निष्कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्कर्ष के साथ काश्वी को ऐसे देखकर निष्कर्ष को अच्छा नहीं लगा और इसलिये वो इस तरह वहां से चला गया। अपने चेहरे पर तनाव की लकीरें छुपाने की कोशिश कर रही थी काश्वी, लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी उसका ध्यान उसी दरवाजे की तरफ था जहां से अभी अभी निष्कर्ष वापस लौट गया। काश्वी को पता है कि निष्कर्ष पर इस वक्त क्या बीत रही है, काश्वी का डर अब उसके सामने खड़ा है।
उधर उत्कर्ष पहले की तरह अपनी बात कह रहे हैं, काश्वी की फोटोग्राफ को देखकर उसे और बेहतर करने के लिये समझा रहे हैं लेकिन काश्वी का ध्यान उनकी बातों पर बिलकुल नहीं है वो तो निष्कर्ष के बारे में सोच रही है, कुछ देर बाद उत्कर्ष को भी लगा कि काश्वी उनकी बात पर ध्यान नहीं दे रही और कुछ परेशान सी लग रही है उत्कर्ष ने आखिर पूछ ही लिया
“क्या हुआ काश्वी, तुम्हारी तबियत ठीक है ना?”
अपने ख्यालों से बाहर आई काश्वी ने उत्कर्ष की बात का जवाब दिया, “हां, ठीक है क्यों?”
“नहीं मुझे लगा… चलो ऐसा करते हैं बाकी कल करेंगे अभी जाओ आराम करो”, उत्कर्ष ने कहा
ये कहकर उत्कर्ष वहां से चले गये, पर काश्वी कुछ देर वही बैठी रही, सोच रही थी कि आखिर कुछ देर पहले हुआ क्या?
उधर निष्कर्ष का सारा जोश अब ठंडा पड़ चुका है, वो काश्वी को सरप्राइज देने आया था पर अब खुद ही सरप्राइज हो गया है।
काश्वी काफी देर सोचती रही, कई बार ये भी सोचा कि निष्कर्ष से जाकर बात करें पर फिर उसे डर था कि पता नहीं उसे ये सब देखकर अच्छा लगा या नहीं, जहां तक काश्वी निष्कर्ष को समझ पाई है उसे अच्छा लगना तो मुश्किल है, काफी देर तक सोचने के बाद काश्वी ने हिम्मत की और निष्कर्ष से मिलने उसके कमरे में गई
निष्कर्ष काश्वी को देखकर कुछ नहीं बोला, उसे अंदर आने का इशारा किया, अंदर आते ही काश्वी ने पूछा, “दो दिन से कहां गायब थे कितने फोन किए, मैसेज किए”
“बस कुछ बिजी था, काम हो गया तो वापस आ गया”, निष्कर्ष ने जवाब दिया
“आप ठीक हो? क्या हुआ?”, काश्वी ने पूछा
“कुछ नहीं, क्या हुआ? और तुम बताओ कैसे चल रही है वर्कशॉप?”, निष्कर्ष ने कहा
“बस ठीक है सब”, काश्वी ने कहा
“बस ठीक, थोड़ा रूककर निष्कर्ष ने फिर कहा, पापा तो बहुत खुश लग रहे थे तुम्हारे साथ”
काश्वी निष्कर्ष को देखती रही फिर कहा, “आपको अच्छा नहीं लगा क्या?”
