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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik_pratiyogita


एक नारी है तू


बेटी मां बहन बहु पत्नी सखी 
कितने रूप में आई तू

जिंदगी को अपने ढंग से जीने को है बंधन

खुलकर जीने घूमने को आजाद नही 
बंदिशों में झ

खुद को तुम कम ना समझो

बेतुकी बातों में ना उलझो
खुद पर कर लो तुम अभिमान
नारी

हल्की बारिश हो रही थी और रात के करीब आठ बज रहे थे ,भार्गव अपनी मोटरसा

मेरे इश्क का कमाल है रूप,

बड़ा बेमिसाल इश्क है अनूप|

आंखो से बरसे कभी,<

सुंदरता नहीं दिखावा 

सादगी मे भी खूबसूरती 
कमाल है
आधुनिक परिधान स

लघुकथा -यमराज है हम

सिद्धार्थ गौरी के घर से अपना सामान लेकर हॉटेल चला गया था| वो अपनी गाडी शुरू करने ही वाला था की



पापा की राजकुमारी

"कोई अपने पति की रानी बन पाये या न बन पाये पर हर लड़की अपन

" अरे यहां शहर से दूर किसको सूझा ये कैफ़े खोलने का ?" मैंने हाईवे से

स्याहि  तो  मैं  खुद  थीं,
    जो    कभी 

🌹दिलों जान से फिदा थे।             &

🌷वो आज हमसे इस तरहाँ
        इज़हारे मौहब्बत कर गए,

 आज का विषय बड़ा प्यारा है -:" मन का मीत।"

तेरी मोहब्बत में पूरी किताब लिख दूँ,

चाहत तेरी बेहिसाब लिख दूँ|
मोहब्बत में तेरे दीवान

तुम मेरे मन के मीत हो

तुम ही मेरी प्रीत हो
दिल बनके धड़कते हो
तुम धड़कन के म

सुबह सुबह मुंबई के मालाड के  मढ में एक तरफ सूर्य देव ऊपर उग रहे

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मन स्वभाव से चंचल होता है,आज यहाँ ,तो कल कहीं और होता है. बचपन में मां ,फिर घर वाले और फिर खिलौने

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