shabd-logo

समाज

hindi articles, stories and books related to Samaj


featured image

*सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि को गतिमान करने के लिए कई बार सृष्टि की रचना की , परंतु उनकी बनाई सृष्टि गतिमान न हो सकी , क्योंकि उन्होंने प्रारंभ में जब भी सृष्टि की तो सिर्फ पुरुष वर्ग को उत्पन्न किया | जो भी पुरुष हुए उन्होंने सृष्टि में कोई रुचि नहीं दिखाई | अपनी बनाई हुई सृष्टि क

featured image

*इस सकल सृष्टि में हर प्राणी प्रसन्न रहना चाहता है , परंतु प्रसन्नता है कहाँ ???? लोग सामान्यतः अनुभव करते हैं कि धन, शक्ति और प्रसिद्धि प्रसन्नता के मुख्य सूचक हैं | यह सत्य है कि धन, शक्ति और प्रसिद्धि अल्प समय के लिए एक स्तर की संतुष्टि दे सकती है | परन्तु यदि यह कथन पूर्णतयः सत्य था तब वो सभी जि

featured image

*चौरासी योनियों में सर्वश्रेष्ठ एवं सबसे सुंदर शरीर मनुष्य का मिला | इस सुंदर शरीर को सुंदर बनाए रखने के लिए मनुष्य को ही उद्योग करना पड़ता है | सुंदरता का अर्थ शारीरिक सुंदरता नहीं वरन पवित्रता एवं स्वच्छता से हैं | पवित्रता जीवन को स्वच्छ एवं सुंदर बनाती है | पवित्रता, शुद्धता, स्वच्छता मानव-जीवन

featured image

*इस संसार में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ इसलिए माना गया है क्योंकि मनुष्य में निर्णय लेने की क्षमता के साथ परिवार समाज व राष्ट्र के प्रति एक अपनत्व की भावना से जुड़ा होता है | मनुष्य का व्यक्तित्व उसके आचरण के अनुसार होता है , और मनुष्य का आचरण उसकी भावनाओं से जाना जा सकता है | जिस मनुष्य की जैसी भावना ह

featured image

*पुरातन काल से भारतीय संस्कृति अपने आप में अनूठी रही है | भारत से लेकर संपूर्ण विश्व के कोने-कोने तक भारतीय संस्कृति एवं संस्कार ने अपना प्रभाव छोड़ा है , और इसे विस्तारित करने में हमारे महापुरुषों ने , और हमारे देश के राजाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था | किसी भी समस्या के निदान के लिए या किसी नवी

featured image

*मनुष्य इस पृथ्वी पर इकलौता प्राणी है जिसमें अन्य प्राणियों की अपेक्षा सोंचने - समझने के लिए विवेकरूपी एक अतिरिक्त गुण ईश्वर ने प्रदान किया है | अपने विवेक से ही मनुष्य निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर होता रहा है | मनुष्य को कब क्या करना चाहिये इसका निर्णय विवेक ही करता है | अपने विवेक का प्रयोग जिसने स

featured image

*इस धराधाम पर अनेकों प्रकार के जीव भ्रमण कर रहे हैं | इन्हीं जीवों में एक जीव मनुष्य भी है | मनुष्य अपने सदाचरण , कर्म एवं स्वभाव के कारण ही पूज्यनीय व निंदित बनता आया है | जिसके जैसे कर्म होते हैं इस समाज में उसको वैसा स्थान स्वत: प्राप्त हो जाता है , इसके लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता नहीं होती

featured image

*नारी का हमारे समाज में क्या स्थान है यह किसी से छिपा नहीं है। मां, बहिन और पत्नी के रूप में सदैव पूज्य रही है। जो आदर जो मान उसे मिला वही किसी से छिपा नहीं है। वह जननी है बड़े-बड़े महापुरुषों की। भगवान महावीर जैसे महापुरुष उसी की कोख से जन्में। हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारे इतिहास नारी की महा

featured image

*किसी भी राष्ट्र का निर्माण व्यक्ति द्वारा होता है,और व्यक्ति का निर्माण एक नारी ही कर सकती है और करती भी है। शायद इसीलिए सनातन काल से नारियों को देवी की संज्ञा दी गई है । लिखा है ---- नारी निंदा मत करो,नारी नर की खान। नारी ते नर होत हैं, ध्रुव-प्रहलाद समान।।राष्ट्र निर्माण में नारियों के योगदान को

