🎑 🎑 बना मुख्य आहार 🎑🎑
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शिक्षित हुआं परिपूर्ण ,
ज्ञान का अभाव है ,
तालमेल बना सका ना ,
अज्ञानता का प्रभाव है ।
प्राकृतिक और जरुरत ,
इस बीच हीं बिमारी है ,
संसाधनों का दोहन होता ,
हर तरफ महामारी है ।
दोहन से महामारी सृजन ,
समझ सका विरले कोई ,
भागीदार बना जग सारा ,
पश्चाताप किया ना सोई ।
प्राकृत जितना उत्पन्न करता ,
अवधि जितने लगाईं ,
उपज बढ़ोतरी अल्प अवधि ,
हमारी युक्ति उसमें समायी ।
दोहन का तात्पर्य यही है ,
जबरन दुहा जाय ,
धरती गैया बनीं बेचारी ,
इंजेक्शन से दुहाय ।
जिस बीज को फलने पकने में ,
लगता आठ दस मास ,
वर्ष में दो बार फ़सल हों ,
जगी हमारी अब आस ।
इंजेक्शन से अकार बढ़ाते ,
हद कर दी मनमानी ,
द्विबीज भी धड़ल्ले से ,
पहुंचा रहे हैं हानी ।
द्विबीज प्रचुर बनाकर ,
हुएं बहुत विख्यात ,
झंझोड़ दिया संसार को ,
असंतोष का आघात ।
छुपाने को अपनी ग़लतीया,
बहानें पड़ें है बहुतेरे ,
कांस कोई कह देता ,
ग़लतीया है ये मेरे ।
सबसे बड़ा शैतान है ,
फोटो दिखाए जिसने ,
अज्ञानता में गुमराह किया ,
षड़यंत्र रचाया उसने ।
मांगें हेतु षड़यंत्र रचाया ,
गुमराह भया किसान ,
अल्प समय में कटेगी फसलें ,
ना हो तनिक परेशान ।
किसान बेचारा क्या करें ,
लीं लम्बी लम्बी सांसें ,
धन्य हमारे भाग्य जगे ,
थी लगीं हमारी आस ।
दिखकर बाजार शौक जगाया ,
अति खपत का दहार ,
खपत पूर्णतः हों रहा ,
बना मुख्य आहार ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल २४.११.२०२२.