सिद्धार्थ गौरी के घर से अपना सामान लेकर हॉटेल चला गया था| वो अपनी गाडी शुरू करने ही वाला था की उसको किसी का फोन आया|
"तुमसे मैने कितनी बार कहा है कि जब तक मै फोन ना करू तुम फोन मत किया करो और कितनी बार समझाऊ तुम्हें? तुम्हे एक बार मे बात समझ नहीं आती क्या?" सिद्धार्थ किसी से बहुत गुस्सेमें फोन पर बात कर रहा था|
फोन की दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा|
"हाँ! मै जरूरी मिटींग मे हू! जब वक्त मिलेगा तब फोन कर लूंगा| अब फोन मत करना|" इतना कहकर सिद्धार्थ ने फोन कट कर दिया|
उसने फोन जैसे ही नीचे रखा उसका फोन फिर से रिंग हुआ|
" हाँ! बोलो!
मै कर रहा हूँ तुम्हारा काम! इसी लिए तो मै पुणे गया था!"
वो किसी से बात करने लगा|
"खबरदार अगर उसका नाम अपनी गंदी जुबान पर भी लाया तो!
उसका हमारी डील से कोई लेना देना नही है समझे! तुम्हारा सामान तुम तक पहुंच जायेगा| पर आइंदा अगर उसका नाम अपनी जुबान पर भी लाया ना त मुझसे बुरा कोई नहीं होगा| मै शादी करने वाला हू उससे समझे! अब फोन रखो! तुम्हारा सामान कल शाम तक तुम्हारे पास पहुंच जायेगा!" उसने फिर से गुस्से मे फोन पटक दिया और गुस्से मे ही चला गया|
ये सब कुछ रुद्र ने सुन लिया था|
सिद्धार्थ की ये अजीब सी बाते सुनकर उसके मन में अजीब सा शक पैदा हो गया|
पहले फोन पे उसने किसी से कहा कि वो मिटींग मे है|
फिर उसने किसी से कहा कि वो उसका काम करने के लिए पुणे गया था| पर यहा पर उसने सबको बताया था कि उसका वहा पर खुदका घर और बिजनेस है और समय निकालकर वो गौरी से मिलने आता है| फिर वो किसी डील की बात कर रहा था और फिर शादी की भी| रुद्र को ना चाहते हुए भी सिद्धार्थ पर बहुत शक हो रहा था| इसी वजह से उसने सिद्धार्थ के बारे मे पता करने की ठान ली|
उसने किसी को फोन लगाया और अगली सुबह किसी कैफे मे मिलने बुलाया|
अगले 2-3 दिन तक सिद्धार्थ ने किसी से भी कोई भी कॉन्टैक्ट नही किया| उसने अपना फोन स्विच ऑफ कर रखा था और ना ही गौरी ने उसे फोन करने की कोशिश की| उसकी इस हरकत से गौरी अंदर ही अंदर टूट चुकी थी|वो गुमसुम रह रही थी| बस अपने कमरे मे खुदको बंद करके रख रही थी|
रुद्र का भी कुछ ऐसा ही हाल था| वो उदास था कि अब वो शायद गौरी को एक दोस्त के रुप में भी खो दे| पर दूसरी ओर उसके दिमाग मे सिद्धार्थ से लेकर जुडे कुछ सवाल भी थे|
गौरी को उदास देखकर सीमा जी भी परेशान थी| आखिरकार उन्होने इसका एक हल निकाला|
अगले महीने गौरी का जन्मदिन आने वाला था| उन्होने सोचा कि वो गौरी को एक बढिया गिफ्ट और शानदार सरप्राइज दे|
पर वो सिद्धार्थ को इस सब से दूर रखना चाहती थी|
उन्होने उसी रात ये फैसला कर लिया था की वो सिद्धार्थ से गौरी का रिश्ता तोड देंगी जिस रात सिद्धार्थ ने उसपर हाथ उठाया था|
उन्हें समझ आ गया की वो गौरी को खुश नही रख पायेगा|