निष्कर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, बुरा, क्या फर्क पड़ता है, पर बहुत दिन बाद उन्हें हंसते हुए देखा”
“हां उनका मूड थोड़ा अच्छा था, एक पुरानी बात बता रहे थे वो, अपने एक असाइनमेंट की”, काश्वी ने कहा
“अच्छा है, तुम्हारे करियर के लिये ठीक होगा उनके एक्सपीयरेंस से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा”, निष्कर्ष ने कहा
“हां ये तो है, खैर ये सब छोड़ो आप बताओ काम हो गया सब ठीक से?”, काश्वी ने बात बदलने की कोशिश की
“हां सब ठीक हो गया, काश्वी एक काम करते हैं डिनर के टाइम मिलते हैं अभी बहुत थक गया हूं थोड़ा आराम करना चाहता हूं”, निष्कर्ष ने कहा
काश्वी समझ गई कि अभी निष्कर्ष बात करने के मूड में नहीं है, तो वो वहां से चुपचाप चली गई
काश्वी को ऐसे भेजने पर निष्कर्ष को थोड़ी तकलीफ भी हुई, वो सोच रहा था कि आखिर पापा को काश्वी के साथ ऐसे हंसते बातें करते देखकर उसे तकलीफ क्यों हुई? बहुत कुछ चल रहा है निष्कर्ष के दिल दिमाग में, वो खुद से ही सवाल करके उनके जवाब ढूंढने की कोशिश करने लगा, उसने खुद से कहा कि काश्वी को यहां वो ही लेकर आया ताकि वो उत्कर्ष से सीख सके और अब जब उसके पापा काश्वी से अच्छी तरह पेश आ रहे हैं उसे सब सिखा रहे हैं वो उसे क्यों बुरा लगा, क्यों काश्वी को लेकर उसके मन में इतना कुछ चल रहा है
काफी देर तक सोचने के बाद निष्कर्ष की नजर उस गिफ्ट पर गई जो वो काश्वी के लिये लाया था, अब उसे लगा कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था काश्वी को इतने दिनों बाद देखकर उसे यूं जाने के लिये नहीं कहना चाहिए था, पर अब पछताने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं
तीन घंटे के बाद निष्कर्ष और काश्वी फिर आमने सामने आ गये, रोज की तीह डिनर हॉल में सब जमा हुए, काश्वी वहीं सबके बीच बातें करती दिखाई दी निष्कर्ष को, निष्कर्ष उसे देखकर उसके सामने जाकर खड़ा हो गया, काश्वी अचानक उसे अपने सामने देखकर चौंक गई, फिर जैसा निष्कर्ष ने पहले सोचा था वैसा ही किया, काश्वी के आगे वो तोहफा बढ़ा दिया जो वो दिल्ली से उसके लिये लाया है
काश्वी ने देखा कि निष्कर्ष उसे कुछ दे रहा हैं, उसने चौंक कर पूछा, “ये क्या है?”
निष्कर्ष ने कहा, “तुम्हारे लिये है देखो?”
वो छोटा सा बॉक्स किसी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस का लग रहा है, काश्वी ने हैरानी से पूछा, “ये क्या है?”
“ये सोलर बैटरी है कभी भी किसी इलेक्ट्रोनिक गैजेट जैसे फोन या लैपटॉप की बैट्री खत्म हो तो इसे उसके उपर रख दो चार्ज हो जाएगा और अगर इसे चार्ज करना हो तो सूरज की रोशनी में दो घंटे रख दो, तुम्हारे काम आएगा काश्वी, अगली बार जंगल ट्रिप पर जाओ तो इसे साथ ले जाना, कम से कम तुम कांटेक्ट में तो रहोगी”, ये कहकर निष्कर्ष
मुस्कुराने लगा
“वाह, ये तो बड़े काम की चीज है, आपका इनवेंशन है?”, काश्वी ने पूछा
“हां तुम्हारे साथ उस दिन वहां जंगल में जाने के बाद आइडिया आया, इसी को बनाने जाना पड़ा दिल्ली, सबको बहुत पंसद आया, एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है इसके लिये, तुम्हारी वजह से ये बना तो पहला तुम्हारे लिये”, निष्कर्ष ने खुश होकर कहा
काश्वी गौर से उसे देखने लगी, उसे लगा कुछ घंटे पहले जो निष्कर्ष उसके सामने था वो कोई और था और अब उसका पुराना दोस्त उसके सामने है, निष्कर्ष को फिर से उसी मोड में देखकर काश्वी बहुत खुश हो गई, उसकी सारी झिझक और घबराहट खत्म हो गई, दोनों ने साथ डिनर किया और फिर काश्वी को निष्कर्ष ने उस डिवाइस को बनाने का पूरा प्रोसेस भी समझाया, हां ये अलग बात है कि काश्वी की समझ में ज्यादा कुछ नहीं आया, पर निष्कर्ष का
साथ इतने दिनों बाद उसे बहुत पंसद आ रहा है।
दोस्ती ऐसी हो कि कोई दीवार बीच में न आ पाये, दोस्ती ऐसी हो कि कोई बात मन में न रह जाये, बात हो तो दिल खोल के और साथ रहे तो पूरी तरह, ये दोस्ती का अंदाज है अगर सच्ची दोस्ती करनी हो तो,
निष्कर्ष और काश्वी भी दोस्ती के सही मायने समझ रहे हैं। निष्कर्ष और काश्वी की दोस्ती अब अगले पड़ाव की तरफ बढ़ रही है, जहां से दोनों अपने रास्ते जोड़ रहे हैं, इस तरह की फिर कभी कोई अलग न कर सके।