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संस्मरण

hindi articles, stories and books related to Sansmaran


वह साल सन चौहत्तर था। दिसंबर महीने की सुनहरी धूप पीली चिड़िया की जैसी फुर्र से देखते ही देखते आसमान के उस पार निकल जाती।  दिन बड़े लुभावने लगते। तब की बात है मैं पटना में रहकर पढ़ाई करने लगा

                      विधा– संस्मरण                      शीर्षक– मां की मारदस–बारह बरस की

बात 1964 की है जब हम स्कूल में पढ़ा करते थे। स्कूल में सारे राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते थे जैसे 15 अगस्त 5 सितंबर 2 अक्टूबर 26 जनवरी 14 नवंबर आदि। जिनमें से 26 जनवरी बहुत उत्साह से मनाई जाती थी। हमारे टा

यादें.. ईश्क का मौसम युँही चला, दिल मेरा हिल ही गया, आँखों के समंदर मैं उतर ही गए,प्रित के रंग मैं रंग ही गए, क्या हया क्या शर्म सब पीछे छूट गया,आपकी चाहत में हम फना हो गए। बातें आपकी दिल मैं खंजर बन

❤❤❤❤❤❤❤❤❤ जिस दिन तेरे जाने के आसार लगे थे सच में उस दिन हम सबसे ज्यादा बेजार लगे थे किसी से तेरे बारे में कहते भी तो क्या कहते?? क्या अपनी मोहब्बत की तौहीन कर तुझे बेवफा कहते?? तेरे लिए अकेले बैठकर

मैं बेवफ़ा नहीं  बेवफ़ा सिर्फ तू। छोड़ा नहीं था मैंने, छोड़ने वाली तू। मैं बेवफ़ा नहीं  बेवफ़ा सिर्फ तू। कितनी ख़ुशी दी तुझे, चैन ख़ुद का खो करके। तूने ख़ुद ना समझा मुझे, चली गयी छोड़ करके। मैं

क्या बीत रही है इस दिल पे, तुम जान के क्या कर पाओगी। हर शाम है आती तेरी यादें, पर तुम तो ना आ पाओगी। यूँ जान तुम्हारी मजबूरी  तुमको भी चुभती रहती है। बिन बादल बरसात तुम्हारी  आँखों से होती

एकतरफ़ा प्यार करने की सजा पा रहें हैं। हम घुट घुट कर जिये जा रहें हैं। किया जिसकी ख़ातिर मोहब्बत जहाँ में। मग़र अब नहीं है वो मेरी ज़िंदगी में। हम जी करके भी मरने की सज़ा पा रहे हैं। हम घुट घुट कर

कैसे भूले ये दिल तेरी हर बात को, प्यार को वो तेरे प्यारे जज़्बात को। तुम ये जानोंगे भी कैसे मेरी बात को, कितना तरसता है दिल तेरे प्यार को। मेरी चाहत थे तुम, दिल की राहत थे तुम, मेरी दुनियां थी त

बहुत कुछ है, तेरे-मेरे दरमियां। बहुत कुछ जो मेरे लिए, तेरी आँखों में झलकता है । बहुत कुछ जो मेरे लिए, तेरी बातों में छलकता है । बहुत कुछ जिससे, तू नकारता है । बहुत कुछ जिससे, तू दूर भागता है । बहुत कु

जितना मुझसे दूर है, उतना मेरे पास है । मेरे इस वीरान दिल में, तू एक अजनबी एहसास है । तेरी ही आहट ने मुझे, अंजानी राहों में रोका है । मेरी शांत जिंदगी में, तू तूफानी हवा का झोंका है । ना तुझसे मिलने की

था कोई जिससे हम नजरें, मिला नहीं पाए थे । हाल- ऐ- दिल उसको, बता नहीं पाए थे । था कोई जो अक्सर, मेरे ख्वाबों में आता था । था कोई जो इस दिल को, हद से ज्यादा भाता था । था कोई जो अजनबी होकर भी, अपना सा लग

रेडियो सिर्फ एक मशीन ही  नहीं लोगों की भावना हुआ करती थी। दूरदर्शन के आने से पहले रेडियो पर ही हर घटना आ जाया करती  थी।। बिना देखे ही सिर्फ सुनकर दूर घटित घटना भी आंखों देखी लगती थी। बोलने

   शीर्षक– एक महान व्यक्तित्व (रेव. किशोर मैथ्यूज) जीवन में किसी व्यक्ति या व्यक्तित्व का विशेष स्थान होता है। क्योंकि वो व्यक्तित्व हमारे जीवन में हमारा मार्गदर्शक होता है।।   &nb

🌷🌹"लोहड़ी पर्व"🌹🌷 लोहड़ी पौष(पूस) माह की अंतिम रात को एवम मकर संक्राति की सुबह तक मनाया जानेवाला यह पर्व प्रतिवर्ष ही मनाया जाता है। लोहड़ी वाली रात वर्ष की सबसे बड़ी एवं ठण्डी रात मानी जाती है, इस रा

भाग 3  जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्

🌷🌹"तुम... ज़िस्म हो या ज़िस्म में हो..."🌹🌷 तुम क्या महज़ ज़िस्म हो??? यदि ज़िस्म हो तो नामकरण के पहले एवं मरण के उपरांत... क्या अपनी पहचान बता सकोगे!! और यदि ज़िस्म नहीं हो तो फिर क्या हो और कौन हो!!! न

     उस दिन उसका जन्मदिन था, दोस्तों ने बोला था कि हम आएंगे, कहीं बाहर चलेंगे  और तुम्हारा जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाएंगे। अगले दिन वह तैयार हुई और एक सहेली के साथ घर से डेढ़ किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर आ

मेरे दोस्त मेरे रुख़शत पे मेरी कहानी लिखना। कैसे बर्बाद हुआ आशिक़ बस अपनी जुबानी लिखना। लिखना की, कैसे सीने पे दरिया लिए फिरता था। कैसे सूख गया ऑंख से पानी लिखना।।  लिखना की ,उमर भर सिर्फ उसके लिए दुआ

बहकता हूँ मैं जब-तब अब, सँभलना सीख लेता  हूँ,मैं ज़रा मुस्कुराकर बस ,दिलो❤️ को जीत लेता हूँ।हिन्दी लेखन...🙏

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