उम्मीदों के पंख लगाकर और ऊंचा उड़ जाऊंगा देखना, एक न एक दिन मैं अवश्य मंजिल पाऊंगा दुख क्या राह रोकेगा मेरी हिम्मत की लाठी रखता हूँ गमों के भीषण भंवर में भी साहस की क
दिनाँक : 09.3.2022समय : रात 11:30 बजेप्रिय डायरी,आपको एक खुशी की बात बतानी थी। मेरी दूसरी पुस्तक- 'अभिव्यक्ति या अंतर्द्वंद', जो कि एक कहानी संग्रह है, प्रकाशित हो गई है। लेकिन ये सम
आज सुबह बच्चों की छुट्टी थी तो सोचा थोड़ा घूम-फिर के आ जाऊँ। थोड़ा देर से जागी थी इसलिए घर से थोड़ी दूर ही एक पार्क में टहलने लगी। वहां एक सज्जन भी टहल रहे थे। टहलते-टहलते मैंने देखा कि पार्क के एक कोन
रुतबा औरत का रखा रब ने बहुत आला (ऊँचा) नवाब,आई दुनिया में तो रहमत गई दुनिया से तो जन्नत(स्वर्ग)। —समीम नवाब (Nawab Comfort)गई
कभी तो खुद से इश्क कर ले थोड़ा खुद को भी आजाद कर ले ओरो के लिये तो हर पल हे कभी खुद के लिये भी श्रृंगार कर ले तुने तो अपनी हर कोर दे दी कभी खुद के जज्बातो का भी हिसाब कर ले ओरत हे तो क्यो झुक गई कभी
प्रकृति द्वारा जब नर और नारी दोनों को सामान शक्ति प्रदत्त है तो फिर क्यों स्त्री हर क्षेत्र में पीछे रहती है । विज्ञान ,राजनीति, संसद,उद्योग ,कला,सृजन सभी क्षेत्रों में स्त्री की सहभागिता कुछ प्रतिशत
पैसा सब कुछ नहीं, पर बहुत कुछ है। जिसके पास है पैसा, वही खुश है। जाकर देखो किसी, गरीब की टपरियाॅ में। अनगिनत छेद मिलेंगे उसकी, टूटी-फूटी खपरिया में। ना गर्मी में पंखा है, ना सर्दी में कंबल है।
कहीं से एक आँधी आई। मौत का मंजर साथ लाई।। धूँ - धूँ करके जली पूरी दुनिया।
दिनांक 07/03/2022दिन-सोमवारसमय-05.00 सायं☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे।तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे।।🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭🤭क्या हुआ सखी 🙏 आज बहुत
अपनी पहचान बनाने को,जब दिखा रहे अपनी औकात।दो शेर भिड़ गये आपस में, बिगड़ गये सारे हालात।बात ही बात में भिड़ बैठे, कोई ना किसी से कमजोर रहे।सब अपनी बात मनवाने को,खून के प्यासे हो रहे।इंसान की
दिनांक : 05.2.2022समय : शाम 5 बजेप्रिय डायरी, गर्मियों की सुगबुगाहट के उपरांत अब उसकी तेज आवाजे भी सुनाई देने लगी हैं। सामने पार्क में कराटे करते छोटे छोटे बच्चे चिल्ला रहे है - य्याह
बीते कुछ वर्षों से हमने, देखा बहुत, बहुत जाना।हो सरकार कोई भी लेकिन, भरती है अपना खजाना।बड़े बड़े मुद्दों को लेकर बात सभी तो करते हैं।बात अगर आ जाती हमारी, कुछ कहने से बचते हैं।आज इन्ही मुद्दों को लेक
किसने सोचा था कि जीवन में एक दिन ऐसा आयेगा जब आदमी को देखकर आदमी घबरा जायेगा उससे मिलने से कतरायेगा घर में कैद होकर रह जायेगा । कभी कभी ऐसे दिन भी आते हैं जो
लड़के रखे जाते हैं घर के बाहर ताकि बिगड़े न! लड़कियां रखी जाती हैं घर पर ताकि बिगड़े न! लड़का बिगड़ा या लड़की बनी इसकी किसी को नहीं पड़ी बिगड़ा तो बस घर ! सिर्फ और सिर्फ घर जिसने
ये ज़िंदगी भी किसी जंग से कम थोड़ी है,नवाब यहां जीने के लिए लड़ना पड़ता है। —समीम नवाब (Nawab Comfort)
नवाब इस दुनिया में जीने से है मरना बेहतर,इतना कमज़र्फ नहीं हूं कि खुदकुशी कर लूं। —समीम नवाब (Nawab Comfort)
महंगा पड़ गया इंसानों को, प्रकृति से छेड़छाड़ करना। एक छोटे से वायरस से, पड़ गया है उसे डरना। काट रहा है पेड़ धड़ाधड़, अपनी सुख सुविधा पाने को। आएगा एक दिन ऐसा भी, मिलेगा ना कुछ खाने को। जमीन को केमि
दिनांक : 04.3.2022समय : रात 11 बजेप्रिय डायरी जी,आपरेशन गंगा के तहत पोलैंड, बुल्गारिया, रोमानिया, हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया से बच्चे भारत लाये जा रहे हैं। पता नहीं ये बच्चे इन देशों में
आज की दैनंदिनी केवल और केवल पुस्तक लेखन प्रतियोगता में समिल्लित मेरी 'गरीबी में डॉक्टरी' कहानी संग्रह में संकलित १० कहानियों में से मुख्य कहानी 'गरीबी में डॉक्टरी' के मुख्य पात्र 'एक और मांझी- धर
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण पर बयान दिया था और मात्र उस बयान के चलते ही २०१९ बिहार चुनाव में भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा था. हालांकि मोहन भागवत ने कुछ भी ग़लत नहीं कहा था. उनके कहने का अर्