अगर दूसरी बार हो जाय..... &nbs
तो समज लेना कि तूम्हे प्रेम कभी हुआ ही नही था....
।। राम ।। श्रीमद्भागवत प्रसंग - (६४३) प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।</
अंधेरी रात और गहरी हो गई थी। ठंडी हवा गर्म सांसों को और धीमा कर
*आलेख- *थाईलैंड- कुछ रोचक जानकारी* :- *थाईलेंड* म
मै इश्क कहुँ
तुम बनारस समझना
मै दोस्ती कहुँ<
सुबह काफी सुबह- साढ़े पाँच बजे ही- मेरी आँखें खुल गयीं। 'रोजे' से सम्बन्धित निर्देश तथा गाने कुछ द
साढ़े चार बजते-बजते मैं दतिया पहुँच गया था। यूँ तो वहाँ का महल शाम पाँच बजे बन्द हो जाता है, मगर व
ओरछा के श्रीराम धर्मशला में सुबह नीन्द खुलते ही विचार आया, क्यों न नदी के किनारे जाकर सूर्योदय
कल एवरेस्ट लॉज में मुझे ऐसा अनुभव हुआ था, जैसे मैं पुराने जमाने का एक मुसाफिर हूँ और लम्बी
खजुराहो से चलते वक्त मेरा पक्का इरादा था, छतरपुर में ही रात बितानी है; चाहे शाम के चार बजे
आज सुबह दस बजकर दस मिनट पर होटल राहिल से रवाना हुआ। इसके पहले सुबह साढ़े छः बजे उठकर तैयार ह
यह समय जबकि जगमगाते बाजार में रहने का है, मैं होटल के बिस्तर पर लेटे-लेटे यह लिख रहा
इस वक्त खजुराहो में मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के होटल राहिल के डोरमिटरी के एक गद्देदार बेड प
छतरपुर शहर अभी कोई दस-बारह किलोमीटर दूर है। सड़क के किनारे एक छोटे-से जंगल में बैठकर यह लिख
इस वक्त झाँसी के एक होटल 'अशोक' में बैठकर यह लिख रहा हूँ। आज सुबह करीब सात बजे ग्वालियर (
कुछ पल ज़िन्दगी के बारे में सोच रही थी मैं सोचते सोचते ज़िन्दगी ही बीत रही है मगर समझ कुछ भी
जिंदगी का सफर न जाने कब खत्म हो जाए ।। जी लो जिंदगी की सकून से सांसे कब खत्म हो जाए ।।