नजरें उठाकर देखा। क्षितिज में मुझे कहीं लाली सी ऊभरती दिखी। ऐसा लग रहा था। कुछ देर में उजाला होने वाला ही था। इसीलिए भी वह छोटी सी नदी मुझे साफ सी नजर आ रही थी।मैं भागते -भागते आसमान

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कत्ले गारत 4

29 दिसम्बर 2022
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जब वह गांव वाला अपने हाथों में गिलास जैसा कुछ सामान लेकर आया था ।वह छोटा सा लौटा था ।और उसने बैटते ही पूछा -क्या तुम लाओ पानी खाओगे?मैं समझ गया था लाव पानी एक तरह की शराब होती है। जो चावल से बनती है ।

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कत्ले गारत 5

30 दिसम्बर 2022
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मैंने अपने घोड़े का रकाब निकाल कर, उसे चरने के लिए छोड़ दिया था। और पीठ थपथपाता हुआ मैंने उससे बोला -जब तक मैं सो लेता हूं !तू चरके जल्दी ही यहीं पर आ जाना ।समझ गया। घोड़े ने सर हिलाया जैसे कि उसने सा

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कत्ले गारत 6

30 दिसम्बर 2022
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घर पर कई काम हो सकते थे। जानवर पाल रखे हो तो जानवर के लिए ।चराना चलाना आदि काम रखरखाव का काम हो सकता था। गाय भैंस हो तो इसको रखरखाव के लिए उससे दूध दुहने के लिए, उसको पानी सानी करने के लिए

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कत्ले गारत 7

31 दिसम्बर 2022
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टेंडर किसी व्यापारी के नाम पर छूट चुका था। व्यापारी क्या वह अपने आप को बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट समझता था। वह चाहता था। किसी तरह भी इस गांव को खाली कर दिया जाए ।क्योंकि ,उस गांव से ही होकर वह रास्ता प

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कत्ले गारत 8

31 दिसम्बर 2022
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1 जनवरी 2023
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शायद कुछ साल यूं ही गुजर ग्ए थे। इस घर ने इस गांव में मुझे अपनापन और प्यार मोहब्बत मिला था। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है। इस बात को लेकर मुझे किसी से शिकायत नहीं है।इन्होंने मुझे इतना मो

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कत्ले गारत 10

1 जनवरी 2023
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मैंने पढ़ाई अपने कबीले की स्कूल में थोड़ी बहुत की थी ।जिसे पढ़ाई कह नहीं सकते थे।इस गांव में आने के बाद ,मैंने गांव में छोटे-छोटे बच्चों को जितना आता था। पढ़ाने की कोशिश की थी।हिंदी इंग्लिश की अक

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कत्ले गारत 11

2 जनवरी 2023
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मेरी जिंदगी में सिर्फ एक ही लक्ष्य बचा हुआ था। और वो लक्ष्य था किसी तरह भी उन खूनियों का खात्मा करना। क्योंकि मुझे पता था। कि यह सारा सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत में हुई थी। इसलिए कानून का सहारा लेना

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कत्ले गारत 12

2 जनवरी 2023
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अब बापी भी बड़ी हो चुकी थी। 10:11 साल की हो चुकी थी। दीदी के गोद में दूसरा एक बच्चा भी आ चुका था। उसकी भी उम्र अभी 4 साल की हो चुकी थी। मैं अग्निपुत्र- इस परिवार का एक अभिन्न अंग बन चुका था ।परिवार का

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कत्ले गारत 13

3 जनवरी 2023
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यह वक्त नहीं था। कि मैं पंडित जी के साथ जाउं। गांव पहुंच कर खोजबीन करूं! जहां गांव के बारे में गांव की आबादी के बारे में नोटेड होता है ।क्योंकि ,अभी हम पुष्पलता के इलाज के लिए आए हुए थे। और जरूरी था,

