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माँ

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जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जातीबस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो जा

जब हो मन उदास,जवाबों की हो तलाश, बिन पूछे ही प्रश्नो के उत्तर दे जाती है माँ | न जाने कैसे सब ,जान जाती है माँ ?मेरी हर परेशानी,आँखों से ही जान जाती,बस यही एक प्रश्न बेजवाब छोड़ जाती है माँ ,कि क्यों सब कुछपहचान जाती है माँ?भावनाओं पर हो प्रहार,या हो ज

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मां पर निछावर तु ने दुनिया को वार दी।. जन्नत उठाकर उसके कदमों में दाल दी।. फिकी लगे सब ये दुनिया की नियामत मां के बगैर।. अपना न कोई जहां मे लगते है सारे गैर मां के बगैर ।. साये मे उसके सुकुने दिल था क्यु तु ने मेरी जन्नत उठा दी।क्या थी खता जो ऐसी सजा दी क्यु तु ने मेरी दुनिया लुटा दी।. मां पर निछावर

लाख गुजर जाए उस पर,पर वो छोड़ देती हैमैं कितना भी छुपाऊँ,मेरी आँखें पढ़ माँ बोल देती है।उसकी सिसकियों को लोग उसकी कमज़ोरी समझते हैंवो तोड़ती है खुदको,पर मुझे जोड़ देती है।तुमने तिनके उठाते तो देखा होगा चिड़ियाँ कोमाँ वो है जो तिनकों से घर को जोड़ देती है।मेरे जरा सी मेहनत पर मुझे गुरुर सा आ गयावो तो रोज़ कर

ज़िन्दगी ने किया एक मज़ाक,उस नन्हें नादान के साथ,राहें दर्द देती रहीं उसे,फिर भी वह चुप था| वो हसीं रिश्ता माँ-बेटे का,जिससे वह हमेशा वंचित रहा,ममता के लिए वो तड़पता रहा,फिर भी वह चुप था| पिता तो करते थे प्यार उसे,ले आये नयी

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लोग अपने घर में मौजूद भगवान रूपी माता-पिता को छोडक़र उन अदृश्य भगवान की खोज में तीर्थस्थलों पर मारे-मारे फिरते है. या अपने घर में मौजूद मॉ को दुखी छोडक़र पूरी रात मां का जाग

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दोस्तों घर पथ्तरों से बनता हैं ,लेकिन परिवार माँ-पिता से || हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए |हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,पर “माँ “अकेली ही काफी है बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!**********************@@*********************

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सभा में अफसरों से कहाँ की आप महिलाओं से धेर्य रखना सीख सकते हैं |लेकिन माँ का ऐसा जीवन होता है की हम भी अपनी माँ से बहुत कुछ सीख सकते हैं |जिनमें से कुछ प्रमुख बातों को आज हम इस लेख में जानेगें | सबको साथ लेकर चलना : हर कोई चाहता है की सब लोग उसे पसंद कर

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काश, मेरी भी माँ होती! मैं उसे अपनी माँ बुलाता।प्रेम जताता, प्यार लुटाता,चरण दबाता, हृदय लगाता,जब कहती मुझे बेटा अपना, जीवन शायद सफल हो जाता, काश, मेरी भी माँ होती! मैं उसे अपनी माँ बुलाता।मैं अनाथ बिन माँ के भटका, किसको अपनी मात् बताता,जब डर लगता इस दुनियाँ का, किस

है वो आज अकेली क्योंनों महीने रखा अपनी कोख में जिसने लगती है वो आज बोझ क्योंकाट कर अपना पेट, भरा पेट हमारा सो जाती आज, वो ख़ाली पेट क्योंआने नहीं देती थी हमारी आँखों में आँसुउसकी आँखों में रहते हैं आँसु, आज दिन रात क्यों जिसके बोल कभी लगते थे अमृत उसी के दो शब्द लगते

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वो चेहरा जो शक्ति था मेरी ,वो आवाज़ जो थी भरती ऊर्जा मुझमें , वो ऊँगली जो बढ़ी थी थाम आगे मैं , वो कदम जो साथ रहते थे हरदम, वो आँखें जो दिखाती रोशनी मुझको , वो चेहरा ख़ुशी में मेरी हँसता था , वो चेहरा दुखों

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अंतराष्ट्रीय मजदूर-दिवस (०१मई) के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभ-कामनाएँ एवं बधाइयाँ ....

मेरे कार्यालय में पानी के लिए बोरिंग हो रही थी तब मुझे "माँ" शब्द की महिमा एक और उदाहरण मिला।"माँ" शब्द की महिमा का बखान करने के लिए मेरा जीवन तो पर्याप्त नहीं है बस इतना कह सकता हु की "माँ" शब्द जोड़ते ही कोई भी महान हो जाता है। बोरिंग करते हुए एक के बाद एक कितने ही पाइप

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जब आंख खुली तो अम्‍मा कीगोदी का एक सहारा थाउसका नन्‍हा सा आंचल मुझकोभूमण्‍डल से प्‍यारा थाउसके चेहरे की झलक देखचेहरा फूलों सा खिलता थाउसके स्‍तन की एक बूंद सेमुझको जीवन मिलता थाहाथों से बालों को नोंचापैरों से खूब प्रहार कियाफिर भी उस मां ने पुचकाराहमको जी भर के प्‍

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नवरात्री में कलश स्थापना मुहूर्त और पूजन विधि नवरात्रि में नौ माता की पूजा के दौरान अनुष्ठान करने से पहले वर्षो से शांति कलश स्थापित navratri kalash sthapana muhurat करने का विधान है. हमारे प्राचीन शास्त्रो के अनुसार यह मान्यता है की कोई भी शुभ कार्य को शांति

मुन्नी ख़ुशी से उछल रही थी। माँ  ने आखिर आज उसकी गुलाबी फ्रॉक जो बना दी थी। बस इस्त्री होते ही पहन कर सारी सहेलियों को दिखा कर आएगी। पुरानी, पैबंद लगी फ्रॉक के लिए सब मज़ाक उड़ाते थे। अब कोई नहीं उड़ाएगा।  फ्रॉक इस्त्री हो गयी और मुन्नी उसको पहनकर इठलाती हुयी खेलने चली गयी। अगले दिन सुबह कचरे वाला गुलाब

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मत मारो मुझे मेरी माँमैं टुकड़ा तुम्हारा ही माँ ।मत मारो मुझे मेरी माँ ।खता क्या हमारी हमें भी बताओजीवन हमारा माँ यूँ न मिटाओ ,मैं साया हूँ तेरा ही माँ मत मारो मुझे मेरी माँ ।तू भी कभी थी हमारी तरह मैं हूँ मेरी माँ तुम्हारी तरह ,मैं पूरे करुँगी तेरे ख़्वाब माँमत मारो मुझे मेरी माँ ।दुनियां है कैसी ये

भारतीय राजनीति के रंगमंच मायावती जी लड़ाई अब माँ हैभाषा के विषय में निर्मला जोशी जी के बेहद खूबसूरत शब्द  'माता की ममता यही  , निर्मल गंगा नीर  इसका अर्चन कर गए तुलसी सूर कबीर ' आज भारत की राजनीति ने उस भाषा को जिस स्तर तक गिरा दिया है वह वाकई निंदनीय है। उत्तर प्रदेश   बीजेपी के वाइस प्रेसीडेन्ट दया

मां को खुशियाँ और सम्मान देने के लिए पूरी ज़िंदगी भी कम होती है। फिर भी विश्व में मां के सम्मान में मातृ दिवस मनाया जाता है।                                                  मां शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किसी शब्दों में नह

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