इसलिए उन्होने रुद्र को इस प्लैन मे शामिल किया| उन्होने रुद्र को भी बता दिया की वो अब गौरी की शादी सिद्धार्थ से नही करवाना चाहती| पर रुद्र मन ही मन इस बात से नाराज था|
उसने ये सारा घटनाक्रम शालिनी जी और विवेक जी को भी बताया| वो लोग तो इस बात से खुश थे! पर रुद्र नही! रुद्र गौरी के लिए चिंता कर रहा था|
दूसरी ओर उसे किसी से मिलकर सिद्धार्थ से जुडी कुछ अजीब बाते पता चली थी| जिनकी पुश्ती वो करना चाहता था| उसे एक बात पता चली थी जिसको चेक करने वो खुद अगले दिन शाम को सिद्धार्थ के होटल जाने वाला था|
इस बारे मे उसने सबसे पहले अपने माता पिता से बात करना सही समझा|
वो रात को खाना खाने के बाद उनके कमरे मे गया|
उसने उन्हें बताया की वो उनसे सिद्धार्थ और गौरी के बारे मे कुछ बात करना चाहता है|
"माँ! पापा! आप लोग तो जानते ही है कि उस रात सिद्धार्थ ने गौरी के साथ जो किया वो कितना गलत था पर मैने आप लोगों को पूरी बात नही बतायी|" रुद्र गंभीर स्वर मे बोला|
"पूरी बात?" शालिनी जी के चेहरे पर प्रश्नचिन्ह था|
"हा! उस रात वहा से निकलने के बाद मैने सिद्धार्थ को किसी से फोन पर बात करते हुए सुना|" उसने उन दोनों को वो सब बता दिया जो उसने सुना था|
"उसकी बाते बडी अजीब सी थी और यही वजह थी कि मुझे उसपर शक हुआ और मैने सोचा की इस बात का पता लगाया जाये|
इसलिए मैने उसी वक्त श्रेया को फोन लगाया| मुझे लगा की उस वक्त वही थी जो मेरी मदद कर सकती थी|
मैने उसे फोन लगाया और अगले ही दिन मिलने बुलाया| मैने उसे जो हुआ वो सब बताया और उन्होने मेरी मदद करने का वादा किया|
वो एक क्लब मे काम करती हैं इस वजह से उसकी कई लोगों से पहचान है|
लेकिन फिर भी दो तीन दिन तक अपने दोस्त और सबकी मदद से वो इतना ही पता कर पायी कि सिद्धार्थ किसी आदमी से मिलता है उसके होटल में!" रुद्र बता रहा था|
"पर ये भी तो हो सकता है ना रुद्र की आपको सिद्धार्थ के बारे मे गलतफहमी हुई हो|
ऐसा भी तो हो सकता है कि वो उसका कोई दोस्त हो| या फिर कोई बिजनेस से जुडा आदमी हो|" विवेक जी रुद्र को समझाने लगे|
"पापा मुझे श्रेया पर पूरा भरोसा हैं और उसने कहा है कि वो आदमी कुछ ठीक नही है| अगर कोई भी उसे देखे तो पहचान ले कि उसके साथ कोई ना कोई गडबड जरूर है|" रुद्र की आँखों मे अजीब सी सच्चाई थी|
"इसी लिए कल मै खुद जाकर पता करने वाला हू कि वो आखिर कर क्या रहा है और इस सबके बारे मे मैने सीमा आंटी से भी बात कर ली है| वो खुद भी मेरे साथ आने वाली है| प्लीज पापा! ट्रस्ट मी! मुझे पूरा यकीन है कि सिद्धार्थ के साथ जरूर कोई ना कोई प्रॉब्लम तो है|" रुद्र शालिनी जी और विवेक जी का हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला|
