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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023

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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद
अब काश्‍वी फोन साइलेंट करके सो गई है, निष्‍कर्ष ने कई बार काश्‍वी को फोन किया लेकिन जब उससे  रहा
नहीं गया तो वो काश्‍वी के रूम में पहुंच गया, दो बार खटखटाने के बाद दरवाजा खुला, काश्‍वी ने दरवाजा खोला, वो अभी भी नींद में लग रही है, सामने निष्‍कर्ष को देखकर उसने पूछा, “सुबह हो गई क्‍या?” 

“सुबह के आठ बजे है काश्‍वी, तुम सो रही हो अब तक?,” निष्‍कर्ष ने पूछा 

काश्‍वी वापस अंदर आकर बैठ गई, उसकी आंखे अभी भी पूरी तरह खुली नहीं  

निष्‍कर्ष ने उसकी हालत देखकर पूछा, “रात को ढाई बजे कॉल क्‍यों किया, रात भर काम कर रही थी क्‍या? सोई
कब?” 

“आपने कहा था जब काम पूरा हो तो बता दू, तो वही किया पर आपने फोन नहीं उठाया” 

निष्‍कर्ष मुस्‍कुराने लगा “अच्‍छा, काम हो गया, दिखाओ क्‍या बनाया?”, निष्‍कर्ष ने खुश होकर कहा 

अब काश्‍वी की आंखे पूरी तरह खुल गई,,, “अब क्‍या? तभी दिखाना था, अब तो आप भी सबके साथ देखना” काश्‍वी
ने थोडा गुस्‍सा दिखाते हुए कहा 

“अरे बाबा, सॉरी, फोन का पता ही नहीं चला, चलो माफ कर दो, अब जल्‍दी दिखाओ’, निष्‍कर्ष ने कहा 

पर काश्‍वी कहां मानने वाली है उसने भी जिद पकड़ ली कि अब निष्‍कर्ष भी सबके साथ ही उसकी प्रेजेंटेशन देखेगा, आखिरकार निष्‍कर्ष को ही हार माननी पडी और वो वहां से चला गया 

एक घंटे के बाद वो निष्‍कर्ष से मिली और उसके साथ समय गुजारा  

शाम होने तक दोनों साथ रहे पर काश्‍वी ने निष्‍कर्ष को अपने असाइनमेंट के बारे में कुछ नहीं बताया बस इतना कहा कि इंतजार करो, इंतजार का फल मीठा होगा 

आज वर्कशॉप का आखिरी दिन है, सुबह से ही सब हॉल को सजाने में लगे हैं, एक जबरदस्त माहौल तैयार है इस इवेंट को यादगार बनाने के लिये, दस यंग डायनमिक फोटोग्राफर्स का आखिरी असाइनमेंट, शाम को सब कुछ समय से तैयार हो गया, स्टेज पर प्रोजेक्टर लगाया गया ताकि हर कोई अच्छी तरह अपनी कहानी समझा सके, एक दूसरे से सीखने का ये अच्छा मौका है  

निष्कर्ष पूरे इंतजाम को मोनिटर कर रहा है और काश्वी एक कोने पर अपने लैपटॉप में अपनी प्रेजंटेशन चेक कर रही है, निष्कर्ष ने आकर काश्वी से पूछा, “ऑल सेट, तुम तैयार हो?” 

काश्वी ने मुस्कुराकर कहा, “हां पर आपको अब भी नहीं दिखाउंगी, जब चलेगा तभी देखना”  

निष्‍कर्ष उसे ऑल द बेस्‍ट कहकर अपने काम में लग गया  

प्रोग्राम शुरू हुआ, एक के बाद एक सबका नंबर आया, उत्कर्ष ने सबके काम पर कमेंट दिए, कुछ देर बाद काश्वी का नंबर आया, निष्कर्ष को देखकर लग रहा है कि काश्‍वी से ज्‍यादा वो उसका काम देखने के लिये  एक्साइटेड
है, उधर उत्कर्ष को देखकर भी लगा कि वो भी काश्वी का ही इंतजार कर रहे हैं आखिर वो उनकी फेवरिट स्टूडेंट जो है  

काश्वी स्टेज पर आई और प्रोजेक्टर से अपना लैपटॉप को कनेक्‍ट किया, काश्वी ने सबको हेलो कहा और फिर अपनी प्रजेंटेशन शुरू की   

