कौन कमबख्त कहता है कि वो अपने रंज-ओ-ग़म से परेशां है,
सादा "रंजन", वो तो तेरे खुशहाली देख चैन से सोता भी नहीं !
13 अगस्त 2016
कौन कमबख्त कहता है कि वो अपने रंज-ओ-ग़म से परेशां है,
सादा "रंजन", वो तो तेरे खुशहाली देख चैन से सोता भी नहीं !
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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,Dआभार मणीष . नमस्कार.
12 नवम्बर 2018