"बेटा! हमे आप पर पूरा भरोसा हैं| आपको जो सही लगे आप वो करो| पर एक बात हमेशा याद रखना| ऐसा कोई भी काम मत करना जिससे गौरी को जरा भी तकलीफ हो|" शालिनी जी ने रुद्र के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा|
विवेक जी भी शालिनी जी की बात से सहमत थे|
अपने माता पिता का साथ मिलने पर रुद्र मे एक अलग ही एनर्जी आ गई|
2-3 दिन और गौरी से दूर रहने के बाद सिद्धार्थ को अपनी गलती का पछतावा हुआ| उसे जैसे ही सीमा जी की बात याद आयी| उसके मन मे गौरी को खोने का डर जाग गया|
उसे लगने लगा कि कही सीमा जी उनका रिश्ता तोड ना दे| इसलिए उसने उसी वक्त गौरी को फोन लगाया| पर गौरी ने रिसिव्ह नही किया| उसने गौरी को कई फोन किये पर गौरी ने एक भी फोन रिसिव्ह नही किया| वो अब सिद्धार्थ से बात नहीं करना चाहती थी| सिद्धार्थ को इस बात का बहुत बुरा लगा| इसीलिए उसने उसी वक्त गौरी से मिलने जाने की ठानी और वो होटल से बाहर निकला|
वो जैसे ही पार्किंग लॉट मे अपनी गाडी के पास पहुंचा| किसी ने उसे गाडी का दरवाजा खोलने से रोक लिया|
वो सिद्धार्थ का बहुत करीबी दोस्त रहीम था|
वो उसे देखते ही गुस्से मे आ गया|
सिद्धार्थ : रहीम! तुम? कितनी बार कहा है मैने तुमसे कि बार बार मुझसे मिलने मत आया करो|
बार बार क्यो चले आते हो? तुम्हे समझ नहीं आता क्या? अगर किसी ने हमे साथ देख लिया तो कितनी बडी प्रॉब्लम हो सकती है जानते भी हो?
रहीम : देख पहली बात तो आज मै बेवजह नही आया हू|काम था इसलिए आया और दूसरी बात तू मुझे ऐसे खुदसे मिलने से नहीं रोक सकता| सबसे करीबी दोस्त हू तेरा! तेरी चिंता है मुझे! इसलिए तुझे देखने के लिए बार बार चला आता हूँ| सोचा कि इतने दिन से तेरा मूड कुछ ठीक नही है| अगर मुझसे मिलेगा तो शायद तुझे अच्छा लगे|
रहीम एकदम शांत होकर बोल रहा था|
उसकी बातो से सिद्धार्थ का भी मन पिघलने लगा|
सिद्धार्थ : देखो रहीम! मै जानता हूँ कि तुम्हें मेरी बहुत चिंता है| पर दोस्त! तुम मेरी भी बात समझो!
अगर हमे किसी ने साथ देख लिया तो बहुत बडी मुश्किल हो सकती है| आय होप की तुम समझ सकते हो और गुस्सा करने के लिए मुझे माफ कर दो|
रहीम : कोई बात नहीं! छोडो! ये लो! ये रहा तुम्हारा हिस्सा| पूरे पचास लाख है| पार्टी बहुत ज़्यादा खुश थी हमारे माल से! ठीक से गिन लेना|
रहीम ने एक सूटकेस सिद्धार्थ को दिया|
वो देखते ही सिद्धार्थ खुश हो गयाट
रहीम : वैसे तुने भाभी और घर वालो से बात की?
सिद्धार्थ : हाँ! जान्हवी का फोन आया था पर मै उस वक्त बहुत ज्यादा गुस्सेमें था तो मैने ठीक से बात नहीं कि उससे!
रहीम : तुम्हे क्या लगता है? तुम ये सब जो कर रहे हो ये सब ठीक है? तुम भाभी और अपने माता-पिता के साथ बहुत गलत कर रहे हो सिद्धार्थ!
सिद्धार्थ : तुम कहना क्या चाहते हो रहीम? हर महीने पैसे भेज देता हूँ| वक्त मिलने पर बात कर लेता हू और क्या चाहिए उन्हे?
