दिनाँक: 15.02.2022
समय : रात 9 बजे
प्रिय डायरी जी,
चुनाव का मौसम खत्म होने की कगार पर है और साथ ही सर्दियां भी खत्म होने की कगार पर है। क्या है कि चुनावी एहसास वैसे ही लोगों के राजनीतिक जीवन में गर्मी भर देता है। इसलिए लगता है कि चूंकि चुनावी मौसम चरम सीमा पर है तो सर्दी की शीत लहर भी कम हो गया है और गर्मी आ गई है। दिन में तो आज इतनी गर्मी थी कि लोगों ने स्वेटर उतार दिए थे।
साथ ही एक और खुशखबरी! मुझे लगता है कि शायद कोरोना भी अपने आखिरी चरण में ही है और शायद यह उसकी अंतिम लहर हो। भगवान करे कि वह कभी भी वापस ना आए। तीसरी लहर आई पर बहुत ही राहत देने वाली रही, बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन फिर भी लोगों को सेहत का तो नुकसान हुआ ही है। पर फिर भी राहत की बात रही कि लोगों ने उससे रिकवर कर लिया।
बस दुख है तो इस बात का कि बैंक का इतना बड़ा घोटाला हुआ लेकिन नेताओं को उसकी कुछ भी चिंता नहीं है। उन्हें केवल अपने चुनावी गणित की चिंता है, वह जीतेंगे या हारेंगे। हर पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ताकि वह जीत सके क्योंकि इस चुनाव में हार जीत का गणित ही उनके आगामी आने वाले समय में आगामी पीढ़ियों के लिए धन की बारिश करेगा और संपत्तियां बनाएगा।
बैंकों के गणित का क्या है! बैंकों में तो गरीब लोगों का पैसा है, ब्याज भरते रहेंगे, टैक्स भुगतान करते रहेंगे, जीएसटी भरेंगे, डीजल - पेट्रोल महंगा खरीदेंगे, सीएनजी महंगी खरीदेंगे, पीएनजी महँगी खरीदेंगे और सरकार को टैक्स भरते रहेंगे। सरकार उस टैक्स का इस्तेमाल सड़क बनवाने में और गरीबों को राशन देने में करती रहेगी। मिडिल क्लास का क्या है? मिडिल क्लास का मतलब ही है बीच में पिसना, जिसके लिए आज तक किसी सरकार ने नहीं सोचा। और उम्मीद ही नहीं, पूरा विश्वास भी है कि आगे आने वाली सरकारें भी कभी भी मिडिल क्लास के लिए नहीं सोचेंगे।
अगर आपको ऐसा नहीं लगता तो कमेंट करके बताएं। मुझे तो ऐसा ही लगता है।
- गीता भदोरिया