दिनांक: 05.2.2022
समय : शाम 7 बजे
प्रिय डायरी जी,
पहले हमारे माता-पिता कहा करते थे कि सरस्वती और लक्ष्मी कभी साथ नहीं आती। इसलिए गांव के मास्टर साब! हमेशा गरीब आदमी होते थे। लेकिन आज तो प्राथमिक शिक्षक का वेतन भी अच्छा खासा होता है और ट्यूशन की इनकम अलग। तो कह सकते हैं कि माँ सरस्वती लक्ष्मी माँ के साथ तो आती हैं, पर हमेशा लक्ष्मी माँ के साथ नहीं आतीं।
🎈आज बसन्त पंचमी भी है। सभी को बसंत पंचमी की बहुत शुभकामनाएं। 🙏🎈 सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी वजह से ज्ञान के उपासक सभी लोग वसंत पंचमी के दिन अपनी आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं।
मां सरस्वती को संगीत, कला, वाणी, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। मान्यता है इस दिन विद्या आरंभ करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। वसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है और दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के संपन्न किया जा सकता है। वसंत पंचमी के दिन विवाह करना बहुत ही शुभ माना जाता है इसी कारण से बड़ी संख्या में इस दिन विवाह कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं।
इसके अलावा वसंत पंचमी के दिन किसी नए काम का आरंभ करना शुभ माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन किसी नए व्यवसाय, गृह प्रवेश और शुभ कार्य आरंभ करने से सब मंगलमय होता है। आज मेरे एक सीनियर अधिकारी के नये घर का गृह प्रवेश था यानी house warming सेरेमनी थी। बहुत अच्छा घर है, देखकर आंखे चौन्धिया गई। उनके समकक्ष अधिकारियों के सीने पर सांप लोटता हुआ महसूस हुआ। खैर!
बसन्त पंचमी के दिन बचपन में मेरी मम्मी पीले चावल और बेसन के लड्डू बनाती थीं, हमे पीले कपड़े पहनने को देतीं थीं । और कुछ नहीं होता था तो एक पीला रुमाल ही दे देती थीं। पर आजकल बच्चे ये सब नहीं मानते।
माँ सरस्वती हम सभी पर ऐसे ही अपना वरदहस्त बनाये रखें।
गीता भदौरिया