रहीम : तुम कब समझोगे सिद्धार्थ? पैसा ही सब कुछ नही होता! तुम्हारे माता पिता चाहते होंगे की कभी तो उनका बेटा उनके साथ थोडा सा वक्त बिताये|
जान्हवी भाभी चाहती होंगी कि तुम उनके साथ रहो|
बाकि सब का तो ठीक है पर तुम अब जो करने जा रहे हो वो जान्हवी के साथ बहुत बडी नाइंसाफी होगी|
सिद्धार्थ : प्लीज यार रहीम! बस करो! मै कुछ गलत नहीं कर रहा हूँ| मै गौरी से प्यार करता हू| अगर वो मुझे जान्हवी से पहले मिली होती तो शायद जान्हवी की जिंदगी बर्बाद ना होती पर गौरी से शादी करने के बाद भी मै जान्हवी को किसी चीज कि कोई कमी नही होने दुंगा|
तुम नही जानते रहीम, ये लगभग 6 महीने पहले की बात है| जिस दिन मैने गौरी को पहली बार देखा था ना उसी दिन मै उसके प्यार मे पड गया| बहुत सुंदर लग रही थी वो! उसकी आँखों में ना एक अजीब सी कशिश है| दिल करता है कि बस हमेशा उसका ही बनकर रहू| सबसे अलग है वो!
रहीम : अच्छा? तो एक फोटो तो दिखा उसकी! मै भी तो देखू की कितनी खुबसुरत है| ताकि मुझे भी पता चल सके कि तेरा कितने दिनो मे उससे मन भर जायेगा| ताकि वो बाद मे उससे भी थोडे पैसे कमाये जा सके|
रहीम कि ये बात सुनते ही सिद्धार्थ को बहुत ज्यादा गुस्सा आया| उसने सीधे रहीम की कॉलर पकड ली|
सिद्धार्थ : तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी गौरी के बारे मे ऐसा बोलने की? तुझसे मैने कितनी बार कहा है कि उसका नाम भी अपनी जुबान पर मत लेना| मै उससे शादी करने वाला हू समझा! चल निकल अब! इससे पहले की मेरा दिमाग और खराब हो जाये और मै कुछ गलत कर बैठू, निकल जा यहा से!
सिद्धार्थ का गुस्सा देखकर रहीम वहा से चला गया|
पर सिद्धार्थ अब भी अपना गुस्सा कंट्रोल कर रहा था|
अचानक जब वो पीछे मुडा| उसे सीमा जी और रुद्र एक गाडी मे बैठे दिखाई पडे| उन्होने उनकी सारी बाते सुन ली थी|
उन दोनों को देखकर सिद्धार्थ बहुत डर गया|
रुद्र और सीमा जी सिद्धार्थ के पास आये| सिद्धार्थ के चेहरे की तो हवाइया उडी हुई थी| उसे डर था कि कही उन लोगो ने सब सुन तो नही लिया|
रुद्र ने जाकर सीधे सिद्धार्थ को एक जोरदार तमाचा जड दिया| जिससे सिद्धार्थ बहुत गुस्सेमें आ गया और रुद्र पर हाथ उठाने वाला था कि सीमा जी बीच मे आ गई और उन्होने उसे रुद्र से दूर कर दिया|
सीमा जी : खबरदार सिद्धार्थ! खबरदार अगर तुमने रुद्र की तरफ आँख उठाकर देखा भी तो!
हम सब जान चुके हैं तुम्हारे बारे में! हमने सब सुन लिया है सिद्धार्थ!
इतना बडा धोखा!
मै तो कभी सोच भी नही सकती थी तुम्हारे बारे मे ऐसा!
तुम पहले से शादीशुदा हो! तुम्हारे माता पिता है!
तुमने बहुत बडा धोखा दिया है हमे.....
सिद्धार्थ : नही आंटी! आपको कोई गलतफहमी हो गई है| ये सच नही है|
सीमा जी : बस्स सिद्धार्थ! बस्स! बहुत हुआ तुम्हारा नाटक! अब तुम्हारा ये नाटक मेरे सामने नही चलेगाट
आज के बाद तुम गौरी से दूर ही रहना समझे! उससे अब तुम्हारा कोई रिश्ता नही है|
मुझे तो समझ मे नही आ रहा कि मै इतनी बडी गलती कैसे कर सकती हू!
अपनी फूल जैसी बच्ची का हाथ तुम्हारे हाथ में देने चली थी मै! पर अब नही| अब तुम हमे और धोखा नही दे पाओगे|
गौरी के ऑफिस से आते ही मै उसे तुम्हारा सारा सच बता दूंगी| उसे थोडी तकलीफ होगी पर मै अपनी बेटी को संभाल लूंगी| मेरी बेटी मेरी जान है| उससे दूर ही रहना तुम! समझे!
