अब तक आपने देखा
अब मैं क्या करूं .... फिर अचानक उसके दिमाग में एक बात आई और वो मिस्टर सिकरवार के पास कॉल कर के अपनी बात कहीं ।
अब आगे
मानवी कि डर लगने वाली बात सुनकर मिस्टर सिकरवार हॉले से मुस्कुराते हुए बोले — बेटा परेशान मत हो ... मैं अनुभव को आज जल्दी घर जाने को कह दूंगा । बस तुम दोनों लड़ाई मत करना । अच्छे से रहना .. हऊ ..... l
मानवी जब सुनी कि आज उसे अनुभव के साथ रहना है वो भी अकेले तो वो .. थोड़ा सकुचाते हुए धीरे - धीरे एक - एक शब्द बोली — अम्म ... अंकल .. क्या आज ... रात भर के लिए .. संध्या आंटी यहां ... रुक नहीं सकती है ?
मिस्टर सिकरवार — बेटा संध्या की एक छोटी सी बेटी हैं . . . वो उसे छोड़कर यहां कैसे रुक सकती हैं ? वो रात को कहीं नहीं रुकती है । बस आज रात भर की तो बात हैं . . . कल तो मैं आ ही जाऊंगा । मुझे भी यहां बहुत से काम करने है । तो मैं वहां ज्यादा देर तक रुक नहीं सकता हूँ ।
मानवी मुंह बनाते हुए — ठीक है अंकल ... । फिर मानवी के दिमाग में शरारत सूझा तो उसने मिस्टर सिकरवार से कहा — अंकल अब आप अपना काम जल्दी से खत्म करके आ जाओं ... अगर आप जरा सा भी लेट हुए तो आंटी आपके साथ क्या करेगी , ये तो पता है ना आपको । ये कह कर वो हंसने लगी 😜😀। मिस्टर सिकरवार भी उसकी ये बात सुनकर जोर से हंसते हुए बोले — हम्म ... ये बात तो तुम बिल्कुल सही कही हो बेटा । अच्छा चलो अब मैं फोन रख रहा हूँ । आज का काम खत्म करके जल्दी घर आना है .. नहीं तो ... अब इसके आगे तुम जानती ही हो कि क्या होगा मेरे साथ ... अगर मैं जरा सा भी लेट हो गया तो । 😀😀
मानवी हंसते हुए कहती है — जी ..जी ... अंकल .... बाय .... , जल्दी घर आइयेगा ।
ये कहकर मानवी ने फोन बंद कर दिया ।
इधर माधुरी जी इनता देर में अपनी पैंकिंग कर लेती है . . सारी जरूरी चीजें याद कर - कर के रख ली थी .. फिर भी दिमाग़ पर जोर डाल कर याद कर रही थी कि कहीं कुछ छुट तो नहीं गया हैं . . .😀 ( क्योंकि औरतें चाहें कितना भी याद कर के अपना पूरा सामान रख ली होती है .... फिर भी कुछ ना कुछ छूट ही जाता है . . . । )
बस इसी वजह से माधुरी जी भी अभी अपने दिमाग पर जोर डाल कर के याद कर रही थी कि अगर कही कुछ छुट भी गया हो तो याद आ जायेगा ।😀
मानवी जब मिस्टर सिकरवार से बात कर ली तो वो माधुरी जी के पास आ गई उनके कमरे में ये देखने कि उनकी पैंकिंग अभी तक हुई कि नहीं ... ।
जब माधुरी जी मानवी को अपने कमरे में आते देखी ... तो वो उससे एक बार फिर अपने साथ जाने की बात कहीं । लेकिन मानवी ने बहुत प्यार से मना कर दिया वहां उनके साथ जाने से तो माधुरी जी उसके तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली 😊— अच्छा ठीक है . . . नहीं जाओं मेरे साथ ... लेकिन हाँ ... तुम अपना ख्याल रखना । तुम समझ रही हो ना .... कि मैं क्या कहना चाह रही हूँ ?
मानवी मुस्कुराते हुए अपना जीफ काट कर बोली 😝— जी जी आंटी मैं समझ रही हूँ । आप आपनी ये सारी चिंताएं यहीं छोड़ कर जाइए | हम अच्छे से रहेंगे । 😀😀
कुछ सेंकेड चुप रहने के बाद माधुरी जी कि इतनी पैंकिंग देख कर मानवी अपने दिमाग पर जोर डालते हुए उनसे पूछी — आंटी ... आप 15 दिन के लिए ही ना वहां जा रही हो !!
तो माधुरी जी उसके ऐसे पूछने पर उससे बोली — हाँ .... लेकिन तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो ... ? तुम्हें तो पहले से ही पता है ।
मानवी अपने गाल पे हाथ रखते हुए आंखों को थोड़ा बड़ा करके बेड पर रखे बैग को देखते हुए बोली — जी ... जी ... आंटी वो तो पहले से ही पता है , लेकिन ये बैग देख कर तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि 15 दिन के लिए जा रही हो । इसे देखकर तो लग रहा है जैसे कि आप दो - तीन महीने के लिए जा रही हो वहां ।
क्रमश: ... . . .