आंखें देखो हिरनी सी है होठों का कहना हीं क्या,आंखों पर जो लटका लट है किसी नागीन से कम है क्यातुमसे तुम्हारी हकिकत कहना हमारा कोई सानी है क्या,जुल्
छोड़ गाँव की अल्हड़ मस्ती।खुद को समझता शहरी हस्ती।।सोच ब्रांडेड पर चीजें सस्तीं।बातें जन-जन की अब डसतीं।।छूट गया ये रक्षाबंधन।टूट गया सपना तरु चंदन।।अब लगता नहीं मन किसी मोह में।गुजरे यौवन उहापोह
ग़म के सागर में है डूबा दिल हमारा देख लो कत्ल कर के मुस्कुराए कातिल हमारा देख लो क्यों भला ना दाग दे उनको तीरंदाजी की जॉ भी है और जिस्म भी घायल हमारा देख लोक्या खबर थी आज ही दरिया में त
जहाँ मित्रता कि नीव विश्वास से भरी हो जिसमें समय की खाद लगी हो जो धूप और छाया प्रेम और कटुता से सजी हो जैसे शीतल पवन वैसे आनंदमयी हो धरती गगन सी विलखता जिनमे ऐसी दो नदियो
बेटियां नसीब से तोबेटे दुआओं के बाद आते हैं, अजी हम लड़के है जनाबहम कुछ जिम्मेदारियो के साथ आते है।आधी उम्र जिम्मेदारियांसमझने में गुजर जाती हैतो आधी उसे निभाने में,पूरा बचपन किताबो मेंगुजर जाता है तो
तुम्हारी यादे मन को बडा लुभाती हैएक नयी जगह ले जाती हैतुम्हारा एहसास सबसे प्यारादिवाना मुझे बना देता हैक्या है प्यार की कोई जादूमैं ये बात ना जानूलेकीन तुम्हारा पास होनाबहोत अच्छा लगता हैतुम हो त
कई बार सिफारिश की रब से एक बार भी सुनवाई ना हुई रब सेगवाह सबूत सब इकट्ठे कियेकिस्मत की लकीरों ने सब खारिज कियेगुनाह थे सारे वक़्त के किये हुएसजा मिली हमे मुहब्बत किये हुएएक ही ख्वाहिश थी तेरे साथ
ek baar ek khushal parivar rehta tha mummy papa or do bacche papa ka naam ramesh tha or mummy ka poonam .ek din ramesh aapne office gya tha tab uska dost rakesh bolarakesh: arey bhai tum itna late kyu
ये जो मुस्कुराते चेहरे हैं न..... अपने अंदर के गम को हंसी में यूँ ही उड़ा देते हैं ये जो मुस्कुराते चेहरे हैं न अपने गम को किसी से कहते नहीं दूसरे के गम में ग़मगीन दुसरो की ख़ुशी को भी अपना बना लेते
मुँह पर बखूबी मुस्कुराना जानते हैं लोग लगाना पीठ पर निशाना जानते हैं लोग जो चलना नहीं जानता दुनियाँ की चाल को सिखा के उसको गिराना जानते हैं लोग साँसे बहुत भारी होती हैं जिंदगी की शायद मुर्दा होते ही
ये कैसी दोस्ती, भावनाओं का कुछ अनुदान नहीं,अहंकार में डूबे मन को, अहसासों का भान नहीं।हित,सहयोग,कामना की,कीमत ही नहीं जहां दिल मे,हर्ष,शोक,दुःख,दर्द,फर्ज,चाहत का भी अनुमान नहीं।।...ऐसा दोस्त वक्त पड़न
आज अगर दुनिया में, सत्य सनातन धर्म है ,तो वो सिर्फ मैथिल पंडित की बदौलत हैं,रावण के अत्याचार से सबसे ज्यादा पंडितों ने सारण मिथिला में ही ली थी,क्या पता था की,दूसरा राक्
इतिहास में रामायण कीमोनो तो.... महाज्योतिष व निर्माण मिथिला में हुआ पहले आते हैं ज्योतिष..फिर आते हैं महाज्योतिष महाराजा रावण की कोई भीशक्ति मंत्र तंत्र राजनीति कूटनीतिराजा मिथिले
इतिहास पंडित जोरावर सिंह पंडित बलवंत सिंहका इतिहास जिला( एटा)आवागढ़ के राजा ने मिथिला पंडित को जमीन दान की थीउन वंश हुं मैं परशुराम शर्माये इतिहास गवाह है
इतिहास गवाह,जब लिखा है तो, तव तव नारी की वाणी परमेथिले कुमारी सीता मां के स्वयंवर की वात हैं,रावण ज्ञानी राजा जनक के साथ सत्संग में हार गया था,वही रावण कैलाश पर्वत को उठाने वाला धनुष को उठा नहीं
अब तेरी खुमारी में रहता हूं। अब दर्द भी दिल में रखता हूं।क्या ऐसी मेरी जिंदगानी है।
इतिहास की माने तोजिस तरीके से भारत को आजादी मिली देश का तो बंटवारा हुआ ही साथ में ब्राह्मण जाति का भी बंटवारा हो गयाएक के 50 हो गए 50 के 500 हो गए और 500 के 5000 हो गए दिन पर दिन बिखरत
जातियों की संख्याभारत में जातियों और उपजातियों की निश्चित संख्या बताना कठिन है। श्रीधर केतकर के अनुसार केवल ब्राह्मणों की 800 से अधिक अंतर्विवाही जातियाँ हैं। और ब्लूमफील्ड का मत है कि ब्राह्मणों में
दुनिया में मैथिल ब्राह्मण ही भविष्य और वर्तमान और भूतकाल की पद्धति जानते थे,इसका प्रमाण रामायण से मिलता है राजा विधेयक यानी जन जी,रावण से भी महा ज्ञानी रावण उनके सामने सत्संग में हार गया था,इससे यह सा
मिथिला से आकर मैथिल ब्राह्मण ब्रज क्षेत्र में के जंगलों में छुपते छुपाते छुपकर रहने लगे आकर निम्न कार्य जिसको जो काम मिला वह करने लगा लगे जैसे-कुछ तो अपना पुराना पण्डिताई का कार्य, किसी की दुकान पर का