🌷, 🌹 🌹 🌹अटुट शांति, 🌹 🌹 🌹🌷
प्रखर बुद्धि उल्झे शब्दों को सुल्झा देती है ,
अंधेरे पथ को रोशनी से भर देती है ,
भटके पथिक भी जब शान्त चित्त करते हैं,
उनके मंजिल की राह गोचर करा देती है ।
बुद्धि विचलित हो तो हतास ना हो कोई ,
श्वासे भरले लंम्बी और छोड़ें भी लंम्बी ,
इस तरह करते रहे कुछ देरो तक ,
एकाग्र कर देंगे प्राण - अपान लंम्बी ।
शब्द छुपे हैं श्वासो के हर एक तारों में ,
शब्द छुपे हैं आवागमन के उन दौरानो में,
ज्ञात हो जाएं जब हमारी बुद्धि को ,
बस जाएं प्राण हमारी उन प्राणों में ।
विभोर होजाएं बुद्धि उन समय के दयारोंमें,
गवाह हृदय बन जाएं घनघोर अंधियारों में,
मंत्र मुग्ध हो चक्षु अपने अन्तर्मन की ,
रोम-रोम पुलकितहोती हरेक श्वासोके वारोमें ।
साधना खिलखिला देंगी तेरी उन अभ्यासों से,
कमल हृदयका खिलउठेगा प्राणप्यारीश्वासोसे,
स्वस्थ काया और मानवता शिखर पे होगा ,
अटुट शांति मिलीं पाने कि उन प्रयासों से ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल, ०२.१०.२०२२