🌹🌹🌷।। टिड्डे कि साहस ।।🌷🌹🌹
टिड्डे कि साहस मैंने देखा ,
संघर्ष अपार करते हैं ,
राह से उन्हें भटकाया बहुत,
वो राह अपनी स्मर्ण करते हैं।
वापस आ जाते राह में अपनी,
उदास कभी ना होते हैं ,
लड़खड़ाते कदमों से वो ,
सदैव अग्रसर होते हैं ।
चुकता नहीं लक्ष्य उनकी ,
मंजिल अपनी पाने को ,
स्मर्ण शक्ति रखते है अपनी,
जहां से वापस आने को ।
टुट जाते है पांव कोई ,
अफसोस नहीं वो करते हैं ,
मंजिल पाने कि चाह है उनकी,
उसी के लिए वो मरते हैं ।
लक्ष्य क्या चिज़ होती है ,
भली भांति वो जानते है ,
साहस कभी बिखरने न देते,
जरुरतों को नजदीक से जानते है।
आवश्यक को विसराते नहीं ,
दिन - रात प्रयास करते हैं ,
थकते नहीं कदम उनकी ,
उमंगों में वो विचरते हैं ।
हर हार को सम्मान करते ,
हर बार सिख पाते हैं ,
असम्भव को सम्भव करते,
मेरी लेखनी गुन गातें है ।
आर्य मनोज , पश्चिम बंगाल ०५.१०.२०२२.