💦💦💦(((आखिरी इच्छा)))💦💦💦
😭😭😭😭😭 ✍️ 😭😭😭😭😭
रो मत पोंछ लें आंसू ,
इसकी कोई जरूरत नहीं ,
मैं तो हूं ही तुझी में ,
कहीं और ढुंढनें की जरूरत नहीं ।
हुआ हादसा अपने ही घरों में ,
परिवार सभी अचेत पड़ा ,
कुछ एक के चल रही थी सांसें ,
एक ही हाथ संतावना समेत खड़ा ।
संकेत बार बार एक ही रहा ,
पोंछ आंसू बस मुस्कुरा दें ,
पुरा कर दें आखिरी इच्छा ,
हाथों में अपनी हाथ ज़रा दें ।
हाथ पकड़ सिमट जा गले से ,
आंचल की ओट में हों नैनाचार ,
बस यही आखिरी इच्छा है मेरी ,
दो धड़कनों का संगम हों मजधार ।
कंपकंपाती होंठ विदृण हृदय ,
कौतूहल आंखों में दिख रहा ,
लड़खड़ाते जुबां कुछ कहने को उत्सुक ,
अन्तर्वेदना चीख रहा ।
सिमट गई सिनो से प्राणनाथ के ,
और दो धड़कने एक हुएं ,
खड़ा काल कुछ कर ना सका ,
दो जिस्म एक जान हुएं ।
अस्ताचल से आत्मा लौट चुकी ,
काल का समय गुजर गया ,
आहिस्ता आहिस्ता स्वाभाविक धड़कने ,
दियासो से निकल बसंत बहार पाया ।
चहक पड़ें छलछलाती नैना ,
कराह उठी मेरी सासु मैना ,
पानी पानी रट लगाने लगी ,
पीके चम्मच चार पाई चैना ।
जल को थी उनकी आखिरी इच्छा ,
तृप्त होते हीं उड़ गई मैना ,
बच गए हम दोनों मां बेटे ,
उजड़ी बगिया खो गई रैना ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल १८.११.२०२२.