मेरा शहर ( कहानी अंतिम क़िश्त )अब मुकुंद थापर आबकारी मंत्री मोहन पाल की हर पब्लिक मिटिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने लगा । और मोहन पाल जी के छोटी छोटी सी बातों को नोट करने लगा। वह पब्लिक म
मेरा शहर ( कहानी तीसरी किश्त)अब तक --पांच दिनों बाद युनूस की छ्ट्टी हो गई । वह उदय जी के साथ पन्जिम चला गया ।( इससे आगे )पन्जिम में घर की देखभाल करना और खाना पकाना उसके ज़िम्मे था । उ
आपका जन्म कहाँ हो, कब हो, और किसके घर हो, इसपर आपका कोई बस नहीं है. हम सब इससे सहमत है,होना ही होगा और कोई विकल्प नहीं है. हाँ मैं बात कर रहा हूँ की सचमुच हमारे पास कोई विकल्प नहीं है जो हो चूका
एक प्रेमिका को प्रेमी का खूबसूरत सा जवाब। प्रेमिका- मुझे कोई और
एक प्रेमिका को प्रेमी का खूबसूरत सा जवाब। प्रेमिका- मुझे कोई और
दादाजी ने हाथ पकड़कर चलना मुझे सिखाया था s
राजीव के शादी के दो साल हो गए थे। राजीव अपने बीवी अंजली
स्वाति और विवेक किसी बात पर लड़ाई कर लेते हैं और एक दूसरे से बात ही न
स्वाति गुनगुनाते हुए किचन मे काम कर रही होती हैं।
तभी विवे
राहुल का दूसरे दिन एग्जाम था उसे यही डर था कि कहीं फिर से फैल ना हो ज
भोला को किराने दुकान का भार सौपा गया था। वो हमेशा
समय का पहिया चलता जाए यही है उसका काम रे।
जो इस निरंतरता पकड़ ले
चारों तरफ शादी के खुशियों का माहोल था। सोनाली का नये घर मे बहुत अच्छे
सचिन 16 साल का लड़का था।। बहुत ही होशियार बहुत ही चालक था।।। अ
संसार में आसक्त लोगों के कल्याण के लिए कर्म योग हैं -'कर्म योगस्तु कामिनाम' Iमनुष्य का कर्तव्य -कर्म करने में अधिकार हैं,फल में नहीं-"कर्मण्येाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" Iअर्थात बिना कर्म किये मेरे सपने बेकार हैं ,मेरी योजनायें कचरा हैं तथा मेरे लक्ष्य असंभव हैं, इन सभी का मेरे लिए कोई मूल्य नहीं है
पत्रकारिता के माथे का वह पवित्र 'तिलक'गिरीश पंकजलोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को साधारण लोग इसलिए याद करते हैं कि उन्होंने गणेश उत्सव की शुरुआत की थी । यह उनका छोटा- सा परिचय है। तिलक जी तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की ऐसी अद्भुत कड़ी हैं, जिसके बिना हम उस इतिहास की कल्पना ही नहीं कर सकते। तिलकज
मैं सुन्दर नहीं हूँ 'आज घंटों से आइने में खुद को निहार रही थी अंशिका, कभी अपनी आँखों को देखती, कभी अपने गालों को, कभी होंठो को तो कभी नाक को। 'अरे! क्या घंटों से आइने में निहार रही हो अंशी', माँ ने जोर से आवाज लगायी। अंशिका माँ के
भारत में तो अधिकांश लोग चाय को अपनी daily lifeका महत्वपूर्ण हिस्सा मानते है और क्यों न माने क्योकि सुख और दुःख दोनों में हीचाय हमारा साथ देती है | इसी लोकप्रिय भारतीय चाय को और भी लोकप्रियबनाया ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली भारतीय मूल की Uppma Virdi (उपमा विरदी) ने जिन्हें आजदुनिया Chaiwaali ( चाय वाल