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सामाजिक

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आस्था का महान पर्व छठ  ....    जब विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता की स्त्रियां अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ सज-धज कर अपने आँचल में फल ले कर निकलती हैं तो लगता है जैसे संस्कृति स्वयं समय को चु

मां मुझे डर लगता है . . . . बहुत डर लगता है . . . . सूरज की रौशनी आग सी लगती है . . . . पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं . . . मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है . . मां मुझे छुपा ले बहुत डर

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ? थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये , तेरी एक तिरछी नज़र ने हमें कहाँ पर पहुंचा दिया, अपनी हद में रहने को हमें एक रास्ता बता दिया , “सादगी ” से र

निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

चांद भी क्या खूब है,               न सर पर घूंघट है,                न चेहरे पे बुरका,        कभ

स्त्री का प्यार सबके नसीब में नही होता  वो जीवन में सिर्फ़ एक ही मर्द से  दिल से प्यार कर पाती हैं ,  वो मर्द उसका प्रेमी हो या फिर पति  वो टूट क़र जीवन में एक बार ही  किसी मर्द को चाहती हैं।

चंदा तेरे कितने रूपचंद्रमा पूजनीय है क्योंकि हमारे शास्त्रों में चंदा को ब्रह्माजी का मानस पुत्र कहा गया है। चंद्रमा को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त है , इसलिए सुहागिन स्त्रियां कार्तिक मास की कृष्ण प

पहनावाएक महिला को सब्जी मंडी जाना था। उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक रिक्शा वाले ने आवाज़ दी: "कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा त

*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति ग

अब तक आपने देखा            मानवी अनुभव की लास्ट वाली बात से पूरी तरह से झन्ना गयी उसका मन किया कि वो अनुभव का गला दबा दे । वो अनुभव को पिछे से गुस्से में बोली — तुम हो छि

ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए, मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए,आज भीगी हें पलके तुम्हारी याद में, आकाश भी सिमट गया अपने आप में,औंस की बूँद ऐसे गिरी ज़मीन पर, मानो चाँद भी रोया हो तेरी ही याद में,है चाँद सित

कभी गुस्सा तो कभी प्यार दिखलाती है,कभी डांट तो कभी दुलार बस यही तो है,मां का प्यार सीने मै दर्द कितने हो,कभी बता नहीं पाती सहन कर लेती,हर मुश्किल पर परिवार पर आंच नहीं आने देती,पेट ख़ाली भी हो तो चहरे

माँ की दुआ...बहारों के मौसम में भी दिल में पतझड़ है,किसी ने हमें दुआएं दी तो कहीं सिर्फ तोहमतें मिली,झोली मेरी खाली थी,जिसने जो प्यार से दिया उसको हमने सर झुका के लिया,जिंदगी का सफ़र अब तो बहुत काट लि

बेटियाँ...बाबुल के घर से चली जाती है...ये बेटियाँ बहुत सताती हैं...फिर कहाँ लौट करके आती है...ये बेटियाँ बहुत सताती है...लोरियां गा के मां सुलाती थी...रोने लगती तो वो हंसाती थीं...उंगलियां थाम कर चली

घर पहुँचते ही बेशक माँ से ......कुछ काम ना हो लेकिन.....हमारा पहला सवाल यही .....होता है माँ किधर है और......माँ के दिखाई देते ही.....दिल को सुकून मिल जाता है.....

रविवार... ?रविवार के सुखद पलों का आनन्द ले रहे हैं न।कैसा मौसम है आपके शहर- गाँव का।बरसात के क्या समाचार हैं।यहाँ केकड़ी में तो आज धूप खिली हुई है।गर्मी तो लग रही है लेकिन खिली हुई धूप अच्छी लग रही है

करवाचौथ सुनो ना, सीमा ने प्यार से पति रवि के कंधे पर सिर रखते हुए कहा... "करवाचौथ मे सिर्फ तीन दिन रह गए है । क्या उपहार चाहिए तुम्हें । "रवि ने सीमा की बात बीच मे काटते हुए तल्खी भरी आवाज म

🌸🌸💮💮🏵️🏵️🌻🌻☘️☘️🍃🍃🌿🌿🌱🌱🌷🌷मुसीबत के क्षण में ,पल गुजारें कैसे ,खुशी भी है ,गम भी हैसमझ में आता नहीं ,सवारें कैसे ॥               हंसना होता तोखुल कर

💖💛💫🌟✨💛💚💙💜💘❤️💙💚💛सुनहरी शाम की राहों में तेरी उंगली थामें चलता रहा !तेरे सहारे से गीर कर संभलता रहा !!मैने सोचा था अपने हाथों से , तुम मोहब्बत  की दो घुँट जाम पिलाओंगी !इस सुनहरी शाम को

❤️💘💝💖♥️💚💙🧡💛💜💓💗अर्ज किया है . . .तुझसे तेरा दिवाना ....उसकी इक ख़्वाहिश पूरी कर दो ....दो घड़ी ही सही पर , ....आज़ाद कर दो ज़ुल्फो को ....इन कम्बख्त क्लिपों से ....उड़ने दो इन्हें हवाओं में .

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