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कत्ले गारत 14

3 जनवरी 2023
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आज शहर में आए हुए तीसरा दिन था। पुष्प लता लगभग ठीक हो गई थी। मेरे इकरारेईश्क के बाद उसका बुखार धीरे-धीरे कमता चला गया था। या यूं कहें कि दोनों की एकरार के बाद बुखार लगभग उसी, समय कम हो गया था।मु

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कत्ले गारत 15

4 जनवरी 2023
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पुष्पा को समझ आ चुका था। जिंदगी के बारे में। पुष्पा को इस बात की समझ आ गई थी। जो जिंदगी में जीने के लिए पैसे की भी जरूरत होगी। जो मैं शहर जाकर ही कमा सकता था। गांव में रहकर तो हम सिर्फ खा पी सकते थे।

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कत्ले गारत 16

4 जनवरी 2023
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मैं जिस रास्ते से इस गांव में आया था। उसी रास्ते से ही मुझे लौटना था। इतने सालों के बाद भी मैं वो रास्ता कभी भूल नहीं पाया था। वह नदी पार करना ,नदी पार करके फिर इस गांव में आना ,जब मैं कभी भूला नहीं प

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कत्ले गारत 17

6 जनवरी 2023
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वे चार लोग थे ।और मैं उनके बीच में एक अकेला लेटा हुआ था। और मेरी नींद को देखते हुए उन लोगों ने जागाने के लिए एक ने मुझे छू करा आवाज लगाया था।उनकी आवाजों से मेरी आंखें खुल गई थी। मैंने नजर इधर-उधर घुमा

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कत्ले गारत 18

7 जनवरी 2023
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मुझे पता था ।मेरा रास्ता आसान नहीं था। मुझे यह भी पता था। जिन चार लोगों पर मैंने हमला किया था। वह लोग यकीनन कोई न कोई मेरे पीछे आने वाले थे। उन के मुताबिक वह सिर्फ चार नहीं थे ।पूरा कुनबा था। उन

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कत्ले गारत 19

8 जनवरी 2023
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बीच में आए इन सब लोगों से मैं खुद को बचाना चाहता था।। मेरा मकसद अपने गांव तक पहुंचना था। यह देखना था ,उस कत्ले गारत में कोई बचा तो नहीं ।या यह जानना था -कि कत्ले गारत के बाद वहां इंडस्ट्री बसा है

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कत्ले गारत 20

8 जनवरी 2023
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मुझे बहुत आगे निकलना था। वक्त बहुत जाया हो चुका था।मैंने आसमान की ओर देखा। सूरज क्षितिज पे कहीं छुपने की तैयारी कर रहा था। मुझे अपने गांव आगे बढ़ना था। और रात के रुकने की व्यवस्था भी करना था। मेरा घोड

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कत्ले गारत 21

10 जनवरी 2023
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मकान के बाहर सारागांव जमा हो गया था। सारा गांव ही एक कुनबा था। गांव के लोग में एकता थी एक स्वर बद्धता थी ।जो वहां जमा होने पर दिखती थी।गांव के बड़े बुजुर्ग की आंखों में आंसू थे। बच्चे भूल से गए थे। उस

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कत्ले गारत 22

11 जनवरी 2023
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उन के अंदर की ज्वाला को मैंने भड़काने की कोशिश की। उनके अंदर की ज्वाला शायद शांत हो चुकी थी ।या कुछ न कर पाने की वजह से वह चुपचाप हो गए थे।शायद वह नहीं चाहते थे ,कि जो बचे खुचे हैं, उनको कोई नुकसान पह

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कत्ले गारत 23

13 जनवरी 2023
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मुझे अब भटकने की जरूरत नहीं थी। गांव वालों को पता था । वह पुराना गांव हमारा कहां पर है.. किस रास्ते से वहां पर जा सकते हैं!मैं अकेला ही उस ओर जाने के लिए तैयार था। मैं सबसे पहले उस धरती का दर्शन चाहता

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कत्ले गारत 24

14 जनवरी 2023
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जब मेरी आंखें खुली, चट्टानों में बैठे-बैठे मुझे नशा सा छा गया था। जिसकी वजह से मैं वहीं पर लुढ़क गया था। करीब चार-पांच घंटे यूं ही मैं बेहोश सा पड़ा रहा। जब मेरे घोड़े ने मुझे

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कात्ले गारत 25

17 जनवरी 2023
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मैं पानी पीकर और हाथ मुंह धो कर अपने गांव की ओर मुड़ा। चारों तरफ बाउंड्री लगी हुई, बीच में कोई इंडस्ट्री बसी हुई थी। बाउंड्री पत्थरों से दीवार बनाई गई थी इस पार से उस पार देख पाना मुमकिन नहीं था

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कत्ले गारत 26

18 जनवरी 2023
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मैं अपने गांव में था। जो अभी फिलहाल इंडस्ट्री में तब्दील हो गई थी। और मेरे अपने लोग यहां कोई नहीं था। मेरा अपना मकान भी नहीं था।मैंने गांव की मिट्टी को अपनी मुट्ठी में लिया दिल से लगा लिया। सच म

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कत्ले गारत 27

20 जनवरी 2023
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कामदारों से मुझे सिर्फ इतना ही पता चल सका था, कि वह अरबों पति लोग थे ।उनके पास पहुंचना मुश्किल काम था। मैं साइबर में बैठकर,इन लोगों का रिहायश, ऑफिस पता लगाना चाहता था। यूं तो वे लोग यहां भी

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कत्ले गारत 28

23 जनवरी 2023
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मार्गरेटा से टोपला बस्ती, ज्यादा दूर नहीं था। करीब 20 किलोमीटर का रास्ता था । ऑन द रोड।अगर मैं अपने घोड़े पर ही टोपला बस्ती पहुंचता तो, लोग यही समझते ,कि कोई बैंड बाजा बारात वाला ही होगा। जो किस

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कत्ले गारत 29

24 जनवरी 2023
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अंधेरी रात थी। आसमान में तारे चमक रहे थे। मगर टोपला बस्ती का यह एरिया ,रोशनी से जगमग आ रहा था। ऐसा लगता था जैसे आसमान के सारे तारे जमीन पर उतर आए हो। और कोठियों में जगमगा रहे हो।जहां मैं ठहरा था , रिस

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कत्ले गारत 30

25 जनवरी 2023
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मौसम इतना ठंडा नहीं था। फिर भी मैं अपने घोड़े को खुले छत में नहीं रख सकता था। रात को रुकने के लिए उसे भी छत चाहिए थी । घास चाहिए था ।और खाने के लिए दाना भी चाहिए था ।पानी भी चाहिए था। उसकी फिकर मुझे अ

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कत्ले गारत 31

29 जनवरी 2023
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अभिषेक ने जो कार्ड दिया था। उसमें सिर्फ उसका नाम और फोन नंबर लिखा हुआ था।और कहा था ।दो दिन बाद कॉल कर लेना। आज तीसरा दिन था। मैंने अभिषेक को कॉल किया था।अभिषेक निहायत ही शरीफ और ईमानदार शख्सियत था। और

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कत्ले गारत 32

30 जनवरी 2023
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मैंने ,अपने घोड़े को अस्तबल में ला के बांध दिया था। अस्तबल में घोड़े के लिए चारे की भी परेशानी नहीं थी।घोड़ा मवेशियों के साथ खुश रह सकता था। मैंने अपने कमरे की सफाई के लिए चाची को बोल दिया था। कमरा सा

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कत्ले गारत 33

31 जनवरी 2023
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कहते हैं - गुनाह कभी छुपता नहीं ।कभी न कभी गुनाह, नासूर बन के दिल को ,कचोटने लगती है।यह कुदरत का न्याय है। बदला लेने के लिए कुदरत ही तैयार करती है। मजलूम पर किया गया जुल्म कभी खाली नहीं जाता। उभ

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