अमन आज जल्दी जल्दी बस स्टॉप की ओर जा रहा था । वह आज फिर से लेट था । अब तो उसकी फितरत सी हो गई थी लेट ऑफिस जाना और बॉस से डांट खाना । उसे दिल्ली में लाजपत नगर से गुड़गांव जाना होता था । वह पहले मेट्रो
गीत : बेदर्दी इश्क हाय बड़ा तरसाये दिल को कहीं भी चैन ना आये सारी रात आंखों में कटती जाये बेदर्दी इश्क हाय बड़ा तरसाये।। तेरी याद सताए सजन , दिल में उठती है अगन कह भी ना
गीत : सुनो प्रिये तुम्हारी उन आंखों से डर लगता है सुनो प्रिये तुम्हारी उन आंखों से डर लगता है खामोश जुबां बेजान बांहों से डर लगता है जब तुम झाड़ू लगाकर पोंछा
गाजियाबाद जिले के वसुंधरा के सेक्टर-15 में शुक्रवार दोपहर प्रापर्टी डीलर विकास मीणा ने अपनी बैंक मैनेजर पत्नी काम्या (40) की चाकू से गोदकर हत्या कर दी। आरोपी पति ने पत्नी पर 20 से ज्यादा चाकू
तुम चांद बनकर निकलना हम रात भर तुम्हें देखेंगे किसी दिन तुम ना निकलना वो लम्हें न आने देना........ तुम गुस्सा हो जाओ मुझसे हम तुम्हें मना लेंगे मैं तुम्हारी एक झलक के लिए तरसु वो लम्हें न आन
बेच दूं क्या ? सारी परेशानियां मौत अच्छा दाम दे रही है |
वो लम्हे कितने हसीं हुआ करते थे जब तुम्हारे हाथ हमें छुआ करते थे तन बदन में बिजली कौंध जाती थीदिले अरमान बेलगाम हुआ करते थे कितना खूबसूरत सा मंजर था वह तेरे मेरे इश्क का समंदर सा थ
मुक्तक : वो दौर निकल गया तो ये दौर भी निकल जायेगा बहारों का मौसम फिर से, पलटकर जरूर आयेगा आशाओं के दीयों को कभी बुझने ना देना ऐ दोस्त एक दिन ये आसमां, तेरे कदमों में सि
परख लिया खुद को जब परखा तुझे, क्यों देखा नहीं पहले जो अब दिखा क्या वो प्यार था? जो लगा मुझे, क्यों खत्म हुआ फिर जब परखा, सजा भूल भी जाए, ना भूल पाएंगे तुझे टूटे तारे की तरह मेरा व
अब शब्द ही नहीं मेरे पास एक रात ऐसी हो गयी सफर इस कदर मशगूल हैं जिंदगी मदहोश हो गयी... ख्वाबों के परिंदें भी अब उड़ते रहेंगे दिल के आसमानों में अब ख़यालो की दुनिया पे सारे ख्वाब दिलकशी हो गयी... तकदीर
यह दुनियादारी मुझे समझ नहीं आती मैं फिर से उस बचपन में खो जाऊं....... किसके लिए मैं अपनी राह बदलते रहूं क्या गुनाह करूँ जो बेगुनाह हो जाऊं...... यह दुनिया मुझे अनपढ़ समझती हैं ऐसा कौन सा शब्द ल
चार साल बीत गए लेकिन आज भी यहां कुछ बदला नही है कॉलेज का वो पहला दिन याद है। वो पहली क्लास थी, उस दिन हम सब की घबराहट को कैसे सिद्धार्थ अग्निहोत्री सर ने एक दम फुर्र कर दिया था। पहले दिन सिर्फ इं
"आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??" उस आदमी ने मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा। "वज्ज ड्रैगन की तरह ना ही मुंह से आग निकालता है और ना ही उड़ता है मगर वोह ख
शाम के पांच बज रहे थे, श्रीधि और उसकी दोस्त पार्टी में जाने के लिए रेड्डी हो रही थी। श्रीधि शॉट्स ड्रेस पहने हुए काफ़ी सुंदर दिख रही थी,लंबे घुंघराले बाल आंखो में सुरमा,और एक हाथ में पर्स टांगे हुए ।
तर्ज : कोई दीवाना कहता है सावन की झमाझम ने आस दिल में जगाई है कलियों की ठिठोली ने प्यास दिल में लगाई है जवां मौसम सुनाता है गजल कोई मोहब्बत की हसीं ऋतु ओढ़कर चादर हरियाली की आई
यह कैसा दौर है सफर का अब मिले भी या ना मिले , एक अनजान सफर में चलने की गुजारिश सी हो गयी ..... देखो यहां कौन किसके लिए रुका है इस जहां में , आगे बढ़ते रहने की फितरत जुनून सी हो गयी... सपनों के
प्यासी धरती की बूंदे बनकर सुंदर निर्मल वाणी बनकर अपने चेहरे पर खुशी लेकर मेरा प्यार बनकर आ जाना। 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 ग्रीष्म ऋतु में शीत बनकर अमावस में चांद बनकर कोयल की मधुर वाणी सुनकर मेरे लिए
यादों का बवंडर आज दिल में फिर से उठा है रेशमी जुल्फों की महक से "हरि" जी उठा है हाथों में हाथ था, एक तेरा वो दिलकश साथ था आंखों के आगे वो हसीन मंजर जीवंत हो उठा है तेरे लबों पे सजता
भाग 2ना ना करते हुए भी उर्वशी खुद ही ले ले कर पांच छह पैग पी जाती है , रोहन ने तो ड्राइवर को पहले ही छोड़ दिया था, वह उर्वशी को पकड़ कर धीरे धीरे बाहर निकलने की कोशिश करता है ,पर उर्वशी तो एक कदम भी आ
भाग 1 रोहन मेहरा की अपनी एक कंपनी है, उसकी एक सुंदर पत्नी है , जिससे अभी कुछ महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी , लेकिन वह थोड़ा मनचला था ,शादी से पहले भी उसके कई रिश्ते थे ,और शादी के बाद उसने अभी तक कोई