सुबह जब निष्कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्वी क्यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद
अब काश्वी फोन साइलेंट करके सो गई है, निष्कर्ष ने कई बार काश्वी को फोन किया लेकिन जब उससे रहा
नहीं गया तो वो काश्वी के रूम में पहुंच गया, दो बार खटखटाने के बाद दरवाजा खुला, काश्वी ने दरवाजा खोला, वो अभी भी नींद में लग रही है, सामने निष्कर्ष को देखकर उसने पूछा, “सुबह हो गई क्या?”
“सुबह के आठ बजे है काश्वी, तुम सो रही हो अब तक?,” निष्कर्ष ने पूछा
काश्वी वापस अंदर आकर बैठ गई, उसकी आंखे अभी भी पूरी तरह खुली नहीं
निष्कर्ष ने उसकी हालत देखकर पूछा, “रात को ढाई बजे कॉल क्यों किया, रात भर काम कर रही थी क्या? सोई
कब?”
“आपने कहा था जब काम पूरा हो तो बता दू, तो वही किया पर आपने फोन नहीं उठाया”
निष्कर्ष मुस्कुराने लगा “अच्छा, काम हो गया, दिखाओ क्या बनाया?”, निष्कर्ष ने खुश होकर कहा
अब काश्वी की आंखे पूरी तरह खुल गई,,, “अब क्या? तभी दिखाना था, अब तो आप भी सबके साथ देखना” काश्वी
ने थोडा गुस्सा दिखाते हुए कहा
“अरे बाबा, सॉरी, फोन का पता ही नहीं चला, चलो माफ कर दो, अब जल्दी दिखाओ’, निष्कर्ष ने कहा
पर काश्वी कहां मानने वाली है उसने भी जिद पकड़ ली कि अब निष्कर्ष भी सबके साथ ही उसकी प्रेजेंटेशन देखेगा, आखिरकार निष्कर्ष को ही हार माननी पडी और वो वहां से चला गया
एक घंटे के बाद वो निष्कर्ष से मिली और उसके साथ समय गुजारा
शाम होने तक दोनों साथ रहे पर काश्वी ने निष्कर्ष को अपने असाइनमेंट के बारे में कुछ नहीं बताया बस इतना कहा कि इंतजार करो, इंतजार का फल मीठा होगा
आज वर्कशॉप का आखिरी दिन है, सुबह से ही सब हॉल को सजाने में लगे हैं, एक जबरदस्त माहौल तैयार है इस इवेंट को यादगार बनाने के लिये, दस यंग डायनमिक फोटोग्राफर्स का आखिरी असाइनमेंट, शाम को सब कुछ समय से तैयार हो गया, स्टेज पर प्रोजेक्टर लगाया गया ताकि हर कोई अच्छी तरह अपनी कहानी समझा सके, एक दूसरे से सीखने का ये अच्छा मौका है
निष्कर्ष पूरे इंतजाम को मोनिटर कर रहा है और काश्वी एक कोने पर अपने लैपटॉप में अपनी प्रेजंटेशन चेक कर रही है, निष्कर्ष ने आकर काश्वी से पूछा, “ऑल सेट, तुम तैयार हो?”
काश्वी ने मुस्कुराकर कहा, “हां पर आपको अब भी नहीं दिखाउंगी, जब चलेगा तभी देखना”
निष्कर्ष उसे ऑल द बेस्ट कहकर अपने काम में लग गया
प्रोग्राम शुरू हुआ, एक के बाद एक सबका नंबर आया, उत्कर्ष ने सबके काम पर कमेंट दिए, कुछ देर बाद काश्वी का नंबर आया, निष्कर्ष को देखकर लग रहा है कि काश्वी से ज्यादा वो उसका काम देखने के लिये एक्साइटेड
है, उधर उत्कर्ष को देखकर भी लगा कि वो भी काश्वी का ही इंतजार कर रहे हैं आखिर वो उनकी फेवरिट स्टूडेंट जो है
काश्वी स्टेज पर आई और प्रोजेक्टर से अपना लैपटॉप को कनेक्ट किया, काश्वी ने सबको हेलो कहा और फिर अपनी प्रजेंटेशन शुरू की
