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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022

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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहां इस छोटी सी जगह में खुश हो, यहां से जाना नहीं चाहती, ऐसा क्या है काश्वी? तुम बाकी सबसे अलग कैसे हो?”

“हां ये सही कहा, मैं भी जिन लड़कियों को जानती हूं वो कभी ऐसी जगह आने के बारे में कोई सपना तो नहीं देखेगी, पता है मेरी जितनी फ्रेंडस है सब बोलती थी उन्हें यूएस जाना है या लंदन, सिंगापुर, स्वीट्जरलैंड जाना है कई तो गई भी लेकिन पता नहीं क्यों ऐसा कुछ सोचा नहीं कभी, मुझे लगता है आप जहां रहो उसकी खूबसूरती को समझो, उसे इंजॉय करो, जरूरी नहीं जो फेमस है वहीं सुंदर है ये जगह शायद दुनिया के टूरिस्ट डेस्टिनेशन की लिस्ट में न
आये पर मेरी लिस्ट में अब ये सबसे उपर है”

“अच्छा ऐसी क्या खासियत है इस जगह में?”, निष्कर्ष ने पूछा

“यहां आने से पहले आपने ही कहा कि जिंदगी की झलक नहीं दिखती मेरी फोटोग्राफी में, अब एक महीना यहां
रहने के बाद फोटोग्राफी तो पता नहीं पर अपनी जिंदगी में जिंदगी की झलक जरूर दिखी और वो सबसे प्यारा ख्याल है ऐसी याद लेकर यहां से जाउंगी जो हमेशा मेरे साथ रहेगी”, काश्वी ने जवाब दिया

“ओ हो, लगता है तुम अच्छी फोटोग्राफर के साथ अच्छी राइटर भी बनोगी, बातें बहुत अच्छी करती हो मन करता है बस सुनता रहूं”, निष्कर्ष ने हंस कर कहा

“मेरी बातें, हां”, काश्वी भी हंस कर बोली, “वैसे आप ऐसे पहले इंसान हो जिससे मैं इतनी बातें कर रही हूं”, काश्वी ने कहा

“हां मुझे याद है जब तुम यहां आई थी तो किसी से बात नहीं कर रही थी अपनी दुनिया में मस्त थी वो तो शायद मेरी किस्मत अच्छी थी कि तुम्हें मुझसे काम पड़ा इसलिये शायद हम दोस्त बन गये नहीं तो मैं भी तुम्हारे लिये अजनबी ही रहता”, निष्कर्ष ने कहा

“नहीं ऐसा नहीं होता, आज नहीं तो कल मैं आपसे बात जरूर करती”, काश्वी ने मुस्कुरा कर कहा

“अच्छा वो क्यों?”, निष्कर्ष ने पूछा

“क्योंकि आप मेरे टाइप के हो, इसलिये”, काश्वी ने कहा

“तुम्हारे टाइप का मतलब?” निष्कर्ष ने हैरानी से पूछा

“वो कल बताउंगी अभी थोड़ी ठंड लग रही है अंदर चले”, काश्वी ने कहा

काश्‍वी और निष्‍कर्ष दोनों अंदर चले गये, अगले दिन सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसके मोबाइल पर काश्‍वी का एक मैसेज था जिसमें लिखा था कि उसे आइडिया मिल गया और वो फोटो लेने बाहर जा रही है। सुबह 6 बजे ही काश्‍वी अपने असाइनमेंट को पूरा करने निकल गई। मैसेज पढ़कर निष्‍कर्ष खुश हो गया, काश्‍वी को उसका असाइनमेंट पूरा करने का आइडिया मिल गया, उसने काश्‍वी को ऑल द बेस्‍ट लिखकर एक मैसेज कर दिया।

निष्‍कर्ष ने पूरा दिन काश्‍वी को डिस्‍टर्ब नहीं किया, वो अपने कमरे में ही अपना काम करता रहा, शाम को खिड़की से
बाहर देख रहे निष्‍कर्ष को सामने से काश्‍वी आती दिखाई दी, काश्‍वी को आता देख निष्‍कर्ष उससे मिलने नीचे आ गया। काश्‍वी भी निष्‍कर्ष को सामने देखकर खुश हो गई

निष्‍कर्ष ने पूछा, “काम हो गया?”

“हां हो गया”, एक गहरी सांस भरते हुए काश्‍वी ने कहा

“तो अब?”, निष्‍कर्ष ने पूछा

“अब इसका पूरा प्रेजेंटेशन तैयार करना है हम डिनर के टाइम पर मिलें? काम खत्‍म करना हैं”, काश्‍वी ने कहा

“हां बिलकुल, क्‍या मैं कुछ मदद करुं काश्‍वी?”, निष्‍कर्ष ने पूछा

“नहीं, मैं कर लूंगी”, काश्‍वी ने मुस्‍कुराकर कहा और फि‍र वहां से चली गई

निष्‍कर्ष जानता है कि काश्‍वी उसकी मदद नहीं लेगी इसलिए उसे फोर्स नहीं किया और जाने दिया।

पहले फोटो सिलेक्‍ट करने हैं, फि‍र उनके जरीये एक कहानी कहनी है। काश्‍वी के पास काम ज्‍यादा है और वक्‍त कम, अपने कमरे में पहुंचकर वो सीधा काम में जुट गई, इस असाइनमेंट का अच्‍छा होना उसकी लिये बहुत ज्‍शदा मायने रखता है। वो जानती है कि उत्‍कर्ष सर को उससे बहुत उम्‍मीदें हैं और उन पर खरा उतरने का ये आखिरी मौका है, काश्‍वी ने इसमें पूरा जी जान लगा दिया। काम करते करते वक्‍त का कुछ पता नहीं चला, देखते - देखते
चार पांच घंटे गुजर गये।

निष्‍कर्ष काफी देर से काश्‍वी का इंतजार कर रहा था थक हार कर उसने काश्‍वी को फोन किया, निष्‍कर्ष ने काश्‍वी को डिनर के लिये नीचे आने को कहा तो काश्‍वी ने मना कर दिया, काश्‍वी ने कहा कि उसका बहुत काम बाकी है और उसे खत्‍म करना है।

“काम तो हो जाएगा डिनर करने के लिये आओ”, निष्‍कर्ष ने फि‍र कहा तो काश्‍वी मना कर नहीं कर पाई

नीचे आकर वो जल्‍दी - जल्‍दी खाना खाने लगी तो निष्‍कर्ष उसे देखकर हंसने लगा,

“इतनी जल्‍दी क्‍या है काश्‍वी कल शाम में हैं प्रजेंटेशन तुम्‍हारे पास सुबह भी टाइम होगा,

“हां पर मुझे नींद नहीं आएगी जब तक ये खत्‍म नहीं होगा”, काश्‍वी ने खाते - खाते कहा और अचानक उठ खड़ी हुई
“खा लिया अब जाउं?”, काश्‍वी ने पूछा

“नहीं, अभी नहीं”, निष्‍कर्ष ने शरारत भरे अंदाज में कहा

“हां ना प्‍लीज मैं जाउं?”, काश्‍वी ने मासूमियत से कहा

निष्‍कर्ष जानता है कि अब काश्‍वी रुकने वाली नहीं, उसने मुस्‍कुरा कर सर हां में हिला दिया पर साथ ही कहा, “ठीक है जाओ पर सबसे पहले मुझे दिखाओगी अपना असाइनमेंट”

“हां पक्‍का आपको ही दिखाउंगी, अब जाउं?”, काश्‍वी ने कहा

“हां ठीक है”, निष्‍कर्ष का ये जवाब सुनते ही काश्‍वी वहां से चली गई

ये असाइनमेंट जितना काश्‍वी के लिये जरूरी है उतना ही निष्‍कर्ष के लिये भी है।

एक कहानी बुननी है जिसमें तस्‍वीरों बातें करें, तस्‍वीरों में ही हंसी, खुशी का दरिया लाना है और उन्‍हीं के जरीये आंसू की बूंदे भी बरसानी हैं, काश्‍वी के लिये ये असाइनमेंट बहुत खास है इसकी कई वजह हैं लेकिन वो जो करने जा रही है उसका असर क्‍या होगा इससे वो अनजान है, क्‍या निष्‍कर्ष और उत्‍कर्ष को ये पंसद आएगा ये अभी वो सोचना नहीं चाहती, उसे बस इतना पता है कि जो वो करने जा रही है उस पर उसे पूरा भरोसा है।

सही है हमेशा कुछ भी करने से पहले उसके अंजाम के बारे में सोचकर परेशान नहीं होना चाहिए कभी कभी
दिमाग की नहीं दिल की भी सुननी चाहिए जरूरी नहीं कि जो अंजाम आप सोचकर कोई काम करने या न करने का फैसला लें उसका अंजाम वही हो, कुछ बातें हमारी समझ से परे होती है हम तो वही सोच पाते है जो हमें पता होता है लेकिन हमारी सोच के दायरे के बाहर एक पूरी दुनिया है जहां ऐसी चीजें भी होती है जिनके बारे में हमें पता ही नहीं होता इसलिए कभी - कभी कुछ बिना किसी डर के करना चाहिए पर इसके लिये खुद पर भरोसा होना जरूरी है अगर आपको लगता है कि आप सही है तो फि‍र कुछ और सोचने की जरूरत नहीं होती।

काश्‍वी के पास यही आत्‍मविश्‍वास है जिसको साथ लेकर वो आगे बढ रही है, रात के ढाई बज गये, अब काश्‍वी ने
राहत की सांस ली क्‍योंकि उसका पूरा प्रेजेंटेशन तैयार है। जैसा उसने सोचा ठीक वैसा ही बना, उसे पूरा करते - करते वो बहुत थक गई थी लेकिन अब फाइनल रिजल्‍ट देखने के बाद उसकी सारी थकान दूर हो गई, अब
काश्‍वी अपनी आंखे बंद कर उस लम्‍हें के बारे में सोचने लगी जब सब उसकी बनायी इस कहानी को देखेंगे, अभी वो ये सोच ही रही कि उसे निष्‍कर्ष की कही बात याद आ गई, उसने फौरन निष्‍कर्ष को फोन किया पर रात के ढाई बजे जाहिर है वो सो रहा होगा, काफी देर तक घंटी बजती रही पर शायद निष्‍कर्ष फोन साइलेंट करके सोया था तो बात नहीं हो पाई।

काश्‍वी को थोड़ा गुस्‍सा भी आया पर फि‍र टाइम देखकर उसने सोचा इतनी रात को निष्‍कर्ष सोएगा नहीं तो और क्‍या करेगा।

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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