🌹🌹अलबेली सुबहा 🌹🌹
स्वास्थ्यवर्धक प्रत्येक शैलीया ,
लुप्त होती जा रही ,
जन जन कि मुख मंडल पर ,
स्वार्थ की आभा दिख रही ।
खानपान व्यवहार वेषभूषा ,
अपनी करवट बदल रही ,
सम्बन्धों में भी कड़वाहट ,
धिमें- धीमें रस घोल रही ।
अनदेखापन कुछ हद तक ,
पहचान अपनी दें रही ,
चतुर बुद्धि क्या सुलझाएं ,
उल्झनो का आमंत्रण दे रही।
मिलना मुख खोलना स्वार्थ भरा,
निस्वार्थ का हृदय में जगह नहीं,
हिंसक क्रुरता की प्रगाढ़ता ,
अमानुष बना दे कोई वजह नहीं।
प्रश्न पूछ तु स्वयं से ,
इस तरह स्वस्थ रह सकेंगे क्या ?
अनियमित दिनचर्याओं की ,
संशोधन कर सकेंगे क्या ?
है आसान निवारण इसका ,
उत्तर संकेत पा जाएगा ,
हृदय से अगर हो इच्छा तुम्हारी,
"अलबेली सुबहा" हो जाएगा ।
पूर्णतः भोज्य हो शाकाहार ,
वस्त्र लोक मनभावन हो ,
सरल स्वभाव आचरण की ,
कुटुंबो का घर आवन हो ।
दो प्रहर कि गहरी निंद्रा ,
पूरब दक्षिण सर बिस्तर पर ,
स्वार्थ रहित विचार अपनी ,
मानवता उच्च स्तर पर ।
घृणा होंगी अनदेंखेपन से ,
जन जन का तु प्यारा होगा ,
बुद्धि कि तेरी सराहना होंगी ,
मंगलमय दिन न्यारा होगा ।
चालिस मिनट भोजन से पूर्व,
घुंट घुंट कर जल पि लेंना ,
एक घंटे भोजनोपरान्त ,
दिल चाहे उतना जल पि लेंना।
दोपहर के भोजनोपरान्त ,
दाये करवट सो जाना ,
रात्रि के भोज आंधी अधुरी ,
बाएं करवट सो जाना ।
भोजन के संग ठंडा जल ,
आइस्क्रीम भूल से मत लेना,
दिर्घ समय तक निरोग स्वस्थ,
जीवन अपना सुखद कर लेना ।
निरोग स्वस्थ हो राष्ट्र हमारा ,
प्रारंभ समझ तुम्हीं से है ,
हर एक जीवन में अलबेली सुबहा,
होने का श्रोत तुम्हीं से है ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल १७.१०२२.