“अपनी फोटोग्राफ दिखाने से पहले कुछ लाइन्स आपसे शेयर करना चाहती हूं, जिदंगी में कुछ रिश्ते हमेशा के लिये होते है शायद इसलिये हम सोचते हैं कि वो तो हमारे साथ ही रहेंगे वो कहां जाने वाले हैं पर उन रिश्तों की असली अहमियत तब समझ आती है जब वो दूर हो जाते हैं, दूरियां हमेशा शहरों और देशों की नहीं होती, साथ रहते हुए भी दिलों में दूरियां आ जाये तो ये मीलों से भी ज्यादा हो जाती हैं और फिर अगर दोनों तरफ से पहल का इंतजार हो तो दूरी गहरी खाई में बदलती जाती हैं जो वक्त के साथ गहरी और गहरी होती है ऐसे ही जिंदगी के सबसे प्यारे रिश्ते में आई दरार की कहानी है ये, स्टेज की लाइट्स ऑफ हो गई और प्रोजेक्टर पर कुछ तस्वीरें चमकने लगी, उन
तस्वीरों के साथ - साथ काश्वी उसकी कहानी कहने लगी, पहली तस्वीर, पहाड़ों की ठंड में ठिठुरते एक शख्स ने अपने कुछ महीने के छोटे से बच्चे को सीने से लगा रखा है ताकि वो ठंड से ठिठुरे नहीं, खुद चाहे ठंड में रहे पर अपने बच्चे को थोड़ी सी हवा भी नहीं लगने देना चाहता ये पिता
दूसरी तस्वीर, एक ऐसे पिता कि जो एक छोटी सी दुकान पर बैठा है और उसका बेटा उसे दुकान पर सामान बेचते हुए देख रहा है, पिता कुढ मायूस है शायद आज बिक्री अच्छी नहीं हुई पर उसका बेटा फिर भी हसरत भरी निगाहों से उसे देख रहा है शायद जानता है कि कुछ भी हो उसकी पंसद का खिलौना शाम होते होते उसे मिल ही जाएगा
तीसरी तस्वीर, एक पांच साल के बच्चे की जो पिता के कंधे पर चढ़कर आधी नींद में कोहरे के बीच स्कूल जाने को निकला है, रास्ता लंबा है पर पिता के चेहरे पर कोई शिकन नहीं, हां आखों में चमक है उम्मीद की, कि एक दिन उनका बेटा इतना बडा़ बनेगा कि उसे इस तरह पैदल रास्ता पार नहीं करना पड़ेगा
चौथी तस्वीर, साइकिल चलाना सीखते एक 12 साल के बच्चे की जिसकी साइकिल को उसके पापा ने कस कर पकड़ा है ताकि वो गिरे नहीं, बच्चा के चेहरे पर डर है लेकिन पापा खुश है क्योंकि जानते हैं कि आज नहीं तो कल वो खुद साइकिल चलाना सीख ही लेगा
पांचवी तस्वीर, एक शादी की, जहां बेटे को दुल्हा बना देख, पिता की आंखों से खुशी झलक रही है और हाथ बेटे और बहु के सर पर है ताकि आर्शीवाद का साया उन्हें हर मुसीबत से बचा सके
छठी तस्वीर में अपने पिता को अपनी नई गाड़ी में बिठाता बेटा गर्व करता हुआ दिखाई दे रहा है आज उसे सूकून मिला है कि वो अपने पिता के लिये कुछ कर पाया है इसी तरह कई और तस्वीरों की पूरी बानगी है जो इस रिश्ते के कई आयामों को दिखाती है
एक के बाद एक कई तस्वीरें जिसमें पिता और बेटे के रिश्ते की गहराई को दिखाया गया और काश्वी उन तस्वीरों के साथ अपनी आवाज को ऐसे घोल रही थी कि सब बस उसकी आवाज के नशे में चूर रहे
'जब गिरा तो थामने पहुंचे
जब थका तो पकड़ कर संभाला
एक उंगली के सहारे से चलना सीखा
एक आवाज को सुनकर बोलना जाना
हर कदम पर पीछे खड़े थे
हर मंजिल पर साथ
क्यों राहें हुई अलग फिर
क्यों आई दूरी इस बार
न डांटा, न मारा
बस ओढ़ ली खामोशी
कह दो एक बार
चल दो फिर साथ
गिरना है फिर मुझे
अगर संभालने तुम आओ
आखिर में निष्कर्ष और उत्कर्ष की एक पुरानी तस्वीर है, छोटा सा निष्कर्ष अपने पापा की गोद में है और खुशी उन दोनों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही हैं
अपना प्रजेंटेशन खत्म करते करते काश्वी ने कहा कि ये तस्वीर बहुत खास है ये मैंने नहीं ली पर सोचा इससे अच्छा उदाहरण इस रिश्ते को समझने का आज और क्या होगा जब एक पिता और बेटा यहां हमारे बीच हैं जिनकी वजह से आज हम सब यहां हैं