👉👉👉👉 कुत्ते 👈👈👈👈
मेरे अपनों से विरले ही ,
हाय हैलो हों जातें हैं ,
मन लुभा लिए हैं कुत्तों ने ,
अब उन्हीं के संग नाते है ।
हमसब की मन हरण किया ,
अपनी दुम हिला हिलाकर ,
अपनों को नहीं उसे चाव से ,
बड़ा किया खिला पिलाकर ।
सन्तानों से अधिक दुलार पाता ,
है$$ हकीकत नजर है आते ,
प्रायः घरों में पहुंच है उसके ,
जबर्दस्त बढ़ रहा उसके संग नाते ।
इंग्लिश डोंगी हुआ भी आईं पि ,
शुभ चिंतक उसके कम नहीं ,
संदेश पाते हीं डॉक्टर आ जाते ,
सम्मान अतिथियों से कम नहीं ।
लोग अपने अनुरूप बना लेते हैं ,
सम्भवतः वो ढल हीं जाता हैं ,
एक बात उसे बहुत खलती है ,
दिन रात उसे याद आता हैं ।
मैं तो लोगों के लायक बन जाता ,
संकेत उन सबके समझ जाता ,
मेरे संतोष स्वामीभक्ति के तरह ,
इच्छाओं के रुझान इनके ढल पाता ।
गलियों के भी डोंगी वार्ता करते ,
ये लोग किस मिट्टी से है बनें ,
मेरे स्वजाति भाई के संग रहकर ,
सब्र ना सीखा बुरी किस्मत घने ।
एक सब्र के कारण भटक रहा ,
अपनें सभी मुख मोड़ लिया ,
तुझसे तो बेहतर हमसब है ,
बिस्तर पर तेरे संग सो लिया ।
स्वभाव हमारी तूं सीख रहा ,
मेरे बात है बिल्कुल सच्चें ,
तभी तो दुनिया कहती है ,
चल फूट कुत्ते के बच्चे ।
अपनापन में हम दुम हिलाते ,
चापलूसी तुभी तो करता है ,
तुझमें मुझमें फर्क कहा ,
दोनों ही मालिक पर मरता है ।
तु नौकरी हम घर का प्रहरी ,
हम अजनबी और तु किसी पर ,
दिल खोलकर बरसते हैं ,
हम हररोज तु महिनवे दिन ,
अपनी अपनी पगार के खातिर ,
उतावले होकर तरसते है ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल