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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022

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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे शेल्फ, पेड़ों को काटकर छोटे - छोटे आकार में ढली खूबसूरत चीजें, एक तरफ खाने की खुश्बू और दूसरी तरफ चहलकदमी करते लोग जिनके हाथों में ढेरों सामान और चेहरे पर हल्की मुस्कान क्‍योंकि वो इस जगह छुटि्टयों के मजे लेने आए हैं, निष्कर्ष और काश्वी एक एक कर हर चीज को एक फोटोग्राफर के नजरिये से देखते हुए उसमें अपनी कहानी ढूंढ रहे हैं लेकिन अब तक कुछ ऐसा नहीं ढूंढ पाये जिस पर नजर जा टिके। 

कुछ नया, कुछ अलग और कुछ ऐसा जिसका कुछ मतलब भी हो, काश्वी की आंखे इधर उधर भटकती रही और वो ये कहती जा रही थी जिससे निष्कर्ष समझ सके कि उसे क्या चाहिए।  

“एक काम करो तुम लकड़ी से बनी इन चीज़ों पर बना लो असाइनमेंट देखो कितनी सुंदर है ये”, निष्‍कर्ष ने कहा  

“हां सुंदर तो है पर ये तो सालों से ऐसे ही हर हिल स्‍टेशन पर मिलती हैं इसमें कोई नई बात नहीं है”, काश्‍वी ने जवाब दिया
“तो ये शॉल और कपड़े कैसे रहेंगे?”, निष्‍कर्ष ने एक शॉल उठाते हुए कहा  

काश्‍वी ने घूर कर निष्‍कर्ष को देखा तो वो समझ गया कि ये आइडिया भी काम का नहीं  

काफी देर तक दोनों यही बातें करते करते मस्ती करते रहे, निष्कर्ष की बातें सुनकर कभी काश्वी हंसती तो कभी गुस्सा होकर उससे बात करना बंद कर देती, 

ऐसे ही एक पल में काश्वी ने गुस्से में निष्कर्ष से कहा, “आपको मजाक लग रहा है कल सुबह मुझे जाना है और अब तक कुछ तय नहीं हुआ है” “अरे मजाक नहीं, बस कुछ आइडिया नहीं आ रहा तो ऐसे ही, चलो ठीक है अब कुछ नहीं सीरीयसली बात करेंगे, चलो तुम्हें एक अच्छी जगह ले जाता हूं, निष्कर्ष काश्वी को एक छोटे से रेस्टोरेंट
में ले गया, खुले आसमान के नीचे बस कुछ बेंच लगे थे वहां, उस छोटी सी जगह में ज्यादा कुछ नहीं था लेकिन वो जगह ऐसी थी कि वहां की शांति में बस डूब जाने को मन करें, 

काश्वी को जगह बहुत पंसद आई, ये उसके कम होते गुस्से से जाहिर हो गया, निष्कर्ष ने वहां का मश्हूर खाना भी ऑर्डर कर दिया, काश्वी को कुछ समझ नहीं आया कि निष्कर्ष ने क्या कहा, तो उसने पूछा,“ये क्या है?” 

“ये यहां का खाना है तुमने शायद कभी खाया न हो देखना बहुत टेस्टी है तुम्हें पंसद आएगा”, निष्कर्ष ने जवाब
दिया”, 

जब तक खाना आया तब तक निष्कर्ष ने काश्वी का मूड ठीक करने के लिये कुछ और बात शुरू कर दी, बातों
बातों में उसने काश्वी को अपने पीछे देखने को कहा, वहां एक छोटा सा बच्चा खेल रहा था, छोटी - छोटी आंखे और
खिलखिलाती हंसी लिये वो मासूम सा बच्चा अपने मां बाप के साथ है लेकिन बार - बार अपने पापा का हाथ छुड़ा कर भाग रहा है, काश्वी ने देखा तो उसे वो बहुत प्यारा लगा, उसने अपना कैमरा निकाला और उसकी बच्चे की सारी शैतानी कैमरे में कैद करने लगी, कभी भागता, कभी गिरता, पापा पकड़े तो रोकर हाथ छुड़ा लेता, बस बिंदास, अपनी मस्ती में चलना चाहता है वो पर उसके पापा कैसे छोड़ देते यूंही, उन्हें डर है कि कहीं वो गिरकर चोट न लगा ले इसलिये बार बार उसे पकड़ते, उस नन्हें शौतान की मस्ती भरी हरकतों से काश्वी मुस्कुराने लगी और अपने कैमरे में ली फोटोग्राफ को निष्कर्ष को दिखाकर खूब खुश हुई, वो बच्चा वहां से गुजर गया लेकिन अपनी मासूमियत भरे लम्हों को याद बनाकर उन दोनों को दे गया, 

माहौल अब कुछ खुशनुमा हो गया, ठंडी हवाएं भी उन्हें सहला रही है और अब तो उनका खाना भी आ गया, प्लेट से आ रही खुश्बू काश्वी को खाने के लिये ललचाने लगी लेकिन अब भी उसे समझ नहीं आया कि वो है क्या, तो उसने निष्कर्ष से फिर पूछा, “बहुत टेंपटिंग लग रहा है पर ये है क्या?” 

