🌱🌳 बड़े वृक्ष होने को खातिर 🌳🌱
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आलस्य का प्रकोप बढ़ा ,
तनिक श्रम से कतराते हैं ,
आसपड़ोस बाजार जाने में ,
पैदल से बहुत घबड़ाते है ।
सोच में पैदल आता नहीं ,
साईकिल में अपमानित होते हैं ,
दौड़ लगाने को मशीन रखतें ,
संसर्ग दिन दिन खोंते है ।
जितने सदस्य उतनी संसाधन ,
सड़कों पर कतार दिखते हैं ,
आक्सीजन स्तर का गिरावट ,
सौंख फैशन में पिसते है ।
सौंख चढ़ा कपाल पर ,
अंधे भये सब परिवार ,
किसी दिन अवकाश नहीं ,
चाहे हों कोई भी वार ।
सोच विचार तनिक नहीं ,
प्रदुषण का क्या होगा हाल ,
एक दिन भी अवकाश को ,
बहुत जरूरी बहरहाल ।
साईकिल की सवारी आवश्यक है ,
बदलते समय का पुकार है ,
ना ही मजबूरी ना कोई विवशता ,
सुंदर स्वास्थ्य का फनकार है ।
प्रदुषण नियंत्रण कठिन नहीं ,
सौंख फैशन को विराम दे ,
कैरी बैग सदुपयोगी नहीं ,
कपड़े जुट पाट को अविराम दें ।
अधिक से अधिक पैदल चलना ,
स्वास्थ्य को भी अनिवार्य है ,
प्रदुषण भरा सम्राज्य की ,
ध्यान देना हमारा कार्य है ।
राष्ट्र हित के प्रति ,
कुछ योगदान तो बनता हैं ,
बड़े वृक्ष होने को खातिर ,
एक ही बिज पनपता है ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल ०२.१२.२०२२.