चलो रुद्र!
सीमा जी रुद्र को लेकर वहा से चली गई| पर रुद्र जाते जाते भी सिद्धार्थ को गुस्से से देख रहा था|
अब सिद्धार्थ को बहुत डर लगने लगा| उसे लगने लगा कि अब सीमा जी गौरी को सब बता देंगी और गौरी उससे नफरत करेगी| जो वो हरगीज सह नही पाता| उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे!वो बहुत ही ज्यादा बौखलाया हुआ था|
रुद्र सीमा जी को घर छोडने जा रहा था| दोनो गाडी मे तो बैठे थे पर दोनो ही चूप थे|
आखिर सीमा जी ने चुप्पी तोडते हुए कहा, "तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया बेटा! वरना शायद पता नही मेरी गौरी के साथ क्या हो जाता!"
"ये आप क्या कह रही है आंटी? एक ओर बेटा भी कहती है और दूसरी ओर शुक्रिया भी? ये तो मेरा फर्ज था!" रुद्र कहने लगाट
" बस्स अब मै गौरी के घर आते ही उसे सब सच्चाई बता दूंगी| उसे थोडी तकलीफ तो होगी पर मै संभाल लूंगी उसे! मेरी बेटी कमजोर नही है|"
"सच कहा आपने! गौरी कमजोर नही है!" रुद्र ने हसते हुए कहा|
उन्होने अपने बैग मे से कुछ निकाला और रुद्र को दिखाया|
वो एक कैमरा था|
"ये देखो रुद्र! ये गौरी के लिए लिया है मैने! अच्छा है? उसकी बचपन से ये विश थी की उसके पास एक कैमरा होट
उसे ना बचपन से आदत है अगर कोई अच्छी चीज देख ली तो वो तुरंत उसकी फोटो खींच लेती है| जैसे कोई फूल, कोई पंछी या फिर छोटे बच्चे! कुछ भी!" सीमा जी हसते हुए रुद्र को बता रही थी|
"और जब उसके पास फोन नही था तब क्या करती थी वो?" रुद्र ने भी हसते हुए पूछा|
"पेंटिंग बनाती थी! अगर उसने कुछ देख लिया तो उसे याद रखती और घर आकर उसकी पेंटिंग बनाती| बहुत प्यारी थी मेरी गौरी|
अगले महीने उसका जन्मदिन है| उसके लिए लिया है मैने|" सीमा जी बता रही थी|
"बहुत ही अच्छा है आंटी! आप जरा भी चिंता मत किजीए| हम सब मिलकर गौरी का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनायेंगे|" रुद्र ने कहा|
ढेर सारी बाते करते करते रुद्र ने सीमा जी को घर छोड दिया|
इधर गौरी आज रुद्र के ऑफिस ना आने से बेचैन थी| उसे समझ नही आ रहा था कि रुद्र बिना बताये ऑफिस क्यो नही आया|
इसी बेचैनी बेचैनी मे उसने सारा काम खत्म किया और घर के लिए निकल गई|
"हैलो माय बेबी! सी! फाइनली तुम्हे जो चाहिये था वो मैने ले लिया है| धिस ब्रँड न्यू कैमरा!
आय नो कि आपका बर्थ डे आने मे अभी एक महीना है| तो मैने सोचा हैं कि क्यो ना एक महीने तक हर रोज मै आपके लिए एक मैसेज रेकॉर्ड करू| ताकि कभी मै रहू ना रहू तो आपको मेरी कमी महसूस ना हो|
यू नो व्हॉट! मै आपके बर्थडे के लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड हू| इस बार मैने सोचा हैं कि आपका बर्थ डे हम बहुत धूमधाम से मनायेंगे| क्योंकि क्या पता शायद ये आपका मेरे साथ आखरी बर्थडे हो| " सीमा जी कैमरे मे रेकॉर्ड कर रही थी|
वो रेकॉर्डिंग करते करते अपने कमरे से बाहर हॉल की गैलरी मे आयी| तभी नीचे से किसी ने आवाज़ दी|
"सीमा आंटी!"
