दैनिक लिखता हुं चंद लाइनें शौक से।मन का भाव जाहिर करता हूं शौक से।।चंद जज्बात छोड़ देता हूं रोज शौक से।देश की माटी पास बुलाती हैं शौक से।।दैनिक लिखता हुं चंद लाइनें शौक से।मन का भाव जाहिर करता हूं शौक
मै तन्हा चलता रहा उसकी तलाश मेंहै वक्त गुजर रहा , उसके इंतजार मेंये तस्वीर भेजी है, उसने लिफाफे मेमै तन्हा चलता रहा उसकी तलाश में
शौक इतना है बस, मेरे कान्हा।हार भी हो तो भी तुझे साथ पाऊंजीत भी हो तो भी तुझे साथ पाऊंशौक इतना है बस, मेरे कान्हा।
बहुत कुछ है तेरी इन छोटी-छोटी कत्थई सी आंखों में बहुत कुछ जो तुम मुझसे कहना चाहते हो बहुत कुछ जो मैं तुमसे सुनना चाहती हूँ बहुत कुछ जो तुम कहने से डरते हो बहुत कुछ जिसे जताने के लिए तुम तरसते
गुजरते वक़्त के साथ अक्सर, यह एहसास होता है । वो वक़्त जल्दी गुजर जाता है, जो खास होता है । वो लम्हें जिनमें, सिर्फ खुशी ही खुशी होती है । वो लम्हें जिनमें, न कोई बेरुखी होती है । वो लम्हें जिनमें सबके
7 फरवरी 2022 सोमवारमेरी प्रिय सखी,चलो एक बार फिर से बच्चा बन जाते हैं।स्लेट पेंसिल लेकर पढ़ने बैठ जाते हैं।। दुनिया की दुकानदारी अब नहीं आती समझ।इससे तो अच्छा था बने रहते बच्चे
हैलो सखी। कैसी हो।कल तो मुझे लगा मैंने तुम्हें अपने साथ ही उदास कर लिया पर क्या करती अगर मैं अपना दर्द तुम्हें ना बताती तो किसे बताती। तुम्हें सखी
भेलवांपदर जो कोंडागांव नगर का महत्वपूर्ण हिस्सा है , अद्भुत और अद्वितीय है ।ऐसा इसलिए किअनेकानेक स्मृतियां हैंयहां मेरी जोजीवन संवारती हैं ।भेलवां वनीय उपजकाजू का प्रतिरूपका बहुतायत होन
प्लेटफार्म सबके लिए एक हो सकते हैं मगर सफर सबके अलग -अलग होते हैं।। किसी को कहीं तक जाना है तो किसी को कहीं से जाना है।।
ओह !सखी, आज जरा विलम्ब से आयी अपनी बात रखने के लिए। मैंने शायद बताया नही कि मै एक बिजनेस वुमन हूं।सो नवीन धारण करने के लिए पुरातन छोड़ना पड़ता है
लो सखी !हाजिर हूं अपने वादे मुताबिक ।कल कहा था ना कि घर मे शादी मे जाने की तैयारियां हो रही है अब बता ही देती हूं किस की शादी है?मेरे भांजे की शादी है ।कल ही शादी का कार्ड आया है आजकल तो नया जमाना है
ऐ सखी ।ये मेरा पहला प्रयास है तुमसे यूं खुलकर बात करने का।मै बहुत अंतर्मुखी हूं ।मेरे साथ बहुत कुछ घटित हुआ है पर सब बाते बताई नही जाती हर किसी को।सो तुम से कह रही हूं।आज मन बैचेन है मायके से पता चला
भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम
हमारा देश भारत एक धर्म निरपेक्ष देश हैं..। यहाँ सभी धर्म के लोग रहते हैं..। हर शहर में.. हर गली में आपको हर तरह के लोग मिल जाएंगे..। हर धर्म के लोग अपने अपने धर्म और मजहब का पालन करते हुए बड़े ही प्या
रातभर रोने के बादअहसास हुआ सबकुछ रीत गयाकुछ ही रह गया है बाकि कुछ कब का बीत गया।28th Jan , 2022© Copyright
वो मेरा रूठ जाना, तेरा वो मनाना। टीचर से डांट लगवा कर, तेरा पागलों की तरह खिल-खिलाना। बात-बात पर मेरा मजाक बनाना। अलग -अलग नामों से चिढाना। मुझे दुखी देखकर, तेरा वो उदास हो जाना। किसी से झगड़ा होने पर,
मैंने जिंदगी से सीखा है कि सही समय पर सही फैसला ले लेना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति को जिंदगी भर पछताना पड़ता है। फिर वह जीन्दगी भर यही सोचता रहता है कि काश मैने ये पहले क्यों नहीं किया। लेकिन ये
वो पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का शौकीन थी और लिखने की भी। उसके घर मे नवभारत नाम का एक दैनिक समाचार पर आता था। वह न्यूज़ पेज के अलावा भी बाकी खंड भी बड़े शौक से पढ़ा करती थी। उस पेपर में प्रति बुधवार एक सा
# वो मेरी माँ है #मैं लाख मुस्कुराऊँ,फिर भी मेरी उदासी पहचान लेती है।वो मेरी माँ है जनाब!मेरी आवाज से मेरा हाल जान लेती है ।मेरी खामोशी उसे बहुत खलती हैएक वो ही है,जो मेरी बकबक से कभी नहीं पकती ह