दिनांक : 01 फरवरी, 2022
समय : शाम 7 बजे
प्रिय डायरी,
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा
कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।
सुबह 6:30 पर मैंने MH श्रद्धा चैनल पर मां वैष्णो देवी की आरती देखी। उसमे पुजारी जी ने आखिर में ये मंत्र सुनाया। इस मंत्र का मतलब है कि सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
प्रिय डायरी, तुम्हे पता है तुम कितने काम की हो। तुम सोच भी नही सकती कि हर मर्ज की, हर दर्द की दवा हो तुम। आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में किसे समय है कि वह दूसरे की सुने। वैसे सखी सुनाने वाले दिन भी अब लद गए। सुनाया तो हमारे जमाने मे जाता था, सुनने वाले के कान सुन्न पड जाते थे, और सुनाने वाले के दिल को चैन। अरे! मै तो मुद्दे से ही भटक गई।
तो सखी, मुद्दा ये है कि जब मन मे बहुत सी बांते भटकती, अटकती हैं और व्यक्ति किसी को बता नही पाता या किसी से कुछ कह नहीं पाता तब या तो उसका बीपी बढ़ता है या वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। जो व्यक्ति अपने मनोभावों को छुपाता है वह अंदर ही अंदर खोखला हो जाता है। इसलिए कभी भी अपने मनोभावों को बहुत दिनों तक दबा कर नही रखना चाहिये। जो मन मे आये व्यक्त कर दो, आप खुश रहेंगे और दूसरों को भी खुश रखेंगे।
अरे ! अरे! सखी इसका मतलब यह नहीं कि किसी को भी भला-बुरा कह दो। लेकिन अगर ऐसा करना ही चाहते हो तो एक डायरी बना लो और उसमें अपनी भावनाएं व्यक्त करो।
क्या कहा सखी, ये तो सोशल प्लेटफार्म है! हाँ, पर ये वर्चुअल वर्ल्ड है ना, डिजिटल डायरी! तो कोई तुम्हे जज नहीं करेगा। किसी को नही पड़ी कि वह तुम्हारे बारे में सोचे और कॉमेंट पास करे। चार आदमी क्या कहेंगे, गए वो दिन। है ना मजेदार! और राजदार भी! कितने लोग हैं जो अपने नाम से लिखते ही नहीं हैं और अपने मन की भावनाओं को डिजिटल डायरी पर उड़ेल भी देते है। डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को भी डॉक्टर यही सलाह देतें है कि अपने मन की बात शेयर करें या डायरी में लिखें। लेकिन सखी, यदि डायरी से बात ना बने तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं, डरें नहीं, अन्य बीमारियों की तरह ये भी एक बीमारी है बस।
भई! सुना है ना आपने, मन चंगा तो कठौती में गंगा। अथार्त अगर आपका मन स्वस्थ होगा, खुश होगा तो आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है, आपका घर और शब्द. इन का ये मंच ही पावन गंगा है। तो लगा डालिये एक डुबकी इस ज्ञान गंगा में और बन जाइए हिस्सा इसकी ज्ञानधारा का। मन के विकारों से मुक्ति ना मिले तो कहना।
स्वस्थ शरीर के अंदर ही स्वस्थ मन का वास होता है। जब आप खुश रहेंगे तभी शरीर भी स्वस्थ रहेगा, 'यू नो वाईस-वरसा'। तो आज से ही करो डायरी लिखकर अपने निरोगी जीवन की शुरुआत। डायरी लेखन के इस जबरदस्त आईडिया के लिए शब्द. इन के थिंक-टैंक को बधाई देती हूं।
मैं, एक हिंदी भाषा प्रेमी, और एक अच्छी पाठिका रही हूँ। हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा पर मेरी पकड़ बहुत अच्छी है, ऐसा मेरे आफिस के लोग मानते है। ऑफिस में चाहे हिंदी संगोष्टी का आयोजन हो, मंत्रीजी का आगमन हो या किसी प्रोजेक्ट का अनावरण हो, मंच संचालन का जिम्मा मेरा ही रहता है। लेकिन सोशल प्लेटफार्म पर आकर अपनी औकात समझ मे आई।😊
कई बार मैंने अपना ब्लॉग शुरू करने का भी सोचा और एक दो बार फ्री में एक वेबसाइट पर डिज़ाइन करके बनाया भी , लेकिन पाठक संख्या नहीं मिलने से बंद कर दिया।
सखी, आज भी कछुआ ही जीतता है। जो लोग रेगुलर लिखते रहे, बिना लाभ हानि की परवाह किये, वे आज मुझसे कहीं आगे हैं। इसलिए मैं सभी नए लेखकों को सलाह देना चाहूंगी कि जो काम शुरु करें उसमें रेगुलर रहें। अपने साथ के लेखकों की प्रगति देखकर निसंदेह मुझे बहुत खुशी होती है। हालांकि में खुद रेगुलर नहीं रह पाती क्योंकि घर , ऑफिस के अलावा भी मेरे पास कई व्यस्तताएँ हैं जो मेरे लेखन में बाधक हैं फिर भी मैं कोशिश पूरी करती हूँ।
सखी, मैं अपने फॉलोअर्स से एक बात कहना चाहूंगी। अगर किसी को आप फॉलो करते हैं तो उनको जरूर पढ़ें। क्योंकि हम लोग ही पाठक और लेखक हैं। आप पढेंगें और समीक्षा देंगे तभी तो लेखक के लेखन में सुधार आएगा। जब भी मुझे टाइम मिलता है, मैं कोशिश करती हूँ कि कम से कम 5 लेखकों को पढूं जिनको मैं फॉलो करती हूँ।
शब्द. इन निसंदेह एक अनमोल मंच है जहाँ हम सभी को इतने पाठक मिलते है। वर्ना आप अपना ब्लॉग बना कर देखिए, आप इम्प्रैशन/पाठक के लिए तरस जाएंगे।
इस पर होने वाली प्रतियोगिताएं लिखने के लिए प्रेरित करती रहती हैं। अच्छी बात है लेखकों में उत्साह रहता है। सभी कोशिश करें। क्या पता अगला नंबर किसका हो? आपका भी हो सकता है और मेरा भी। कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती।
सखी, हिंदी का बाजार बहुत बड़ा है बस मार्केटिंग स्ट्रेटेजी होनी चाहिए। अपने देश की बात छोड़िये अब तो बहुत से देशों में आप जाएंगे तो आप को लगेगा ही नहीं कि आप विदेश में है। नहीं! में लंदन और कनाडा की बात नहीं कर रही, वहां तो एक छोटा हिन्दुतान पहले से ही बसा है।
प्रिय सखी, एक बात और बोलनी थी। पाठकगण किसी की रचना पर जानबूझ नेगटिव कमेंट या 1 -2 स्टार ना दें। इससे लेखक की रेटिंग गिर जाती है और सबसे ज्यादा उसके मनोबल पर प्रभाव पड़ता है। और इतना बुरा कोई नही लिखता की उसे 1 या 2 स्टार दिए जाएं।
सखी, सामाजिक संवेदनशीलता, सामाजिक संकेतों और संदर्भों को पहचानने, अनुभव करने और समझने की एक व्यक्ति की क्षमता होती है। इसका अर्थ है कि आप किस हद तक दूसरों की भावनाओं और विचारों को समझते हैं और सामाजिक मानदंडों का कितना पालन करते है। संवेदनाशील व्यक्ति दूसरे की भावनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं और सामाजिक समस्यायों से निपटने में , सामाजिक स्थितियों में दूसरो की सहायता भी करते है।
परिवार के अलावा हमारा खास रिश्ता पड़ोसी से, कॉलीग से भी हो सकता है। जिनसे ना हमारी रिश्तेदारी है ना दोस्ती। पर कुछ लोग खास बन ही जाते हैं। इतने खास कि परिवार और दोस्ती पीछे रह जाती है।
खास रिश्ते में विश्वास रहने दो,
इनमें थोड़ी मिठास रहने दो,
जिंदगी जीने का मजा आएगा, मगर ए-दिल
न खुद रहो उदास, न मुझे उदास रहने दो।।
सुबह उठकर जब पांच मिनट में , मैं अपना अकॉउंट जल्दी-जल्दी स्क्रोल करके, आप अगर समीक्षा होती है तो पढ़ती हूँ, तो बरबस ही मेरे चेहरे पर मुस्कान खिंच जाती है। आप सभी से एक ख़ास रिश्ता बन गया है। लेकिन पाठक और समीक्षा अभी बहुत ही कम होती हैं।
अगर रीडर संख्या और समीक्षा होती है तो सुबह की 5 मिनट की चाय में ऐसा आनंद आता है जैसे आमने -सामने बैठ कर चाय की टपरी पर बतिया रहे हों। और भई! सुनाओ। बाल-बच्चे सब ठीक! हाँ! नॉवल पर तो 500 रीडर आये हैं, पर डायरी हमारी जो है, वो थोड़ी पीछे चल रही है। भैया कुछ टोटका हो तो बताओ?
देखो! जो हमारे फ़ॉलोवर्स हैं ना वो कुम्भकर्ण की नींद मां हैं, तो उनको जगाने की खातिर बेल बजावे का पड़ी।
कैसे?
उनको अनफॉलो करो और 5 मिनट बाद फॉलो कर दो। ईमेल में नोटिफिकेशन जावेगा, तो नींद से जाग के तुम्हे देखेंगे। और जब नींद खुल ही जाएगी, तो एक ठों रचना भी पढ़ ही लेंगे।
पर ये सबको मति बताना, भली! काहे कि , फिर सब के बच्चा होशियार हो जाई। और अपना जौन शाब्दिक संतुलन है, वो गड़बड़ा ना जाई!
फरवरी के पहले दिन पहली डायरी की राम-राम।
गीता भदौरिया