माना कि अड़चनें ढ़ेर सारी हैं बाधाओं की फौज बड़ी भारी है
राह रोके खड़ा है दुश्मन जमाना
एक कदम चलना भी दुश्वारी है ।
चारों ओर व्याप्त घना अंधकार
हर तरफ पसरा हुआ हाहाकार
निराशा की कोटर में बैठा हुआ
साहस का ये अपना पूरा संसार
सूने मन में दीप जलाना होगा
सिर पर कफन सजाना होगा
मंजिल को जाने वाली राह में
एक एक कदम बढ़ाना होगा
ऐ दिल , हिम्मत रख , आगे बढ़
सफलता के कठिन सोपान चढ़
यही तो परीक्षा की घड़ी है तेरी
विजय के नये नये कीर्तिमान गढ़
हरिशंकर गोयल "हरि"
26.10.21