समाचार आया है -"इसरो के वैज्ञानिक को मिला 24 साल बाद न्याय"न्याय के लिये दुरूह संघर्ष नम्बी नारायण लड़ते रहे चौबीस वर्ष इसरो जासूसी-काण्ड में पचास दिन जेल में रहे पुलिसिया यातनाओं के थर्ड डिग्री टॉर्चर भी सहे सत्ता और सियासत के खेल में प

featured image

*प्राचीन भारत की मान्यतायें , मर्यादायें , एवं संस्कृति इतनी सभ्य एवं वृहद थीं कि सम्पूर्ण विश्व भारतीयता के आगे नतमस्तक होता था | हमारे यहाँ एक दूसरे को सम्मान देना एवं अपने बड़ों की बातें सुनकर उस पर मनन करना आदिकाल से चला आया है | जिसने भी इसको न मानने का प्रयास किया है वह संकट में आया अवश्य है |

featured image

*अखिल ब्रह्माण्ड में जितने भी जड़ चेतन हैं सबमें कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है | इन रहस्यों को जानने का जितना प्रयास पूर्व में हमारे ऋषि - महर्षियों ने किया उससे कहीं अधिक आज के वैज्ञानिक कर रहे हैं , परन्तु अभी तक यह नहीं कहा जा सकता कि सारे रहस्यों से पर्दा उठ पाया हो | इन सभी चराचर जीवों में सबसे

featured image

*मानव जीवन में मनुष्य के बचपन का पूरा प्रभाव दिखता है | सम्पूर्ण जीवन की जड़ बचपन को कहा जा सकता है | जिस प्रकार एक बहुमंजिला भवन को सुदृढ बनाने के लिए उस भवन की बुनियाद ( नींव) का मजबूत होना आवश्यक हे उसी प्रकार मनुष्य को जीवन में बहुमुखी , प्रतिभासम्पन्न बनने के पीछे बचपन की स्थितियां - परिस्थितिय

featured image

*हमारा देश भारत एक विशाल जनसंख्या वाला एक कृषि प्रधान देश है | इस विशाल एवं समृद्धिशाली संस्कृति से परिपूर्ण देश भारत का हृदय रहे हैं इसके गाँव | भारत की पहचान गाँवों एवं उनकी भिन्न - भिन्न परम्पराओं , मान्यताओं एवं त्यौहारों से होती रही है | गाँवों ने ही शहरों / महानगरों को विशाल से विशालतम बनने म

featured image

*इस संसार में मनुष्य योनि पाकर प्रत्येक व्यक्ति समाज में सम्मान पाने की इच्छा रखता है | हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसे समाज का हर व्यक्ति सम्मान की दृष्टि से देखे | कुछ व्यक्तियों की सोंच यह भी हो सकती है कि ज्ञानी बनकर या धनी बनकर ही सम्मान प्राप्त किया जा सकता है | यदि इसे ही मानक मान लिया जाय तो

featured image

*इस संसार में मनुष्य योनि पाकर प्रत्येक व्यक्ति समाज में सम्मान पाने की इच्छा रखता है | हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसे समाज का हर व्यक्ति सम्मान की दृष्टि से देखे | कुछ व्यक्तियों की सोंच यह भी हो सकती है कि ज्ञानी बनकर या धनी बनकर ही सम्मान प्राप्त किया जा सकता है | यदि इसे ही मानक मान लिया जाय तो

दिल-नशीं हर्फ़सुनने कोबेताब हो दिलकान कोसुनाई देंज़हर बुझे बदतरीन बोलक़हर ढाते हर्फ़नफ़रत के कुँए सेनिकलकर आते हर्फ़तबाही का सबबबनते हर्फ़भरा हो जिनमेंख़ौफ़ और दर्पतोकुछ तो ज़रूर करोगे.....कान बंद करोगे ?बे-सदा आसमान सेकहोगे-निगल जाओ इन्हेंयाभाग जाओगेसुनने सुरीला रागवहाँजहाँबाग़

featured image

*मानव जीवन विचित्रताओं से परिपूर्ण है , समाज में रहकर मनुष्य कब किससे प्रेम करने लगे और कब किससे विद्रोह कर ले यह जान पान असम्भव है | यह मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह सबसे ही अपनी प्रशंसा सुनना चाहता है | अपनी प्रशंसा सुनना सबको अच्छा लगता है | कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो स्वयं अपनी प्रशंसा अपने मुख

featured image

*सनातन साहित्यों में बताया गया है कि जीव चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करके तब कर्मानुसार मानवयोनि में जन्म लेता है | इन चौरासी लाख योनियों के चार प्रकार हैं :- अण्डज , स्वेदज , उद्भिज एवं जरायुज ! जो कि पृथ्वी , जल एवं आकाश में रहकर जलचर , थलचर एवं नभचर कहे जाते हैं | यदि इन चौरासी लाख योनियों में म

featured image

देश के तमाम समलैंगिकों को उनका अधिकार मिल गया है। उनकी खुशी का को ठिकाना नहीं है। बता दें कि गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने देश के तमाम समलैंगिक लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार दे दिए। इस फैसले में कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। फैसले के बाद से ही समलैंगिक समुद

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए