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यात्रा

hindi articles, stories and books related to Yatra


"पहले हम अंग्रेजो के गुलाम थे और आज हम अंग्रेजी के गुलाम हैं"ये ऊपर लिखी लाइन मेरी नहीं है इसे कहीं सुना था मैंने ,पर ये नीचे लिखी कहानी जीवन का सत्य है जिसे मैंने लिखा है 🙏🙏🙏समय निकाल कर अवश्

कैला मैया का मंदिर राजस्थान के करौली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है । मान्यता है कि यह मंदिर मां अंबे का ही है । वैसे तो जितने भी देवी के मंदिर हैं, वे सभी मां अंबे, गौरी, शारदे को

सखि, इंटरनेट किस तरह आदमी की जिंदगी बन गया है , यह मुझे कल पता चला । हुआ यूं कि कल दुर्गाष्टमी थी । हम लोग दुर्गाष्टमी की पूजा करते हैं । तो कल भी पूजा करनी थी । सुबह जैसे है मैं जगा, श्रीमत

कुछ भूली-बिसरी यादों में,जीवन को जी रहे।कुछ कड़वे अनुभव थे, कुछ मीठे मिल रहे।अभी अधूरी जिंदगी,अधूरी पड़ी है डायरी।कुछ अभी लिख रहा, कुछ लिख रहा शायरी।कुछ अपने मिल गये, कुछ पराये पाये है।इस जिंदगी की भी

बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था । मैं उस समय दिल्ली के करोल बाग के देव नगर मोहल्ले में रहता था ।और बाली नर्सिंग होम में कंपाउंडर का काम करता था ।बड़े डॉक्टर से किसी बात पर कहासुनी हो गयी और मैंन

परीक्षा अब काबिलियत मापने का हिस्सा भर नहीं रहा ,इससे मापे जाते है अथक संघर्ष और उम्मीदों के अटूट विश्वास ।

दिनाँक : 14.03.2022समय : रात्रि 10 बजेप्रिय डायरी जी,कल अपनी मुंबई कलीग के साथ मथुरा जाना हुआ। 2 km पहले ही गाड़ी पार्क करा दी गई क्योंकि आगे नो एंट्री थी।  दर्शन के लिए श्री कृष्णा जन्मस्थान गए।

दिनाँक: 11.03.2022समय : शाम 7:30 बजेप्रिय डायरी जी,कभी कभी हम बहुत कुछ प्लान करते रहते हैं, और वह नही कर पाते। और कभी-कभी ऐसा होता है कि अचानक से कुछ सोचते हैं और वह हो जाता है। मेरी कुछ कुलीग मु

9 मार्च 2022   बुधवारसमय-06:05(शाम)मेरी प्यारी सखी,आज इतने दिनों बाद हमारी पुनः वापसी हैं। कल से हम सभी अपने कामों में व्यस्त हो जाएंगे।      बच्चे अपनी पढ़ाई में, तो हम घर गृ

6 मार्च 2022   रविवार समय- 11:30 (प्रातः)मेरी प्यारी सखी,      समय की व्यस्तता के कारण तुम से बात नहीं हो पाई, माफ करना। एक तो शादी का माहौल, दूसरा एक जगह से दूसरी जगह, द

                  प्रसिद्ध घुमक्कड़ राहुल सांकृत्यायन जी अपने 'हिमालय- परिचय (१)  गढ़वाल ' में लिखते हैं -"हिमालय किसको अपनी ओर आकृष्ट नहीं करता? मेरा

famous shivling in madhya pradesh  Hello friends,          कैसे हैं आप सब,  आशा करती हूं अच्छे ही होंगे।                     महाशिवरात्रि आ रही है तो भगवान शिव को समर्पित एक और Blog लेकर मैं आपके

Zindagi bhi kitni ajeeb he kabhi kabhi ensan sukoon ki talash me bhatakta he lekin use khi bhi sukoon nhi milta.  Life me kabhi kabhi ensan khud ko etna akela mahsus krta he ki hume us waqt esa lgta h

सरक रहा सूरज पश्चिम की ओर,धरती का नाप कर लम्बा सा छोरबदल रहा नभ का है रंग,छूट रहा धूप का भी संगपंछी भी लौट रहे नीड़,ऊब रहे खड़े दिन भर के चीड़खोई है अपने में अलसाई झील,बढ़ा अंधेरा पर्वत को लीलशाम ढली

हमारे साथ चल के देखो...जिन्दगी इतनी आसान नही !कभी इसे जान के तो देखो।एक हंसते हुए चेहरे के पीछे,का दर्द कभी पहचान के तो देखो।यूं ही नही हम डूब जाते है खामोशियो मे,कभी इन खामोशियो का दर्द जानकर तो देखो

विदाई समारोह में औपचारिकता ही सही सुलक्षणा को भी कुछ ना कुछ तो कहना ही था। उसने माइक संभाला। मुझे भी अनुष्का मैम की विदाई पर दुख हो रहा है। लेकिन मैं आप सभी को बता देना चाहती हूं कि जिस विश्वास क

अपनी ही गाड़ी से लम्बी दूरी तय करने के पश्चात उन्हें चाय की तलब लगने लगी। उन्होंने बीच में रुक कर एक रेस्टोरेंट में चाय पीने का निश्चय किया। हाई-वे होने की वजह से उन्हें दुकानों की कमी खल रही थी। अचान

ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी)  आँख  से  अब  नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ  माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे ये दोनों क्यों बहरें हुए. उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा

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प्लेटफार्म  सबके लिए एक हो सकते हैं  मगर सफर सबके अलग -अलग होते हैं।। किसी को कहीं तक जाना है  तो किसी को कहीं  से जाना है।।

                          ●◆【श्रेय पृष्ठ】◆●'इश्क़ और इत्तफ़ाक' कोई उपन्यास नहीं। हालांकि एक विधा की श्रेणी का ख़्याल करते हुए, इसे लघु उपन

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