चम्पावत के देवीधूरा नामक जगह पर मां वाराही का प्रसिद्ध मन्दिर है. हर साल रक्षाबन्धन के दिन यहां विशाल मेला लगता है. इस मेले का मुख्य आकर्षण दो गुटों के बीच होने वाला पाषाण युद्ध है. कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां मानव बलि का प्रचलन था. एक बार किसी वृद्ध महिला के
मेरठ में विगत पांच दशक से रह रहा हूं पर सरधना का विश्व प्रसिद्ध चर्च देखने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। सन् 2016 के अन्तिम दिन 31 दिसम्बर को पत्नी सहित इसे देखने का कार्यक्रम बना तो इसे देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ... अधिक जानकारी व ज्ञानवर्धन के लिए अधोलिखित लिंक पर
दुनियाभर में कई ऐसी जगहों के बारे में तो आपने सुना ही होगा कि जहां जाने से मनचाहा प्यार मिल जाता है। लेकिन प्रेमियों को कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारे देश में भी ऐसी ही एक जगह है, जो प्यार करने वालों को मिलाती है। अगर आपका परि
वैसे तो यह मंदिर सदैव ही आस्था का केंद्र रहा है पर 1965 कि भारत – पाकिस्तान लड़ाई के बाद यह मंदिर देश – विदेश में अपने चमत्कारों के लिए प्रशिद्ध हो गया। तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से करीब 130 किलो मीटर दूर भारत – पाकिस्तान बॉर्डर के निकट स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है। 1965 कि लड़ाई में
मैसूर शहर बंगलौर से लगभग 150 किमी की दूरी पर है और समुद्र तल से इसकी उंचाई 770 मीटर है. शहर की आबादी दस लाख से कम है और मौसम गर्म और उमस भरा है. परन्तु अक्टूबर से मार्च तक सु
गांव चमारी में घर की ढलान से उतरते ही महादेव कक्का का घर था. उनके घर में खूब सारी छिरिया (बकरी) थीं. कक्का की एक बेटी थीं. लक्ष्मी दीदी. उनकी शादी हो चुकी थी. पर वह कक्का की अकेली औलाद थीं. तो यहीं रहती थीं. मैं मम्मी से छुटपन में कह देते. कक्का की तो छिरिया भी रोज घूमने जाती हैं लैन (रेलवे लाइन) तक
अकसर अकेली सफ़र करतीलड़कियों की माँ को चिंताएं सताया करती हैं और खासकर ट्रेनों में . मेरी माँ केहिदयातानुसार दिल्ली से इटारसी की पूरे दिन की यात्रा वाली ट्रेन की टिकट कटवाईमैंने स्लीपर क्लास में . पर साथ में एक परिवार हैबताने पर निश्चिन्त सी हो गयीं थोड़ी .फिर भी इंस्ट्रक्शन मैन्युअल थमा ही दीउन्होंने
खादी के एक झोले में टूथब्रश डाला, कुछ कपड़े डाले आैर बस गाँव जाने की तैयारी हो गई......Sketches from Life: गाँव की ओर स्कूल की शिक्षा पूरी हो चुकी थी और कॉलेज जाने के बीच कुछ अन्तराल था. सो कुछ समय गाँव मे रहने का मन बना लिया. खादी के एक झोले में टूथब्रश डाला, कुछ कपड़े डाले आैर बस गाँव जाने की तैया
इससे पहले का हिस्सा यहाँ पढ़ें:आज दार्जीलिंग में हमारा तीसरा दिन है. हमारे यात्रा-कार्यक्रम में अब तीन चीज़ें शेष हैं – थ्री पॉइंट टूर, रॉक गार्डन और गंगा-माया पार्क तथा दार्जीलिंग का गौरव – हिमालयन रेल की सवारी! टाइगर-हिल जाने वाले पर्यटक परंपरागत तौर पर अल-सुबह पहुँच, वहाँ से कंचनजंगा की चोटियों
