🌷🌷🌷🌷🙏 भक्ति 🙏🌷🌷🌷🌷
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सम्मान देना ना भूलना ,
मधुर बोल बोलना प्यारे ,
विशाल इच्छाओं को लघु बनाना ,
यही पहला कदम है न्यारे ।
ध्यानपूर्वक सभी के सुनना ,
प्रसन्नचित होकर ,
ना होना भावुक कभी भी ,
चलनी रखें जस चोकर ।
उपयुक्त हों तभी बोलना ,
गहन सोच बिचारी ,
मर्यादा उलंघन ना करना ,
यही अनुकूल दुनियादारी ।
प्रयत्न रत सदैव रहना ,
किसी को काम आ सकें ,
मुस्कराहट देकर हर चेहरे को ,
पाएं आंतरिक प्यार उसके ।
माता पिता तेरे भगवन् ,
कड़वा सत्य तूं जान ले ,
सेवा सुश्रुषा में मन लगाना ,
द्वितीय कदम पहचान लें ।
वहीं भगवन् वहीं गुरुवर ,
तुझे यहां तक पहुंचाया ,
उसी वृक्ष के फल तु ही ,
तुम्हीं में ओ समाया ।
जिनके रज बिज चुनरी बना ,
लिए उसे तु फिरता है ,
तीखे तीखे शब्दों से उसके ,
वृद्ध हृदय को चीरता है ।
घर द्वार परिवार त्यागा ,
उधारी चुनरी सम्हाल ,
दें देते चुनरी को वापस ,
होता तभी कमाल ।
कृष्ण सुदामा शरीर सांसें ,
उठ उत तु कर गमन ,
लौ लगाकर मित्रता में ,
हों जा तू अत्यंत मगन ।
वहीं माता पिता जगबंधु ,
वहीं भवबंधन निवारक ,
जहां रहें तूं वहीं स्वर्ग ,
होने है तुझे प्रचारक ।
घर समाज राष्ट्र अपनी ,
समुल भक्ति रंग भर दें ,
प्रेम भाव ही सद्भावना ,
यही धार्मिक गुण जीवन में भर लें ।
अंतर का अर्थ मन भीतर ,
प्रेम ज्योत जला दें ,
भेदभाव लोभ लालच को ,
दुर कहीं हला दें ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल २७.११.२०२२.