कार्डो के अधीन जिंदगी मानव जीवन जीने के लिए मेहनत करता था| अपना पेटभरने के साथ और दो चार लोगो का पेट भर लेता था| वह अपनी पहचान के लिए कभी सरकार केअधीन नही होता था| नेक ईमानदारी से जीने के लिए किसी प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं थी|जब शासन और शासक का दबदबा बना तब से मानव जीवन बदहाल होता जा रहा हैं| लोगो का
शिक्षा का अधिकार या मजाक रौनक रोज की तरह स्कूल ना जाने की जिद्द पर अड़ा था और उसकी माँ बिमला उसे पीट पीट कर स्कूल छोड़ने की जिद्द पर अड़ी थी दोनों का चीख चीहाड़ा अब पड़ोसियों के लिए भी रोज सुबह का सिरदर्द बनता जा रहा था।पड़ोसी शर्मा जी रौनक
वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यबस्था जो की ब्रिटिश हुक़ूमत के समयानुसार भारतीय मूल्यों व् सभ्यता-संस्कृति को सामान्य भारतीय जन-मानस के मन-मष्तिस्क में स्वयं का ही परिहास कराकर पच्छिमी भौतिक वैज्ञानिक शिक्षा को ही सर्वमान्य परपेछित कर आज के भारतीय युवा-वर्ग को सीमित बौद्धिक छमताओ में किसी श्रापबंध से बांध
और क्या मँगोगे ?महावत से हाथी , तालाब से कमल, किसान से हल,मजदूर से साईकिल, आदिवासियों से तीर कमान, दार्जलिंग से चाय पत्ती, मानव से हाथ, गाँव से लालटेन, आसमान से चाँद तारे रंग चुराए प्रकृति से , यह राजनेता भी कितने अजीब हैं कहते हैं करते नहीं हर चुनाव मे एक नई मुसीबत मांग लेते हैं पूरा नहीं करते।1
*इस पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद मनुष्य का परम लक्ष्य होता है भगवतप्राप्ति करना | भगवान को प्राप्त करने के लिए हमारे महापुरुषों ने अनेकानेक उपाय बताये हैं | अनेक उपाय करने के पहले आवश्यक है कि मनुष्य के हृदय में भक्ति का उदय हो क्योंकि बिना भक्ति के भगवान को प्राप्त कर पाना कठिन ही नहीं वरन् असम्भव है
साक्षरता और शिक्षा को सामान्यतः सामाजिक विकास के संकेतकों के तौर पर देखा जाता है। साक्षरता का विस्तार औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, बेहतर संचार, वाणिज्य विस्तार और आधुनिकीकरण के साथ भी सम्बद्ध किया जाता है। संशोधित साक्षरता स्तर जागरूकता और सामाजिक कौशल बढ़ाने तथा आर्थिक दशा सुधारने में सहायक होता है। साक्
एक शख्स जो खुद दो कदम नहीं चल सकता है लेकिन जिसने देश को हज़ारों कदम आगे बढ़ा दिया है। अपनी शारीरिक विकलांगता से हज़ारों लोगों की मानसिक विकलांगता को कुचलता ये शख्स आज उन लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहा है जिन्होनें ज़िंदगी के आगे घुटने टेक दिए हैं ... आइए सुनते हैं उसकी कहानी उसकी ज़ुबानी…मेरा नाम गो
Saikripa-Home for Homeless“साईंकृपा ( SaiKripa) - Saikripa-Home for Homeless दिल्ली एनसीआर में स्थित एक NGO (गैर-सरकारी संगठन ) है, जो कि वंचित बच्चों को पढ़ाने और उन्हें जीवन को नई दिशा देने का कार्य करता है।” बच्चे मानव जाति का भविष्य हैं। “Saikripa-Home for Homeles
किसी ने सच ही कहा है काबिल बनो कामयाबी तो झक मार के पीछे आएगी। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी से रूबरू करने जा रहे हैं जिसने अपनी प्रतिभा से वो मुकाम हासिल किया जिसका ख़्वाब न जाने कितनी ही आँखों ने देखा होगा और ये साबित किया कि प्रतिभा ना उम्र देखती है ना जाति और ना ही अमीरी-गरीबी का फर्क जानती है। ये
दिल्ली नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए परीक्षा हुई. इसी परीक्षा के हिंदी भाषा से जुड़े पेपर में एक जातिसूचक सवाल पूछा गया. ये परीक्षा दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विसेज़ सिलेक्शन बोर्ड (DSSSB) लेती है. इस सवाल में जो शब्द लिखा गया, उसे ब
Phd mphil के विषय में जानकारी हम से कई विद्यार्थियों का यह सपना होता है कि वह phd या mphil करें क्योंकि नाम के साथ डाक्टर शब्द का जुड़ना एक रूतबे की बात है यह हमें अंदर से जो खुशी देता है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है इससे समाज भी हमें सम्मान की दृष्टि से देखता है। पर हम से अधिकांश लोग अपन
अपने शहर में सुशासन का दावा करते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस राज्य में पहले शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है। इस बात की पुष्टि करने के लिए कुछ तस्वीरें कर वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। ये वायरल हो रही तस्वीरें वाकई हैरान कर देने वाली हैं। बता दें कि, माम
हमारे देश के प्रधानमंत्री और सबसे चर्चित राजनेताओं मे से एक नरेंद्र मोदी इस साल 68 साल के होने वाले हैं। भारत के 14वें पीएम नरेंद्र मोदी की, जो आज यानि 17 सितंबर को 68वां जन्मदिवस मनाएंगे।पीएम मोदी इस बार जन्मदिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मनाएंगे। पीएम मोदी अपने जन्
ऐसा दृश्य भारत के सरकारी स्कूलों में देखने को नहीं मिलता परंतु यह संभव हुआ है दिल्ली में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के प्रयासों से। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में पिछले तीन बर्षों में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिले हैं।वर्त्तमान दौर में केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकारें शिक्षा पर कम ही ध्यान दे
यूपी सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा है कि अब मदरसों में भी ड्रेस कोड लागू होगा. उन्होंने कहा कि अब छात्र कुर्ता पयजामा पहनकर मदरसों में नहीं जा पाएंगे. प्रदेश सरकार जल्द ही उनके लिए नया ड्रेस कोड निर्धारित करेगी. मोहसिन रजा ने कहा कि ये कदम मद
बिहार में एक कहावत है ‘बढय पुत पिता के धर्मे आ खेती उपजय अपना कर्मे’ अर्थात बेटा पिता के धर्म से आगे बढ़ता है और खेती कर्म करने पर लहलहाती है। जीं हां कुछ ऐसा ही कर दिखाया है एक गरीब पिता ने। जो पान की दुकान चलाता है। किसी तरह परिवार को पालता है। जी तोड़ मेहनत करता है। तब