पहला हिस्सा पढ़ने के लिए क्लिक करें: सुबह के सात बजे हैं और ये दार्जीलिंग में हमारे दूसरे दिन की शुरुआत है. यूँ तो हमें आठ बजे तैयार रहने को कहा गया था किन्तु मैंने ड्राईवर को नौ बजे आने को कहा था. मुझे लगा था कि लंबी यात्रा की थकान से उबरने में थोड़ा समय तो लगेगा ही. आठ बजते-बजते नाश्ता भी तैयार हो ग
स्वर दो होते हैं-सूर्य स्वर(दायां) और चन्द्र स्वर(बायां)। सूर्य स्वर दाएं नथुने से और चन्द्र स्वर बाएं नथुने से आता-जाता रहता है। दोनों स्वर ढाई-ढाई घड़ी में बदलते रहते हैं। जिस नथुने से श्वास अधिक तेजी से अन्दर जाए या निकले वह स्वर चल रहा होता है। आप यात्रा करने जा र
जय जगन्नाथ... बोलो जय जगन्नाथ...रथ महोत्सव पर निकली यात्रा में उत्साहित बच्चों के मुंह से निकलने वालेइस जयकारे ने नुक्कड़ से मोहल्ले की ओर जाने वाली पगडंडी पर चल रही उदासमाला की तंद्रा मानो भंग कर दी।जीवन के गुजरे पल खास कर उसका अतीत किसी फिल्म के फ्लैश बैक की तरह उसकीआंखों के सामने नाचने लगा।क्योंक
धर्मेण सह यात्रां करोत्यात्मा, न बान्धवैः |आत्मा धर्माधर्मरूप कर्मों के साथ यात्रा करता है, न कि बन्धु-बान्धवों के साथ ।
करोड़ों रुपये के घाटे से जूझ रहे रेल मंत्रालय की आमदनी बढ़ाने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफर करने वाले यात्रियों का ट्रेन में सफर करना मुश्किल कर दिया है. आलम यह है कि अगर ट्रेन के प्लेटफार्म से छूटने के चार घंटे पहले आप अपना आरक्षण टिकट निरस्त करने नहीं पहुंचे तो आपको एक फूटी कौड़ी भी रेल विभाग
आज सवेरे ही से गाँव में हलचल मची हुई थी। कच्ची झोंपड़ियाँ हँसती हुई जान पड़ती थीं। आज सत्याग्रहियों का जत्था गाँव में आयेगा। कोदई चौधरी के द्वार पर चँदोवा तना हुआ है। आटा, घी, तरकारी, दूध और दही जमा किया जा रहा है। सबके चेहरों पर उमंग है, हौसला है, आनन्द है। वही बिंदा अहीर, जो दौरे के हाकिमों के पड़ाव
मेंरे भाइयों और दोस्तों सपा की साईकिल यात्रा कहाँ तक चलेगी क्या यहीं पर समाप्त हो जाएगी या और आगे जाएगी |लेपटाप वितरण क्या साईकिल को और आगे ले जाएगी या नहीं अभी तक तो साईकिल गांव-गांव तक चली अब और कहाँ तक चलने की बारी है क्या साईकिल की गुण्डागर्दी और चलेगी इस समय साईकिल काफी तेज चल रही है सड़क बनवान
भारत में हर माैसम अपनी रवानी में उतरता है अाैर कुछ उलाहने, कुछ प्रेम, कुछ पहेलियां बुझाते हुए निकल जाता है। इसीलिए हम भारतीय हर माैसम का बेइंतहा इंतजार करते हैं। गर्मियां भले ही ऊब-डूब करती सांसें अाैर पहलु बदलने का माैसम है, लेकिन अपनी रवायत अाैर रसीले अामाें की अामद की वजह से सभी काे इसका इंतजार र
यात्रा वृतांत: एक बारात की मजेदार यात्रा - Ignored Post | Top Interesting Post---जब लगन चरम पर हो और ठाला भी चरम पर हो तो पुरे सीजन में एक बारात भी करने को मिल जाए तो नरक कट जाता है और ये मलाल भी नहीं रहता की, इस सीजन में एक बारात तक नहीं मिली | कल बिल्कुल यही परिस्थिति थी | कल इस जानलेवा ठाले के दौ
वसंत आ रही है, नए साल में आप सोचते हैं कि खेलने के लिए कहाँजाएंगे? प्रेमपूर्ण और गुलाबी के जयपुर, जोधपुर या सुनहरा रेगिस्तान के राजस्थान, गार्डन शहर के रूप में बैंगलोर। ज़ाहिर है, सुंदर भारतीय के अलावा, बाहर की दुनिया फिर मजेदार और रंगीन है। जैसे: चार महान प्राचीन सभ्यताओंके चीन, मिस्र, बाबुल।वे भार