👨❤️💋👨👨❤️💋👨👨❤️💋👨❤️गंधर्व विवाह ❤️👨❤️💋👨👨❤️💋👨👨❤️💋👨
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गंधर्व विवाह ही प्रेम विवाह ,
हम समझे नहीं है परिस्कार ,
सनातन संस्कृति के धरोहर ,
गंधर्व विवाह भी एक संस्कार ।
वर्तमान समय के दौड़ में ,
कहते है हम प्रेम विवाह ,
नियम सुत्र वेगैंर बंध जाते है ,
मुश्किल प्रायः पड़ता निर्वाह ।
पश्चाताप करते हैं माता पिता ,
सन्तानों की मर्जी लेकर ,
अनभिज्ञ रहते घटनाओं से ,
टुट जाते अस्वीकृति देकर ।
गंधर्व विवाह भी संस्कार मेरे ,
सटीक सभी को अवगत नहीं ,
मात्र विधिवत गोत्र की त्रुटियां
ऐसे विचारों कि संगत नहीं ।
दबा पड़ा है ये संस्कार ,
सरल सुलभ पावन संस्कार ,
विधिवत अगर उजागर होता ,
खुशहाल होता तब घर संसार ।
दोनों पक्ष वर वधू समेत ,
गगन तले समावेश हो ,
अपनें समर्थयानुसार सभी के ,
सुंदर सनातनी गणवेश हों ।
योग्य आचार्य के उपस्थिति ,
हवन यज्ञ ज़रुरी है ,
पांच फेरे पांचों संकल्प ,
इसके बिना अधूरी है ।
तदोपरांत वरमाला अर्पित ,
सिन्दूर दान सम्पन्न हो ,
माता पिता सभी गुरुजनों के ,
स्नेह आशीष अर्पण हों ।
इस विषय पर अपनी मनोभावना ,
व्यक्त करने को दें सुअवसर ,
करें आयोजन सोच विचार ,
जग में सुखमय करें वसर ।
गंधर्व विवाह की है जरूरत ,
वर्तमान समय का है पुकार ,
धन समय का सटीक सदुपयोग ,
अन्तर्वेदना की है हुंकार ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल २२.११.२०२२.