होली का स्वरचित गीत नैनन सों रंग बरसाय गई , इक छोरी बरसाने की अरे नैनन सों रंग बरसाय गई , इक छोरी बरसाने की या छोरी बरसाने की , अ र र र गोरी वृंदावन की सैनन (इशारे से) सों मोय बुला
दिनाँक : 17.03.2022समय : शाम 7 बजेप्रिय डायरी जी,होली की बहुत शुभकामनाएं!दिवाली पर मैं रंगू दीवारें,होली पर रंगू सखी प्रिय।दीवाली पर जलाऊं दीये,होली पर जले हिय प्रिय।दिवाली पर लड़ियों की झा
दिनांक : 15.03.2022समय : शाम 7 बजेप्रिय सखी डायरी, रोज तुम्हें मैं अपनी बातें बताती हूँ, आज तुम्हारी बात करते हैं। 'पल पल दिल के पास तुम रहती हो'। मेरे दिल के पास तो मेरी ड
पाँच अक्षर(D.el. ed.)में ज़िन्दगी ,जाने कब सिमट गई।पूरी दुनिया है सामने ,पर इसी में सिमट गई।। एक आस लिए लालगंज गए, सक्षम एकेडमी
कितने बंद दरवाजे के पिछे, छिपी थी ना वो शख्सियत,आंखों में थी थोडीसी नमी, चेहरे पर थी कुछ तो कमी।अपने ही सोच में कैद थी वो, बाहर का उजाला उसे डराता, एक हादसे ना जाने क्यू ही,&
दिनाँक : 14.03.2022समय : रात्रि 10 बजेप्रिय डायरी जी,कल अपनी मुंबई कलीग के साथ मथुरा जाना हुआ। 2 km पहले ही गाड़ी पार्क करा दी गई क्योंकि आगे नो एंट्री थी। दर्शन के लिए श्री कृष्णा जन्मस्थान गए।
हर कोई कुछ न कुछ करना चाहता है पर किसी को करते नही देखना चाहता,खुद को भी नही।हर व्यक्ति को सफाई पसंद है पर करना किसी को नहीं।आज मेरा दिन कुछ ऐसा ही रहा, मेरे मित्र को मदद की इतनी जरूरत थी जैसे बेहोश प
आज सुबह ऑफिस जाते समय जब विशिष्ट प्रतिष्ठित गणमान्य कहलाने वाले नागरिकों के क्षेत्र से गुजर रही थी तो अचानक एक नाले की चमक-दमक देख मेरी अँखियाँ चौंधिया के रह गई। जहाँ एक ओर भीड़-भाड़ वाली बस्तियों म
नभ में गर्जन है,जन भय से भाग रहे हैं।ना बादल है,ना बिजली,मेघ बरस रहे है।ना ओले है ना बौछारें,गोले गिर रहे हैं।धरा लाल है रक्त से,शोले की तरह बरस रहे हैं।गूंज रहा है गगन ,भयभीत हैं मानव।जो प्राण ले रहे
दिनांक 14/03/2022दिन-सोमवारसमय-04.15 सायं☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️बच्ची डियर ❤️ कैसी हो।बिल्कुल ठीक 😍😍तुम बताओ 🌺 कैसी हो सखी 🙏मैं भी ठीक हूं और तुम्हारे साथ बहुत खुश रहती हूं।😊😊😊सच्ची
पढ़ो पढ़ाओ, आगे बढ़ो, फिर नौकरी के लिए लड़ो। ना मिले तो डाक्यूमेंट्स को, सूटकेस में रख कर ताला जड़ो। नौकरी के अरमान बड़े हैं, सुंदर भविष्य के सपने गड़े हैं। चपरासी की पोस्ट के लिए, पीएचडी वाले भी लाइन
जिंदगी और मौत के बीच ये कैसा है चूहे बिल्ली का खेल जीवन जीने के लिए इन दोनों में कैसे होती है रेलमपेल मौत बिल्ली की तरह हरदम जिंदगी निगलना चाहती है जिंदगी मौत से डर के मारे , इधर उधर
आज का दिन कुछ खास रहाये पल कश्मीरियों पंडित के नाम रहादेखा मौत का जलजला व जलती लाशसुलगते अरमान और और टूटते दर्द के पहलूकलतलक मैं बन फिरती तितलीडाली डाली अपने घर बगवान मेंआज खुद बेघर अपने घ
जिसे हम लोग कहते हैं भ्रष्टाचार असल में वह तो है बस शिष्टाचार "चाय पानी" कोई बुरी बात तो नहीं "दारू मुर्गी" कोई खैरात तो नहीं इनमें से कुछ भी ना हो तो कोई गम नहीं "रात का इंतज
रिश्ते अब ऑनलाइन हो गऐ हैं, सब अपने में ही खो गयें हैं। पड़ोस में कौन रहता है नहीं खबर, विदेशों में फॉलोवर्स बड़ रहे हैं। डालते स्टेटस, रहते अपडेट, करते मोबाइल पर रिश्ते सेट।लाइ
शिक्षा हो गई है बिकाऊ, गली-गली में बिकती है। चंद पैसों के खातिर अब, मारी मारी फिरती है। स्कूल खोलने का उद्देश्य, बस पैसा कमाना रह गया है। पढ़ाई हो या ना हो, बस बिजनेस जमाना रह गया है। बड़े स्कूल
आज ऑफिस में लंच के बाद जब थोड़ा टहलने के लिए दूसरी मंजिल से नीचे उतरी तो गेट के सामने हमारे एक बाबू और एक ड्राइवर के बीच जोर-शोर से बहस चल रही थी। मैंने पहले सोचा कि पास जाकर उन दोनों को टोकूं लेकिन
हवा हूँ मैं बहना मेरी फितरत है ,यूँ मेरे साथ बह जाने की ज़िद ना करो . शमा हूँ मैं ज़लना मेरी किस्मत है ,यूँ मेरे साथ जल जाने की ज़िद ना करो सावालों का सावालों से जवाबो का जावाबों से रिश्ता ये अजिब है
डायरी : 10.03.2022समय : रात 12 बजेप्रिय डायरी जी,आपके साथ कुछ खुशी की बातें शेयर करनी हैं। पहली तो यह है कि शब्द.इन पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान की पुरुस्कार राशि 21,000/
हर कोई बदलने में लगा है,बदलना कोई नहीं चाहता।हर कोई समझाने में लगा है,समझना कोई नहीं चाहता।अपना हाल है सबको सुनाना,सुनना कोई नहीं चाहता। हर कोई जताने में लगा है,निभाना कोई नहीं चाहता।दूसरों की गल