मैं हूं तुम्हारी हिंदी भाषा,इसको तुम पहचान लो।अस्तित्व हूं तुम्हारा मैं,मुझको तुम पहचान लो।।कर्म हूं और कृति भी मैं,अस्तित्व है यूं मुझसे जुड़ा।मर्म हूं और व्यथा भी मैं,अस्तित्व तुम्हारा मुझसे जुड़ा।।
आदर्शों की मिसाल बना के,सदा ज्ञान का प्रकाश जगाता।बाल पन महकता शिक्षक,भाग्य हमारा शिक्षक बनाता।।गुरु ज्ञान का दीप जलाकर,जीवन हमारा महकता शिक्षक।विद्या का धन देकर ऐसे,मन आलोकित करता शिक्षक।।धैर्य का हम
आंखे तो सबकी एक जैसी,देखने का अंदाज अलग होता।बातें सबकी होती अलग अलग,कहने का अंदाज अलग होता।।दिलों के एहसास की बातें,धड़कन का अंदाज अलग होता।बातें जुबां पे आती रहती,कहने का अंदाज अलग होता।।इज्ज़त शौक
गुरु देता है शिष्यों को ज्ञान,शिक्षक करता है शिक्षा प्रदान।आज गुरू पूर्णिमा पर ,दोनों को है मेरा प्रणाम।।विद्यालय में शिक्षक होते हैं,गुरुकुल में गुरु पढ़ाते हैं।दोनों ही शिष्यों के पथ को,अवलोकित करते
देख कर माथे की लकीरें,चिंता का विषय कुछ लगती।सोच विचार चिंतन गहन,अकारण ही कुछ उपजती।।देख कर पत्थर पर लकीरें,न मिटने का अंदेशा देती।कभी न खत्म निशान हो,ऐसा लकीरें ये संदेशा देती।।देख कर कागज़ के पन्नों
कर्मयोग वस्तुत: निजी स्वार्थ के लोकोपकार के लिए अपना कर्तव्य सर्वश्रेष्ठ तरीके से करना है। कर्मयोग अर्थात कर्म में लीन होना। योगा कर्म
जिंदगी आगे बढ़ने का नाम,यूं तो रुकने का मतलब नहीं।रुक गए तो स्थिरता होती,अस्थिर रुकने का मतलब नहीं।।खुद ही लड़नी पड़ेगी,अपनी तो लड़ाई उसकी।होता रुकने का मतलब नहीं,आगे बढ़ती लड़ाई उसकी।।दिशा निर्देशन स
प्रकृति का ये बड़ा नियम है,जो बोओगे वही उगेगा।चाहे सींचो कितना उसको,काँटों से न फूल खिलेगा।।बोके पेड़ बबूल का प्यारे,आम का फल तो नहीं लगेगा।किये जो कर्म खराब हैं तूने,काँटा बनकर वही चुभेगा।।जो बाँटोगे व
सवाल है कि भाग्य होता है,या नहीं होता है,लेकिन ये सच है कि,बिना कर्म के भाग्य अकेला होता है।भाग्य, कर्म और समय का,योगफल होता है,जो जितना ज्यादा मेहनत करता है,उसका भाग्य उतना ज्यादा चमकीला होता है।अगर
दिल एक तमन्नाएं अनेक,कैसे पूरी होगी संसार में।तमन्नाओं से संसार बंधा,बसी हुई इस संसार में।।जिंदगी के आंचल में,ओढ़ रखी चुनरी ऐसे।तमन्नाएं जज्बातों से जुड़ी,पूरी हो जाए ये कैसे।।तमन्ना तो सिर्फ तमन्ना ह
सुख और उम्र का तालमेल,आपस में कब बनता है।कैसे उम्र ये कटती रहती,सुख दुःख जीवन में रहता है।।सुख और समृद्धि जीवन में,शांति जीवन में लाती है।आशा और निराशा के बीच,भंवर में डोलती रहती है।।सुख कब मिलता जीवन
हिन्दू आस्था पर बार बार चोट क्यों पड़ती है। अभी काली जी की तस्वीर को लीना ने मीडिया में वाइरल किया और सिर्फ अपनी डॉक्यूमेंटरी की पब्लिसिटी के लिए। सिगरेट पीते
शब्द मीठे होते हैं,शब्द कड़वे होते हैं,शब्द चख चख कर ही बोलिये,क्योंकि शब्दों के स्वाद होते हैं।शब्द कोमल होते हैं,शब्द कठोर होते हैं,शब्दों को तोल मोल कर बोलिये,क्योंकि हर शब्द का घनत्व होता है।शब्द त
राजयोग या सिर्फ योग महर्षि पतंजलि का योग सूत्र इसका मुख्य ग्रंथ है। स्वामी विवेकानंद ने राजयोग का प्रारंभ किया था। राजयोग सभी योगों का राजा है क्योंंकि इसमें सब प्रका
ऐ रब! ऐसा दिन कभी न दिखाना,कि खुद के ग़ुरूर में खो जाऊँ,पल दो पल अपनों के साथ बैठ न सकूँ,अपने आप में इतना मगरूर हो जाऊँ।न देना दुनियाँ भर की दौलत मुझे,पर बख़्श देना इतनी खुशियाँ ज़िन्दगी में,कि दिन भर का
भाग-12 उदय की शिक्षा (अंतिम भाग) उदय और अनीता का गृहस्थ जीवन बहुत सुखमय में चल रहा था। दोनों का एक दूसरे के प्रति आत्मिक स्नेह था...दोनों के विचार भी एक दूसरे से बहुत मिलते थे। सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत
मेरा यह कहानी संग्रह , कहानियों के उन सभी जीते जागते पात्रों को ( क्षमा याचना के साथ ) समर्पित है जो मेरे जीवन मे आये और अपने व्यक्तित्व तथा कारनामों से जाने अनजाने मे मुझे लिखने की प्रेरणा दे गये ।
एक छोटा-सा उपहार बहुत बड़े वचन से बढ़कर होता है। बैल सींग तो आदमी को उसकी जबान से पकड़ा जाता है।। मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है। कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड
दंड भोगना नहीं अपराध करना शर्म की बात होती है। जीभ में हड्डी नहीं फिर भी वह हड्डियाँ तुड़वा देती है।। लाभ की चाहत में बुद्धिमान भी मूर्ख बन जाते हैं। उधार के कपड़े तन पर कभी सही नहीं आते हैं।। द
समझ न आने वाला हमेशा अनोखा होता है। सबसे ज्यादा जानकार बहुत काम बोलता है।। खोटा सिक्का और बेटा वक्त पर काम आता है। महल नहीं कुटिया में संतोष पाया जाता है।। एक झूठ के पीछे से दूसरा भी चला आता