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प्रेरक

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इनडीगो की फ्लाइट में वह खिड़की की तरफ बैठा था.. और मैं पीपीई किट पहन कर बीच वाली कुर्सी पर बैठी थी। यह बात 2021 की है..जब मैं दिल्ली से "डाक्टरेट की उपाधि" व "नारी शक्ति सम्मान" लेकर वापस डिब्रूगढ़ जा

आज प्रातः मैं अपने रसोईघर में सुबह की कड़क चाय बनाने में मशगूल थी...और वह पीछे के दरवाजे को जोर-जोर से खटखटा रही थी। अंदर आती और... फिर बाहर जा रही थी। उसके अंदर-बाहर...आने-जाने से जाली का दरवाजा बज र

यह प्रेम कथा है..असम के आदिवासी परिवार में जन्मी एक सोलह वर्षीय लड़की टुलुमुनि की।  जिसको प्यार सब टुलु कहते थे। एक सीधा साधा आदिवासी असमिया परिवार कोकराझार के एक छोटे से गांव में रहता था। चार बच्चों

हमेशा की तरह मालती की अपने पति अशोक के साथ पाप-पुण्य, दान आदि को लेकर बहस होती रहती थी। मालती हर शनिवार मंदिर जाकर भगवान का भोग लगाती और दान पेटी में दान आदि करती रहती थी। वह चाहती थी कि उसका पति अशोक

रॉकी मिस्टर माइक और पैगी की पालतू बिल्ली थी। वह हर समय घर के अंदर ही रहती थी। वे लोग उसे एक मिनट के लिए भी घर से बाहर नहीं जाने देते थे। पांच साल से रॉकी उनके घर की सदस्य बनी हुई है। उन्होंने उसे पूरी

वो बर्फ ही तो थी जो गिर रही थी धांय धांय। बड़े बड़े रुई के गोले सी। हाथ पैर सब सुन्न हो चुके थे। जब हम लेंकेस्टर (अमेरिका) के पार्क सिटी मॉल से बाहर निकले। जब हम लोग मॉल के अंदर गए थे। तब मौसम बिल्कु

"कही-बतकही" कहानी संग्रह की सभी कहानियां यथार्थ पर आधारित हैं। हमारे चारों तरफ बहुत सी कहानियां बिखरी पड़ी हैं।  हमें और आपको बस समेटने की आवश्यकता है। किसी घटना, पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा ज

सबसे अधिक विनाशकारी होती है सोच  जो इंसान, परिवार,  समाज, देश, धरती को विनाश के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देती है  रानी कैकयी की सोच भी कुछ ऐसी ही थी  उसने अयोध्या का सब कुछ दांव पर ल

प्यार और मोहब्बत के बीच में सारे अंतर सही होते है मगर एक अंतर ही बीच में गलत होता है और वो होता है धोका प्यार जब तक सही होता है तबतक सही है मगर जब प्यार और मोहब्बत के बीच मैं धोका आ जाता है तो एक

मीकू ओ मीकू ।जरा मेरी बेंत तो लाना।देख तेरी बूढ़ी दादी को दिखाई"मीकू नही दे रहा मेरा चश्मा भी ला ढूंढ कर।" सरला ने अपने पांच साल के पोते को आवाज दी।तभी मीकू दौड़ कर दादी का चश्मा ले आया।और चश्मा लाकर

काफी देर से प्रकाश खिड़की मे बैठा उस सात आठ साल केे बच्चे को देख रहा था।वह रंग बिरंगी गोलियों के साथ खेल रहा था।कभी अपने से ही बोलता ,"कली या जूट"। फिर हंसता और कहता"पगले ये तो कली है।"प्रकाश काफी देर

ब्रेक डाउन ( कहानी प्रथम क़िश्त)इंडस्ट्रियल एरिया में साहेब चौहान जी का एक छोटा सा स्टील प्लान्ट है । जो पिछले 5 वर्षों से अच्छा चल रहा थाप । रा-मटेरियल वे महाराष्ट्र से मंगाते थे । पांच वर्षों में अपन

नन्ही सुमन चित्रकला मे बहुत माहिर थी। बहुत सुंदर सुंदर चित्र बनाती थी ।जब मां लोगों के घरों मे काम करने जाती तो पीछे से सुमन अपनी स्लेट बत्ती लेती और चित्र उकेरने लगती थी। क्या सिनरी, क्या पक्षी, क्या

( नीम हकीम खतरे जान--कहानी दूसरी क़िश्त) उनका एक पुत्र “ लक्षमण साव “ की उम्र लगभग 30 वर्ष की हो चुकी थी । दशरथ ने अपने पुत्र को अपनी क्लिनिक में बैठाने का बहुत प्रयास किया पर उनके पुत्र का मन खेत

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छोटे छोटे शब्दों को जोड़ना जुनून बन गया। कविताओं को रचना दिल का सुकून बन गया।।लिखने की चाहत सोई थी बचपन से।बनकर सवेरा जीवन खिल गया।।जज्बातों को शब्दों में सजाने लगे।भावों को उकेरना हुनर बन गया।।अ

( नीम हकीम खतरे जान-- कहानी प्रथम क़िश्त  )दशरथ और उसकी पत्नी हरिद्वार स्थित आत्मानंद जी के आश्रम में पिछले तीन बरस से रह रहे हैं । अब वे वहीं के होकर रह गए हैं । अपने गांव, घर जाने की उनकी इच्छा

(1)    अलग-अलग रूपों में ढलता    देखो वारिद दौड़ रहा।     धरती पर आने को आतुर    विमान संग मचल रहा।        जहां जिसको मिली जगह     जम गया वारिद वहीं।    मानचित्र सा खड़ा कहीं पर    कहीं वृक्ष

किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। पूरा गाँव उससे परेशान हो चुका था। वह हमेशा उदास रहता था और सबसे शिकायत करता रहता था। उसका मन भी हमेशा दुखी र

यह कहानी पुराने समय की है। एक दिन एक आदमी गुरु के पास गया और उनसे कहा- बताइए गुरुजी, जीवन का मूल्य क्या है? गुरु ने उसे एक पत्थर दिया और कहा- जा और इस पत्थर का मूल्य पता करके आ, लेकिन ध्यान रखना पत्थ

एक वृद्ध संत ने अपनी अंतिम घड़ी नज़दीक देख अपने बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा- मैं तुम बच्चों को चार कीमती रत्न दे रहा हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम इन्हें सम्भाल कर रखोगे और पूरी ज़िन्दगी इनकी सह

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