“ये जो देख रही हो ये चावल के आटे से बना अरसा है और ये पिसी हुए उड़द से बनी पकोड़िया और ये तिल और
धनिये की चटनी, खाकर देखो बहुत टेस्टी है”, 

“अच्छा, ये तो बहुत हैल्दी भी लग रहा है”, काश्वी ने खाना शुरू किया तो उसे बहुत अच्छा लगा, खाते - खाते वो कहने लगी बहुत अच्छा है अब खिलाया आपने जब दो दिन में वापस जाना है अब तक क्यों नहीं ले कर यहां, 

“हां ये तो कभी सोचा नहीं, हमारे यहां भी खाना वही बनता है जो सब खा लें, वैसे इसका असली मजा लेना हो तो यहां की किसी शादी में जाना, असली टेस्ट वहीं हैं, गांव में जब कोई शादी होती है तो सब मिलकर खाना बनाते हैं, पूरे पांरपरिक तरीके से और उसमें कोई मिलावट नहीं होती इसलिये सब बहुत अच्छा लगता है”, निष्कर्ष ने कहा 

“ठीक है आप ले चलना जब किसी की शादी हो तो”, काश्वी ने कहा 

“अभी तो नहीं है लेकिन जब होगी तो तुम्हें बुला लूंगा, आओगी वापस यहां?”, निष्कर्ष ने पूछा 

काश्वी ने निष्कर्ष को देखा और सोचने लगी कि ये सवाल यूंही निष्कर्ष ने पूछ लिया या फिर कुछ और मतलब है इसका, जब तक वो ये सोच रही थी निष्कर्ष ने फिर पूछा,
“बोलो तुम्हें ये जगह पंसद है न, फिर से आओगी न?” 

काश्वी मुस्कुराई और कहा, “हां ऐसा खाना खाने तो दोबारा आना ही पड़ेगा” 

काश्वी का जवाब सुनकर निष्कर्ष खुश था जैसे इस जवाब में उसने उसका जवाब भी सुन लिया जो सवाल वो असल में करना चाहता था, निष्कर्ष ने खुश होकर कहा, “ये तो बस ट्रेलर है पिक्चर तो बाकी है यहां और बहुत कुछ है जो तुम्हें पंसद आएगा” 

“हां, सही कहा आपने ये जगह बहुत सुंदर है यहां वापस आना ही पड़ेगा”, काश्वी ने भी निष्कर्ष की हां में हां मिलाते हुए कहा 

डिनर करने के बाद दोनों वापस लौटने लगे, चलते चलते रास्ता छोटा लगने लगा, निष्कर्ष ने एक लंबी सांस ली और आस पास की खामोशी को महसूस करने लगा, काश्वी भी उस खामोशी को महसूस कर रही थी इसलिये कुछ नहीं कहा,  

दोनों चुपचाप चलते रहे, थोड़ी देर में घर सामने दिखने लगा, गार्डन से होते हुए अंदर चलते - चलते काश्वी अचानक रूक गई, निष्कर्ष ने देखा तो वो भी रूक गया और पूछा, “क्या हुआ काश्वी?” 

“कुछ देर यहां रूके, अभी नींद नहीं आ रही”, काश्वी ने कहा 

“बहुत रात हो गई है काश्वी तुम थकी नहीं?”, निष्कर्ष ने कहा 

“नहीं मैं ठीक हूं, बस यहां अच्छा लग रहा है, ऐसा मौसम दिल्ली में नहीं होता, इतनी ताजी हवा वहां कहां मिलेगी”, काश्वी ने कहा 

“क्या हुआ काश्वी?” ये पूछते हुए निष्कर्ष को लगा कि काश्वी कुछ सीरियस हो गई है 

“वापस जाने का मन नहीं है यहां अच्छा लग रहा है”, काश्वी की आंख में एक आंसू भी था, अपनी आंखों की नमी छुपाते हुए काश्वी ने कहा 

“अरे ये क्या है, इतना इमोशनल क्यों हो रही हो, तुम जब चाहे यहां आ सकती हो, हमारा घर है यहां रूक सकती हो”, निष्कर्ष ने कहा 

“हां पर ये वक्त दोबारा नहीं आएगा इसलिये, यहां इतनी फुर्सत में आपसे बात कर रही हूं अभी वर्कशॉप खत्म होगी तो सब बिजी हो जाएगा, फिर पता नहीं कब हम ऐसे मिल पाएंगे”, काश्वी ने कहा 

“अच्छा तो ये बात है तुम्हें मुझसे दूर जाने में तकलीफ हो रही है”, निष्कर्ष ने काश्वी को हंसाने के लिये मजाक किया 

“हां ऐसा ही कुछ है”, निष्कर्ष की आंखों में देखते हुए काश्वी ने कहा 

कुछ पल दोनों खामोश रहे, काश्वी जो सोच रही थी जिसकी वजह से उसे तकलीफ हो रही थी वो बात निष्कर्ष समझ गया लेकिन शायद अभी ठीक समय नहीं है इन बातों के लिये, इसलिये उसने बात को टालना ही बेहतर समझा और कहा, “काश्वी इसमें परेशान होने वाली कौन सी बात है, मैं भी तुम्हारे शहर में ही रहता हूं जब भी तुम बुलाओगी आ जाउंगा”,  

“सच में आप मुझसे मिलोगे दिल्ली में?”, काश्वी ने एक्साइटेड होकर कहा 

“हां, हां क्यों नहीं काश्वी, हम दिल्ली में भी ऐसे ही दोस्त रहेंगे”, निष्कर्ष ने जवाब दिया  

काश्वी मुस्कुराई, शायद उसे यही सुनना था  

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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