“अपनी फोटोग्राफ दिखाने से पहले कुछ लाइन्स आपसे शेयर करना चाहती हूं, जिदंगी में कुछ रिश्ते हमेशा के लिये होते है शायद इसलिये हम सोचते हैं कि वो तो हमारे साथ ही रहेंगे वो कहां जाने वाले हैं पर उन रिश्तों की असली अहमियत तब समझ आती है जब वो दूर हो जाते हैं, दूरियां हमेशा शहरों और देशों की नहीं होती, साथ रहते हुए भी दिलों में दूरियां आ जाये तो ये मीलों से भी ज्यादा हो जाती हैं और फिर अगर दोनों तरफ से पहल का इंतजार हो तो दूरी गहरी खाई में बदलती जाती हैं जो वक्त के साथ गहरी और गहरी होती है ऐसे ही जिंदगी के सबसे प्यारे रिश्ते में आई दरार की कहानी है ये, स्टेज की लाइट्स ऑफ हो गई और प्रोजेक्टर पर कुछ तस्वीरें चमकने लगी, उन
तस्वीरों के साथ - साथ काश्वी उसकी कहानी कहने लगी, पहली तस्वीर, पहाड़ों की ठंड में ठिठुरते एक शख्स ने अपने कुछ महीने के छोटे से बच्चे को सीने से लगा रखा है ताकि वो ठंड से ठिठुरे नहीं, खुद चाहे ठंड में रहे पर अपने बच्चे को थोड़ी सी हवा भी नहीं लगने देना चाहता ये पिता  

दूसरी तस्वीर, एक ऐसे पिता कि जो एक छोटी सी दुकान पर बैठा है और उसका बेटा उसे दुकान पर सामान बेचते हुए देख रहा है, पिता कुढ मायूस है शायद आज बिक्री अच्छी नहीं हुई पर उसका बेटा फिर भी हसरत भरी निगाहों से उसे देख रहा है शायद जानता है कि कुछ भी हो उसकी पंसद का खिलौना शाम होते होते उसे मिल ही जाएगा 

तीसरी तस्वीर, एक पांच साल के बच्चे की जो पिता के कंधे पर चढ़कर आधी नींद में कोहरे के बीच स्कूल जाने को निकला है, रास्ता लंबा है पर पिता के चेहरे पर कोई शिकन नहीं, हां आखों में चमक है उम्मीद की, कि एक दिन उनका बेटा इतना बडा़ बनेगा कि उसे इस तरह पैदल रास्ता पार नहीं करना पड़ेगा  

चौथी तस्वीर, साइकिल चलाना सीखते एक 12 साल के बच्चे की जिसकी साइकिल को उसके पापा ने कस कर पकड़ा है ताकि वो गिरे नहीं, बच्चा के चेहरे पर डर है लेकिन पापा खुश है क्योंकि जानते हैं कि आज नहीं तो कल वो खुद साइकिल चलाना सीख ही लेगा 

पांचवी तस्वीर, एक शादी की, जहां बेटे को दुल्हा बना देख, पिता की आंखों से खुशी झलक रही है और हाथ बेटे और बहु के सर पर है ताकि आर्शीवाद का साया उन्हें हर मुसीबत से बचा सके  

छठी तस्वीर में अपने पिता को अपनी नई गाड़ी में बिठाता बेटा गर्व करता हुआ दिखाई दे रहा है आज उसे सूकून मिला है कि वो अपने पिता के लिये कुछ कर पाया है इसी तरह कई और तस्वीरों की पूरी बानगी है जो इस रिश्ते के कई आयामों को दिखाती है 

एक के बाद एक कई तस्वीरें जिसमें पिता और बेटे के रिश्ते की गहराई को दिखाया गया और काश्वी उन तस्वीरों के साथ अपनी आवाज को ऐसे घोल रही थी कि सब बस उसकी आवाज के नशे में चूर रहे  

'जब गिरा तो थामने पहुंचे 

जब थका तो पकड़ कर संभाला 

एक उंगली के सहारे से चलना सीखा 

एक आवाज को सुनकर बोलना जाना 

हर कदम पर पीछे खड़े थे 

हर मंजिल पर साथ 

क्यों राहें हुई अलग फिर 

क्यों आई दूरी इस बार 

न डांटा, न मारा 

बस ओढ़ ली खामोशी 

कह दो एक बार 

चल दो फिर साथ 

गिरना है फिर मुझे 

अगर संभालने तुम आओ 

आखिर में निष्कर्ष और उत्कर्ष की एक पुरानी तस्‍वीर है, छोटा सा निष्कर्ष अपने पापा की गोद में है और खुशी उन दोनों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही हैं

अपना प्रजेंटेशन खत्म करते करते काश्वी ने कहा कि ये तस्वीर बहुत खास है ये मैंने नहीं ली पर सोचा इससे अच्छा उदाहरण इस रिश्ते को समझने का आज और क्या होगा जब एक पिता और बेटा यहां हमारे बीच हैं जिनकी वजह से आज हम सब यहां हैं  

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत बहुत सुन्दर , सराहनीय भी |

30 जनवरी 2023

Geeta Sharma

Geeta Sharma

31 जनवरी 2023

Thank you so much

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
5.0
अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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