बिहार में एक कहावत है ‘बढय पुत पिता के धर्मे आ खेती उपजय अपना कर्मे’ अर्थात बेटा पिता के धर्म से आगे बढ़ता है और खेती कर्म करने पर लहलहाती है। जीं हां कुछ ऐसा ही कर दिखाया है एक गरीब पिता ने। जो पान की दुकान चलाता है। किसी तरह परिवार को पालता है। जी तोड़ मेहनत करता है। तब तक हार नहीं मानता है जब तक सपना साकार ना हो जाए। आज उस पिता का सपना सकार हो गया है। उनके तीनों बेटे आज सफलता की मुकाम पर पहुंच गए है और IIT इंजीनियर पर परचम लहरा रहे हैं।
हम आपको गया में पान की दुकान चलाने वाले और किराए के मकान में रहने वाले सुनील कुमार के बारे में बता रहे हैं । सुनील के दो बेटे पहले ही आईआईटी करने के बाद अच्छी नौकरी कर रहे हैं और अब तीसरे बेटे का सेलेक्शन भी जेईई एडवांस में हो गया है। सुनील का कहना है कि वे भी बचपन में काफी मेधावी थे लेकिन अनुकूल परिस्थिति नहीं मिलने के कारण कुछ बन नहीं सके। इसकी कसक उनके मन में थी। उन्होंने यह निर्णय लिया कि जो हमारे साथ हो रहा है वह हमारे बच्चों के साथ नहीं होगा।
बच्चों को सबसे अच्छे स्कूल में कराया एडमिशन
सुनील ने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की ठानी और गया के सबसे अच्छे स्कूल में दाखिला करवाया। पहले बेटे अभिराज ने जब आईआईटी की परीक्षा पास की तो उन्हें हार्ट का ऑपरेशन करवाना पड़ा। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटे को आईआईटी में एडमिशन करवाएं। रिश्तेदार से कर्ज लेकर उन्होंने अभिराज को आईआईटी गुवाहटी भेजा।
कई बार आर्थिक स्थिति से आई मुश्किलें
सुनील बताते हैं, इस दौरान कई बार आर्थिक स्थिति से ऐसी मुश्किलें आई कि उन्हें लगा कि उनका सपना पूरा नहीं हो सकेगा। ऐसे में उनकी पत्नी ने उन्हें हौसला दिया और ईश्वर ने उनकी मदद की। पत्नी ने अपनी सारी ख्वाहिशें अपने बच्चों पर न्योछावर किया और स्कूल के दौरान उनके बच्चे हमेशा उपस्थिति और परीक्षा में अव्वल आते रहे।
दो और बच्चे बने आईआईटीयन
बाद में दूसरे बेटे अंशुमन का भी आईआईटी में सेलेक्शन हुआ और अंशुमन ने आईआईटी मुंबई से बी-टेक किया। आज दोनों बेटे गुडगांव में एक अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर नौकरी कर रहे हैं। इस साल तीसरे बेटे अनिकेत का भी जेईई एडवांस में सेलेक्शन हो गया।
Source: live bihar