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स्त्री विमर्श -

hindi articles, stories and books related to Stri vimarsh -


ये जो लोग बिना तुमसे मिले शायरी कर रहे है,

(3)
सुनैना आयने के सामने बैठी अपने रूप को निहार रही हैं।तरह-तरह की बिन्दी लगाके देख च


आप सभी ने देखा है आज के समय में सभी लोग एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में है आगे बढ़न

यूं सताओ ना मेरी ख्वाहिशें मेरे ही ख्वाबों में आकर,


यक़ीनन

अब

नमस्तें दोस्तों 🙏🙏

आज का शीर्षक मैंने  आँखे  रखी है

बच्चें अपने कमरें में बैठकर बातें कर रहे है।नज़र दरबाजे पर टिकी है।
भानवी:-दीदी दीदी !

कहानी गतांक से आगे...

मैं और मेरे मित्र दोनों अपनी-अपनी राम कहानी अक्स

सुबह से रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है और अतुल अपने कमरें की खिड़की से

"प्रकृति ने दी नारी को खुद की एक पहचान,

यारियां यारियां यारियां

दोस्ती एक ऐसा निस्वार्थ रिश्ता है। जिसमें एक दूसरे से कुछ भी लेन

मैं और हमारे 3 दोस्त रात को बाते कर रहे थे। तभी वीर ने बोला कि आज कही बाहर चलते है , हमलोगों ने हामी

पात्र
कृपा:-(1)वृंदा(2)भानवी(3)द्रुपत(4)किसना
द्रोण:-(1)निशान्त(2)प्राग्रिय

कितने दूर निकल गए हम....
 रिश्तो को निभाते - निभाते .. !

औरते पागल होती है 


फिर भी घर को घर रखती है 

पा

तेरा वो मासूम सा चेहरा नज़र आता है
तुम हर पल की याद हो
तेरे साथ का हर पल या

नमस्कार मित्रों,

आप सभी ने

कुछ दिन ऐसे ही बीते । फिर एक दिन मेड्डी का फोन आया ।

औरतें हर जगह अपना हक जताती है .......... 

कंघे में बाल भरकर खुद ही आंख दिखाती हैं.........&

आभा
आभा- नाम तो दे दिया मुझे माता पिता ने- पर यह न सोचा कि मेरे न

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