✂️✂️✂️ 🔫 भ्रष्टाचार 🔫✂️✂️✂️
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अभाव शरिर का दीमक है ,
तिल तिल खोखला करता है ,
अन्दर बाहर दोनों तरफ ,
दिन रात अभावी मरता है ।
क्षीण हो जाती समझ उसकी ,
उल्टे समझ सब आतें है ,
उल्टी सीधी करतुतो से ,
सभी अवगत हो जातें है ।
करके परिक्षा पाता चला ,
भ्रुण में कन्या पल रहीं ,
निर्दयता उन पर हावी होती ,
बिटिया विछोह खल रही ।
ना जाने वो सोच कैसी ,
आचरण में घट जाता है ,
अबोध पर तरस ना आई ,
अनाथ आश्रम पहुंचाता है ।
मिथ्या प्यार कि स्वांग रचाया ,
सीमा पार कर जाता है ,
अनुप्युक्त समय के फल को उसने ,
जंगलों में फेंक आता है ।
संघ बनाता सहपाठी रखता ,
उग्र रहता है हरदम ,
अलग अलग उपद्रव मचाता ,
महकता सदैव गमगम ।
कितने मुकदमे दायर उसपर ,
नज़र आई राजनीति ,
हों गए उसके सपने पूरे ,
होंगी कैसी उसकी नीति ।
मनभावन वक्तव्य उसकी ,
तालियां बजें जोरदार ,
मिथ्या दिलासा लोगों ने पाया ,
ग्लानि भरा हकदार ।
उद्योगपति भी कहते हैं ,
चल रहा हुं घाटे में ,
श्रमिकों कि पत्नियां बर्तन धोती ,
पुर्ती नहीं है आटे में ।
नेता मंत्री उद्योगपति सब ,
जीना किया दूसवार ,
प्रायः इन्हीं के कारण ,
पैदा हुआ है भ्रष्टाचार ।
पुलिस भी कुछ कम नहीं ,
दिया उन्हीं का साथ ,
घर समाज देश निचोड़ा ,
इन्हीं सभी के हाथ ।
देश में दस साल का ,
राष्ट्रपति शासन सम्राज्य ,
सुलझेगी प्रत्येक समस्याएं ,
खुशहाल होगा हर एक राज्य ।
आर्य मनोज, पश्चिम बंगाल १२.११.२०२२.