*हमारा देश भारत आदिकाल से सनातन संस्कृति का वाहक रहा है | परिवर्तन सृष्टि का नियम रहा है इसी परिवर्तन के चलते हमारे देश में समय-समय पर भिन्न - भिन्न संस्कृतियों की स्थापना हुई एवं सनातन धर्म से विलग होकर के अनेक धर्म एवं संप्रदाय के लोगों ने अपनी - अपनी संस्कृति की स्थापना की | आज हमारे देश के प्रत्
*संपूर्ण विश्व में विविधता में एकता यदि कहीं देखने को मिलती है तो वह हमारा देश भारत है जहां विभिन्न धर्म जाति वर्ण के लोग एक साथ रहते हैं | हमारा देश एकमात्र ऐसा देश है जहां भिन्न-भिन्न जातियों के वंशज एक साथ रहते हैं और इन सब की मूल धरोहर है इनकी संस्कृति , सभ्
*आदिकाल से ही हमारे देश भारत को पुण्यभूमि कहा जाता रहा है | आध्यात्मिकता के उच्चशिखर को इस देश ने छुआ है तो उसका एक प्रमुख कारण यह रहा है कि यहाँ समय - समय पर महापुरुषों ने जन्म लेकर मानवता की स्थापना करने का प्रयास किया है | आदिकाल से लेकर अब तक आध्यात्मिकता एवं मानव धर्म एवं समसरता का उदाहरण प्रस्
*इस समस्त सृष्टि में हमारा देश भारत अपने गौरवशाली संस्कृति एवं सभ्यता के लिए संपूर्ण विश्व में जाना जाता था | अनेक ऋषि - महर्षियों ने इसी पुण्य भूमि भारत में जन्म लेकर के मानव मात्र के कल्याण के लिए अनेकों प्रकार की मान्यताओं एवं परंपराओं का सृजन किया | संस्कृति एवं सभ्यता का प्रसार हमारे देश भारत स
(जो देश चांदतारों, मंगल पर पहुंच कर इठला रहे हैं,विज्ञान के नए-नए आविष्कार कर देश के लिए खुशियां समेट रहे हैं,उन की तुलना में हम कहां हैं ? पढ़ कर आप कीआंखें खुली की खुली रह जाएंगी ।)अधिकतरभारतीय जानते ही नहीं कि, संस्कृति है क्या ? जिसे वे अपनी संस्कृति बता रहेहैं, क
वृषभ राशि वाले जातको के लिए कोनसी राशि के जातक मित्र है और कोनसी राशि के जातक शत्रु ,यह जानना बहुत जरुरी है| यदि आपकी राशि वृषभ है तो आपको किन राशि वालो से मित्रता करनी चाहिए और किन राशि वालो से दूर रहना चाहिए | यह भी वृषभ राशि वालो के लिए
*प्राचीन काल से ही सनातन धर्म की मान्यताएं एवं इसके संस्कार स्वयं में एक दिव्य धारणा लिए हुए मानव मात्र के कल्याण के लिए हमारे महापुरुषों के द्वारा प्रतिपादित किए गए हैं | प्रत्येक मनुष्य में संस्कार का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि संस्कार के बिना मनुष्य पशुवत् हो जाता है | मीमांसादर्शन में संस्कार क
*जब से सृष्टि का सृजन हुआ तब से लेकर आज तक सनातन धर्म के छांव तले सृष्टि चलायमान हुई | परिवर्तन सृष्टि का नियम है | जो कल था वह आज नहीं है जो आज है वह कल नहीं रहेगा , दिन बदलते जाते हैं और एक दिन ऐसा भी आता है जिसे मनुष्य वर्ष का पहला दिन मानकर नववर्ष मनाने में लग जाता है | विचारणीय विषय है कि हम स
*हमारा सनातन धर्म एवं साहित्य इतना व्यापक है कि इसे संसार का स्रोत माना जाता है | संसार की सभी सभ्यतायें , सभी धर्म सनातन से ही निकली हैं ! जिस प्रकार एक परिवार की संतानें क्रोधातिरेक या आपसी मनमुटाव से अलग घर बना लेती हैं ! उसी प्रकार सनातन धर्म में भी कुछ लोग अलग हुए ! उन्होंने अपनी मान्यतायें स्थ
*इस धराधाम पर ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति बनकर आई मनुष्य | मनुष्य की रचना परमात्मा ने इतनी सूक्ष्मता एवं तल्लीनता से की है कि समस्त भूमण्डल पर उसका कोई जोड़ ही नहीं है | सुंदर मुखमंडल , कार्य करने के लिए हाथ , यात्रा करने के लिए पैर , भोजन करने के लिए मुख , देखने के लिए आँखें , सुनने के लिए कान , एवं
*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख
भारतीय दंड संहिता का सेक्शन 377, जिसके अंतर्गत आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध आपराधिक थे, अब आपराधिक नहीं रहेंगे. 6 सिंतबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के जीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि Homosexuality या समलैंगिकता अपराध नहीं है.दीपक मिश्रा के शब्द
बिहार का मिथिला क्षेत्र अपनी संस्कृति, परंपरा, सामाजिक आचार-विचार और प्राचीन धरोहरों के लिए जाना जाता है. वहीं, साहित्यिक रूप से भी मिथिला का इतिहास समृद्ध रहा है. साहित्य और संस्कृति हमारी वैभवशाली परंपरा को प्रकट करने के माध्यम हैं. इसी परंपरा को मिथिला क्षेत्र में फिर
बळ्यो सम्प रो बूंट राजपूत केवल एक जाति ही नहीं है बल्कि यह धैर्य, साहस, शौर्य, त्याग, सच्चरित्रता, स्वामिभक्ति एवं सुशासन का पर्याय भी है । कवियों ने इसे समाज व दीन-दुखियों के हितैषी के रूप में इंगित किया है - रण ख
कार्तिक-कृष्णपक्ष चौथ का चाँद देखती हैं सुहागिनें आटा छलनी से.... उर्ध्व-क्षैतिज तारों के जाल से दिखता चाँद सुनाता है दो दिलों का अंतर्नाद। सुख-सौभाग्य की इच्छा का संकल्प होता नहीं जिसका विकल्प एक ही अक्स समाया रहता आँख से ह्रदय तक जीवनसाथी को समर्पित निर्जला व्रत चंद्रोदय तक। छलनी से छनकर आती
मित्रो बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है ! आपको सुन कर हैरानी होगी भारत मे एक मूल प्रति है मनुसमृति की जो हजारो वर्षो से आई है और एक मनुस्मृति अंग्रेज़ो ने लिखवाई है ! और अंग्रेज़ो ने इसको लिखवाने
अनेकता में एकता की मिसाल कैसे ? हिंदू sanskriti जिस धरती पर समृद्ध हुई, उसकी आबादी के बारे में हम जान चुके हैं कि वह मूलतः चार जातियों का मिश्रण रही है. इन्हीं जातियों के बीच के वैवाहिक संबंधों ने हमारी संस्कृति को बहुरंगा स्वरूप प्रदान किया. विविधता में एकता हमारी सां