वो सिद्धार्थ था|
उसे देखते ही सीमा जी ने कैमरा सामने पडे टेबल पर रख दिया|
"तुम? तुम यहा क्या कर रहे हो? निकलो मेरे घर से!" सीमा जी ने गुस्सेमें कहा|
"आँटी प्लीज मेरी बात तो सुनिये! मुझे एक मौका तो दिजीये अपनी बात रखने का! आपको कोई गलतफहमी हो गई है| आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ भी नही है|"
सिद्धार्थ हाथ जोड़कर कहते हुए सीमा जी के पास गैलरी मे आकर खडा हो गया|
"मुझे कोई गलतफहमी नही हुई है| मैने सब अपने कानो से सुना है| मैने तो कभी सपने मे भी नहीं सोचा था की तुम ऐसा कर सकते हो| हम लोगों को तुम्हारे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना| चले जाओ यहा से!" सीमा जी गुस्से में बोल रही थी|
"नही आँटी! प्लीज ऐसा मत कहिये| मै आपके आगे हाथ जोडता हू| आपके पैर पडता हू|
मै..... मै गौरी के बिना नही रह सकता|
मै बहुत प्यार करता हूँ उससे!" सिद्धार्थ की ये बात सुनते ही सीमा जी ने उसे एक जोरदार तमाचा जड दिया| वो बहुत गुस्सेमें आ गई|
"खबरदार अगर तुमने मेरी बेटी का नाम अपनी जुबान पर भी लाया तो! चले जाओ यहा से! निकल जाओ! गेट आउट!" सीमा जी ने उसे दूर धकेल दिया|
इससे सिद्धार्थ को बहुत गुस्सा आ गया|
वो गुस्से मे सीमा जी के पास गया और उनका गला दबाते हुए कहने लगा, "क्या कहा तुमने? गौरी को भूल जाउ? ऐसा कभी नहीं हो सकता! कभी भी नही! मै उससे बहुत प्यार करता हूँ और वो सिर्फ मेरी है!"
"सिद्धार्थ! छोडो मुझे! तुम पागल हो गए हो! छोडो मुझे!" सीमा जी को दर्द हो रहा था|
"मेरे और गौरी के बीच मै कभी किसी को नही आने दूंगा| हमेशा याद रखना|" सिद्धार्थ ने सीमा जी का गला पकड रखा था| सिद्धार्थ का ये रूप देखकर सीमा जी भी डर गई थी| आज उसकी आँखों मे अजीब सा जुनून था|
सीमा जी उससे खुदको छुडाने की कोशिश कर रही थी और इसी खींचातानी मे उनका पैर फिसला और वो सीधा गैलरी से नीचे हॉल मे रखे काँच के टेबल पर गिर पडी|
उनके नीचे गिरते ही सिद्धार्थ भी होश मे आया| वो पसीना पसीना हो गया|
सीमा जी नीचे खून मे लथपथ पडी हुई थी| उनका सिर उस काँच के टेबल से बूरी तरह टकराया था|
सिद्धार्थ ने नीचे झाँक कर देखा तो वो नजारा देखकर उसकी रुह काँप गई|
उसे समझ नही आ रहा था कि वो करे तो क्या करे!
वो भागकर नीचे आया|
उसने सीमा जी को दूर से ही देखा तो अब भी उनकी साँसे चल रही थी और वो थोडा बहुत हिल रही थी|
"ओह गॉड! ये क्या हो गया? अब मै क्या करु? इनको हॉस्पीटल लेके चलता हू! एक काम करता हूँ अँब्युलन्स को कॉल करता हूँ!" सिद्धार्थ अपना पसीना पोछते हुए बोला|
उसने फोन निकाला और कॉल करने लगा| इससे पहले की कॉल कनेक्ट होता उसने कुछ सोचकर फोन कट कर दिया|
"नही! ये मै क्या करने जा रहा था? ये मुझे मेरी गौरी से दूर करना चाहती है और मै इनकी जान बचाने जा रहा था? नही! नही! अगर ये बच गई तो ये मुझे और गौरी को कभी एक नही होने देंगी!
