🌷 🙏 संस्कार 🙏 🌷
चुप रहकर जिनको देखता ,
जी भर के उसे तकता हूं ,
तन जिससे ढ़का है उसकी ,
आव भाव को टटोलता हूं ।
चलचित्र के हमस्वरुप ,
आचरण स्पष्ट हो जाता है ,
मनोभावनाए लेस मात्र भी ,
सुलभ अनुभव हो जाता है ।
छेड़ छाड़ करता है अगर ,
और भी स्पष्ट हो जाता है,
शब्द सुनावत बस इक बार ,
संस्कार ज्ञात हो जाता है ।
संस्कार ऐसी चीज है ,
आवरण में ढंकता नहीं ,
परत पे परत हो क्यों ना ,
प्रभाव डाल सकता है ।
संस्कार दिखने का चीज है,
मनोरम दिखने के लिए ,
प्रेरणा देता है सबको ,
संस्कारित होने के लिए ।
उठ जग जा अब तु ,
आलस प्रमाद को छोड़ दें ,
विपरित हो रहें संस्कारों को,
समृद्धता कि ओर मोड़ दे ।
तुझे पुकारता तेरा ही संस्कार,
आ लौट जा अब देर न कर ,
वर्षों से धुमिल पड़ा है वो ,
शुद्ध स्वच्छ परिछिन्न कर ।
संस्कार तेरी अभिलाषा है ,
संस्कार तेरी पहचान है ,
यस सोहरत से वंचित हो ,
तु अड़ियल नादान है ।
संस्कार मिलते मातृशक्ति से,
पिता सुधार करते हैं ,
तु अमानत भु मंण्डल का ,
हर श्वर गुणगान करते हैं ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल १२.१०.२०२२.