🎎🎎🎎💥बाल दिवस 💥🎎🎎🎎
🌹🌹🚩 🙏✍️✍️✍️🙏 🚩🌹🌹
धाराएं चंचल बन्दर भी चंचल ,
चंचल है बालक का मन ,
चंचल विद्युत दृष्टि पवन ,
चंचल द्रव्य सबका मन ।
भविष्य राष्ट्र का बालक है ,
स्लोगन लेखन है पुरानी ,
योग्य कैसे बनेंगे बच्चे ,
करते हैं बहुत मनमानी ।
यूट्यूब गेम और बहुत कुछ ,
उल्झा रहे है दिन दिन ,
शिक्षक वृंद कुछ ऐसा करते ,
मिंट जातें सब विभिन्न ।
देशभक्ति और संस्कृति ,
हों मनोभावना बरकरार ,
फिर सुभाष भगत वीसमिल ,
कमल खिलना हों क़रार ।
फिर अंग्रेजियत समा गई ,
रक्त सोच और विचार में ,
अंग्रेजी भाषा इंपोटेंट हुआ ,
हिंदी गई चुल्हें भाड़ में ।
झिझक होती हिंदी बोलने में ,
अंग्रेजी में होते निहाल ,
बालों से अंग्रेज भये सब ,
भारतीय परिधान के बुरा हाल ।
मेले में गज़ब नजारा देखा ,
पेरिस लंदन बना पांडाल ,
दर्शक थे सब अंग्रेजियत ,
हों रहा था बहुत मलाल ।
आडंबरों को शेष करने को ,
मौनी क्रांति अब लानी है ,
बिन बोले कार्य सम्पन्न ,
हिंदी बाल दिवस मनानी है ।
आर्य मनोज, पश्चिम बंगाल १४.११.२०२२.