बात आज से लगभग २५ वर्ष पहले की है। हमारे गाँव के एक परिचित व्यक्ति अपनी भांजी सपना को १२वीँ पास होने के बाद उनके घर की तंग आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपने साथ दिल्ली ले आये। उन्होंने पहले उसे दिल्ली म
बात 1964 से 72 की है जब हम स्कूल में पढ़ते थे। तब हम सभी बच्चे बहुत सारे खेल खेलते थे जैसे कि 6 या 8 खाने खीचकर घर बनाने का खेल। जो की हम मिट्टी या गिट्टी से जमीन पर खीचकर खेलते थे। गिट्टी को पैर से खि
आज सुबह-सुबह नहा धोकर जब मैं पूजा करने अपने घर के पास के मंदिर गई तो वहाँ मुझे एक बुजुर्ग बाबा जी बैठे मिले। वे मंदिर के बाहर अकेले बैठे थे। मैं जैसे ही पूजा कर मंदिर से जल्दी घर की ओर निकली तो उन्हों
प्रेम.... प्रेम प्रसाद...........प्रेम प्रसाद शुक्ला. जी हाँ ......मेरा नाम प्रेम प्रसाद शुक्ला है . मै एक साधारण कृषक पृष्ठभूमि ताल्लुकात रखता हूँ . ये बात उन दिनों की है जब सन 1999 में मै पांचवीं क
19 फरवरी 2022 शनिवारसमय- 10:50मेरी प्यारी सखी, हर असफलता के साथ सफलता जुड़ी रहती है। असफल होने पर ही सफलता का स्वाद मीठा लगता है। लेक
आइए जाने सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज के बारे में----तेजाजी महाराज का जन्म खरनाल नागौर के नागवंशीय धोल्या जाट परिवार में 29 जनवरी 1074 को हुआ था। इनके माता पिता का नाम राजकुंवरी व तहाड जी धोलिया थे। इनक
दुनिया माने बुरा तो गोली मारो,डर के जीना है कोई जीना यारों!❤️ #RIP 🙏💕 #Arey_Pyar_Kar_Le 🎸❤️
आती है नींद तो थकान मिटती है।दिन की घटना सपना मे होती है।।देख सपना मन भयभीत होता हैं।कभी योजना बनाते रात कटती है।।आती है नींद तो थकान मिटती है।दिन की घटना सपना मे होती है।।हर्ष श्रीव
बचपन में (1964-70) जब हम छोटे छोटे थे। उस समय हम गुड्डे गुड़िया खेलते थे। जो कि हमको बहुत अच्छा लगता। स्कूल से आकर और छुट्टी के दिन तो सारे दिन गुड्डे गुड़िया खेलते। उस समय हम पुराने कपड़ों से गुड़िया
वो जिन्दगी क्या जिसमें देशभक्ति ना हो.. और वो मौत क्या जो तिरंगे में लिपटी ना हो।पुलवामा आतंकी हमला जिसे तीन साल हो चुके हैं। लेकिन फिर भी इसके जख्म और दर्द आज हरे हैं। यह वो दिन है जिसे ह
वो पूछते हैं इतना मुस्कुराते क्यों हो? काश! समझ पाते, दर्द छिपाने की कोशिश किया करते हैं । -संध्या यादव "साही"
किसी को अपना बनाने को जी चाहता है । किसी को दिल में बसाने को जी चाहता है । हाँ! गलत है मोहब्बत मेरी नजर में, मगर ना जाने क्यों? गलती करने को जी चाहता है । बहुत ठोकरें खाई हैं, बहुत दर्द झेले हैं । बहु
वो हमारी मजबूरी का, फायदा उठाते रहे। हम बेवश थे, मुस्कुराते रहे। उन्हें लगता था कि अंजान हैं हम, उनकी चालबाजियों से। हम मुस्कान की आड़ में, सब छुपाते रहे। दिया तो उन्होने, दर्द के सिवाय कुछ नहीं था। मग
क्यों तेरा नाम किसी के नाम से जुड़ने पर , बुरा लगता है? क्यों तेरे किसी की तरफ मुड़ने पर, बुरा लगता है ? रिश्ता कुछ भी तो नहीं, तेरे-मेरे दरमियां। फिर क्यों तेरी किसी पर नजर पडने पर, बुरा लगता है? क्यों
तुम्हारे पास में न सही, तुम्हारे साथ में हूँ । हकिकत में सामने न सही, मगर ख्वाब में हूँ । तुम्हारी हँसी,तुम्हारी खुशी, तुम्हारी मुस्कान में हूँ । गम के हों या खुशियों के, मैं तुम्हारे हर एक जज्बात में
गुरु जब से बुध के पीछे पड़ा हैअब मंगल भरमाना छोड़ गया हैसनी कहे है समझाना बेकार हैशुक्र कहे मन मुताबिक करते हैसोम बैठ मुस्कुरा देखते रहते हैंरवि साथ बैठ समझाते रहते हैंगुरु जब से बुध के पी
12 फरवरी 2022 शनिवार समय-10:35 मेरी प्रिय सखी,आजकल बच्चे रात के समय ही ऑनलाइन कामों में व्यस्त रहते हैं। जिसका नतीजा सुबह देरी से जगना। &
फिर लौट के आजा मेरी माँ, अब दिल ना कभी दुखाऊंगा। सच्ची चाहत दिल में भर कर के, तुम पर चाहत बरसाऊंगा। जो कर्ज मिला इन साँसों का, तेरा नाम कभी ना बिसराऊंगा अपनी रचना में लिख करके, तेरा नाम अमर कर जा