माफ कर दो आंटी! मै आपको बचाने का रिस्क नही ले सकता|" सिद्धार्थ अपने आप से बात कर रहा था|
"एक काम करता हूँ| इनकी कुरबानी का कोई फायदा तो होना चाहिए ना मुझे!" उसने अपने आप से कहा और भागकर उनके कमरे मे गया|
वहा उसने सीमा जी की डायरी ढुंढकर कुछ लिख दिया और वो डायरी अपनी जगह पर रख दी|
वो नीचे वापिस आया| उसने सीमा जी को देखा तो वो बडी मुश्किल से साँस ले रही थी|
"मैने कहा था ना! मै किसी को गौरी और मेरे बीच नही आने दूंगा!" सिद्धार्थ ने हसते हुए सीमा जी की ओर देखकर कहा और वो जल्दी से वहा से निकल गया|
अब सीमा जी की आँखे भी बंद होने लगी थी| पर उस वक्त मे भी बस उन्हे गौरी के साथ बिताया हर लम्हा याद आ रहा था| उन्होने बहुत ही धीमी आवाज मे गौरी का नाम लिया और अपनी आँखे बंद कर ली|
उसी वक्त गौरी ने अपनी गाडी के अचानक ब्रेक लगाया| वो रास्ते मे थी| घर जा रही थी|
उसने गाडी रोक कर आस पास देखा|
"ममा? मुझे ऐसा क्यों लगा कि जैसे ममा ने मुझे आवाज दी हो?" गौरी अपने आप से कहने लगी| तभी अचानक उसका ध्यान नीचे गया| अचानक ब्रेक लगाने की वजह से उसका लॉकेट नीचे गिर गया था|
वो देखते ही गौरी डर गई और व माला उठाने ही जा रही थी की किसी ने उसका हाथ पकड कर उसे रोक लिया|
गौरी ने देखा तो वो सीमा जी थी|
"ममा! आप.. आप यहा? इसका मतलब वो मेरा वहम नही था| आपने सच मे मुझे आवाज दी थी| पर ममा आप ऐसे अचानक यहा क्या कर रही है और आपकी गाडी? आपकी गाडी कहा है?" गौरी ने एक ही बार मे कई सवाल पूछ लिये|
"बेटा मै कही जा रही थी| आप दिखी तो आवाज दे दी| वैसे भी आपसे मिले बिना कैसे जा सकती थी| मेरी गाडी आगे ही खडी है| आप जल्दी घर जाइये| घर पर मिलते हैं|" सीमा जी ने एकदम शांत होकर कहा|
"ओके ममा! पर आप जल्दी आइयेगा हा! मेरा आपके बिना घर मे जरा भी दिल नही लगता|" गौरी ने सीमा जी को कहा|
इस बात पर सीमा जी कि आँखे भर आयी| उन्होने हल्की सी स्माइल दी और गौरी के माथे को चुमकर उसे गले से लगा लिया|
"आप जल्दी जाइये बेटा! हम घर पर मिलेंगे और जाने से पहले ये माला पहन लिजीये|" सीमा जी ने उससे कहते ही गौरी ने वो माला उठायी और पहन ली....
माला पहनकर जैसे ही उसने सीमा जी को बाय कहने के लिए पिछे देखा तो वो पीछे नही थी|
"अ्ररे! ममा चली भी गई! बाय भी बोलकर नही गई?" उसने अपने आप से ही कहा|
उसने गाडी निकाली और घर पहुंची|
दरवाजा खोलकर अंदर जाते ही जो मंजर उसने देखा वो देखकर तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई|
सीमा जी खून से लथपथ पडी हुई थी| हर जगह खून ही खून नजर आ रहा था|
"ममाssssssss!!" गौरी बहुत जोर से चिल्लायी|
उसने दरवाजे पर ही अपना बैग छोड दिया और सीमा जी के पास दौड़कर आयी|
उसने सीमा जी का सिर अपनी गोद मे लिया|
"ममा! ममा! उठो ना ममा! क्या हो गया आपको? ओम नम: शिवाय! कितना खून! ममा उठो ना! बात करो ना मुझसे! प्लीज उठो ना ममा!
ममाsssssssssss!" गौरी सीमा जी को पकड़कर बहुत रो रही थी| उसका आक्रोश हृदय चिरने वाला था|