निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहां इस छोटी सी जगह में खुश हो, यहां से जाना नहीं चाहती, ऐसा क्या है काश्वी? तुम बाकी सबसे अलग कैसे हो?”
“हां ये सही कहा, मैं भी जिन लड़कियों को जानती हूं वो कभी ऐसी जगह आने के बारे में कोई सपना तो नहीं देखेगी, पता है मेरी जितनी फ्रेंडस है सब बोलती थी उन्हें यूएस जाना है या लंदन, सिंगापुर, स्वीट्जरलैंड जाना है कई तो गई भी लेकिन पता नहीं क्यों ऐसा कुछ सोचा नहीं कभी, मुझे लगता है आप जहां रहो उसकी खूबसूरती को समझो, उसे इंजॉय करो, जरूरी नहीं जो फेमस है वहीं सुंदर है ये जगह शायद दुनिया के टूरिस्ट डेस्टिनेशन की लिस्ट में न
आये पर मेरी लिस्ट में अब ये सबसे उपर है”
“अच्छा ऐसी क्या खासियत है इस जगह में?”, निष्कर्ष ने पूछा
“यहां आने से पहले आपने ही कहा कि जिंदगी की झलक नहीं दिखती मेरी फोटोग्राफी में, अब एक महीना यहां
रहने के बाद फोटोग्राफी तो पता नहीं पर अपनी जिंदगी में जिंदगी की झलक जरूर दिखी और वो सबसे प्यारा ख्याल है ऐसी याद लेकर यहां से जाउंगी जो हमेशा मेरे साथ रहेगी”, काश्वी ने जवाब दिया
“ओ हो, लगता है तुम अच्छी फोटोग्राफर के साथ अच्छी राइटर भी बनोगी, बातें बहुत अच्छी करती हो मन करता है बस सुनता रहूं”, निष्कर्ष ने हंस कर कहा
“मेरी बातें, हां”, काश्वी भी हंस कर बोली, “वैसे आप ऐसे पहले इंसान हो जिससे मैं इतनी बातें कर रही हूं”, काश्वी ने कहा
“हां मुझे याद है जब तुम यहां आई थी तो किसी से बात नहीं कर रही थी अपनी दुनिया में मस्त थी वो तो शायद मेरी किस्मत अच्छी थी कि तुम्हें मुझसे काम पड़ा इसलिये शायद हम दोस्त बन गये नहीं तो मैं भी तुम्हारे लिये अजनबी ही रहता”, निष्कर्ष ने कहा
“नहीं ऐसा नहीं होता, आज नहीं तो कल मैं आपसे बात जरूर करती”, काश्वी ने मुस्कुरा कर कहा
“अच्छा वो क्यों?”, निष्कर्ष ने पूछा
“क्योंकि आप मेरे टाइप के हो, इसलिये”, काश्वी ने कहा
“तुम्हारे टाइप का मतलब?” निष्कर्ष ने हैरानी से पूछा
“वो कल बताउंगी अभी थोड़ी ठंड लग रही है अंदर चले”, काश्वी ने कहा
काश्वी और निष्कर्ष दोनों अंदर चले गये, अगले दिन सुबह जब निष्कर्ष उठा तो उसके मोबाइल पर काश्वी का एक मैसेज था जिसमें लिखा था कि उसे आइडिया मिल गया और वो फोटो लेने बाहर जा रही है। सुबह 6 बजे ही काश्वी अपने असाइनमेंट को पूरा करने निकल गई। मैसेज पढ़कर निष्कर्ष खुश हो गया, काश्वी को उसका असाइनमेंट पूरा करने का आइडिया मिल गया, उसने काश्वी को ऑल द बेस्ट लिखकर एक मैसेज कर दिया।
निष्कर्ष ने पूरा दिन काश्वी को डिस्टर्ब नहीं किया, वो अपने कमरे में ही अपना काम करता रहा, शाम को खिड़की से
बाहर देख रहे निष्कर्ष को सामने से काश्वी आती दिखाई दी, काश्वी को आता देख निष्कर्ष उससे मिलने नीचे आ गया। काश्वी भी निष्कर्ष को सामने देखकर खुश हो गई
निष्कर्ष ने पूछा, “काम हो गया?”
“हां हो गया”, एक गहरी सांस भरते हुए काश्वी ने कहा
“तो अब?”, निष्कर्ष ने पूछा
“अब इसका पूरा प्रेजेंटेशन तैयार करना है हम डिनर के टाइम पर मिलें? काम खत्म करना हैं”, काश्वी ने कहा
“हां बिलकुल, क्या मैं कुछ मदद करुं काश्वी?”, निष्कर्ष ने पूछा
“नहीं, मैं कर लूंगी”, काश्वी ने मुस्कुराकर कहा और फिर वहां से चली गई
निष्कर्ष जानता है कि काश्वी उसकी मदद नहीं लेगी इसलिए उसे फोर्स नहीं किया और जाने दिया।
पहले फोटो सिलेक्ट करने हैं, फिर उनके जरीये एक कहानी कहनी है। काश्वी के पास काम ज्यादा है और वक्त कम, अपने कमरे में पहुंचकर वो सीधा काम में जुट गई, इस असाइनमेंट का अच्छा होना उसकी लिये बहुत ज्शदा मायने रखता है। वो जानती है कि उत्कर्ष सर को उससे बहुत उम्मीदें हैं और उन पर खरा उतरने का ये आखिरी मौका है, काश्वी ने इसमें पूरा जी जान लगा दिया। काम करते करते वक्त का कुछ पता नहीं चला, देखते - देखते
चार पांच घंटे गुजर गये।
निष्कर्ष काफी देर से काश्वी का इंतजार कर रहा था थक हार कर उसने काश्वी को फोन किया, निष्कर्ष ने काश्वी को डिनर के लिये नीचे आने को कहा तो काश्वी ने मना कर दिया, काश्वी ने कहा कि उसका बहुत काम बाकी है और उसे खत्म करना है।
“काम तो हो जाएगा डिनर करने के लिये आओ”, निष्कर्ष ने फिर कहा तो काश्वी मना कर नहीं कर पाई
नीचे आकर वो जल्दी - जल्दी खाना खाने लगी तो निष्कर्ष उसे देखकर हंसने लगा,
“इतनी जल्दी क्या है काश्वी कल शाम में हैं प्रजेंटेशन तुम्हारे पास सुबह भी टाइम होगा,
“हां पर मुझे नींद नहीं आएगी जब तक ये खत्म नहीं होगा”, काश्वी ने खाते - खाते कहा और अचानक उठ खड़ी हुई
“खा लिया अब जाउं?”, काश्वी ने पूछा
“नहीं, अभी नहीं”, निष्कर्ष ने शरारत भरे अंदाज में कहा
“हां ना प्लीज मैं जाउं?”, काश्वी ने मासूमियत से कहा
निष्कर्ष जानता है कि अब काश्वी रुकने वाली नहीं, उसने मुस्कुरा कर सर हां में हिला दिया पर साथ ही कहा, “ठीक है जाओ पर सबसे पहले मुझे दिखाओगी अपना असाइनमेंट”
“हां पक्का आपको ही दिखाउंगी, अब जाउं?”, काश्वी ने कहा
“हां ठीक है”, निष्कर्ष का ये जवाब सुनते ही काश्वी वहां से चली गई
ये असाइनमेंट जितना काश्वी के लिये जरूरी है उतना ही निष्कर्ष के लिये भी है।
एक कहानी बुननी है जिसमें तस्वीरों बातें करें, तस्वीरों में ही हंसी, खुशी का दरिया लाना है और उन्हीं के जरीये आंसू की बूंदे भी बरसानी हैं, काश्वी के लिये ये असाइनमेंट बहुत खास है इसकी कई वजह हैं लेकिन वो जो करने जा रही है उसका असर क्या होगा इससे वो अनजान है, क्या निष्कर्ष और उत्कर्ष को ये पंसद आएगा ये अभी वो सोचना नहीं चाहती, उसे बस इतना पता है कि जो वो करने जा रही है उस पर उसे पूरा भरोसा है।
सही है हमेशा कुछ भी करने से पहले उसके अंजाम के बारे में सोचकर परेशान नहीं होना चाहिए कभी कभी
दिमाग की नहीं दिल की भी सुननी चाहिए जरूरी नहीं कि जो अंजाम आप सोचकर कोई काम करने या न करने का फैसला लें उसका अंजाम वही हो, कुछ बातें हमारी समझ से परे होती है हम तो वही सोच पाते है जो हमें पता होता है लेकिन हमारी सोच के दायरे के बाहर एक पूरी दुनिया है जहां ऐसी चीजें भी होती है जिनके बारे में हमें पता ही नहीं होता इसलिए कभी - कभी कुछ बिना किसी डर के करना चाहिए पर इसके लिये खुद पर भरोसा होना जरूरी है अगर आपको लगता है कि आप सही है तो फिर कुछ और सोचने की जरूरत नहीं होती।
काश्वी के पास यही आत्मविश्वास है जिसको साथ लेकर वो आगे बढ रही है, रात के ढाई बज गये, अब काश्वी ने
राहत की सांस ली क्योंकि उसका पूरा प्रेजेंटेशन तैयार है। जैसा उसने सोचा ठीक वैसा ही बना, उसे पूरा करते - करते वो बहुत थक गई थी लेकिन अब फाइनल रिजल्ट देखने के बाद उसकी सारी थकान दूर हो गई, अब
काश्वी अपनी आंखे बंद कर उस लम्हें के बारे में सोचने लगी जब सब उसकी बनायी इस कहानी को देखेंगे, अभी वो ये सोच ही रही कि उसे निष्कर्ष की कही बात याद आ गई, उसने फौरन निष्कर्ष को फोन किया पर रात के ढाई बजे जाहिर है वो सो रहा होगा, काफी देर तक घंटी बजती रही पर शायद निष्कर्ष फोन साइलेंट करके सोया था तो बात नहीं हो पाई।
काश्वी को थोड़ा गुस्सा भी आया पर फिर टाइम देखकर उसने सोचा इतनी रात को निष्कर्ष सोएगा नहीं तो और क्या करेगा।