👃👃🌷🌷 मां कि आहे 🌷 🌷👃👃
तु आन बान मेरी शान हैं ,
जी जान से पाला है तुझको,
जीवन मृत्यु की परवाह नहीं कि,
मां बनने कि थी गर्व मुझको ।
रात जगी गिले में सोई ,
तुझे सुलाने में थी खोई,
रात बिति पता न चला ,
कष्टों में तेरे थी बहुत रोई ।
देख तेरे आंसुओं कि लरिया,
हृदय चिघार मारता रहा ,
ऐ मेरे कलेजे के टुकड़े ,
हंसी से तेरे घाव भरता रहा ।
अपनी हिस्सा खाया तुमने ,
अपनी हिस्सों से रख देती थी,
खेल में खाना विसराया तुमने,
डाट फटकार कर लाती थी ।
भय दिखाकर हठ को मारी ,
लायक तुझे बनाने को ,
उंगली पकड़ के चलना सिखा,
जीवन में दौड़ लगाने को ।
मेरे सपने तेरे भी सपने ,
नदी के आर- पार थी ,
सपने मेंरी चूर चूर हुए ,
मिथ्या सोच की भारमार थी ।
नहीं जानती थी तु महान बनेगा,
न्ये न्ये कुछ आविष्कार करेंगा ,
लोगों के मुख में गुनगान तेरी ,
यहीं अहंकार तुझमें घाव करेगा ।
प्रभाव घाव का ही रहा ,
तु मुझसे विमुख हो गया,
अपनी मातृभूमि को त्यागा,
विदेशों का तु हो गया ।
तोड़ - फोड़ कि सोच ,
बुद्धि में तेरी आई ,
मातृभूमि को बेचा ,
तनिक संकोच न आई ।
विदृण हृदय की आशिष है तुझको,
हर हाल में प्रसन्न मगन रहें ,
बहती आंसुओं कि कामना है ,
सफलता कि ओर तु गमन रहे ।
'मां कि आहे भी " अनिष्ट नहीं करते,
वो दर्दों में भी ममता रखतीं हैं ,
छटपटाती कराहती बिस्तर पर,
अपने सन्तानों को स्मर्ण करती हैं ।
आर्य मनोज, पश्चिम बंगाल ११.१०.२०२२.