( अगर मानवी बड़े घर की बेटी होती और शहर से होती , तो पता है उसके फ्रेंड्स क्या कहते आज उसे ऐसे लुक में देखकर - किलर लुक )😀😀
वैस यहाँ और भी बहुत सी ऐसी लड़की थी जो दिखने में बहुत सुंदर लग रही थी , लेकिन उन सब के चेहरे पर वो मासूमियत नही दिख रही थी ,जो मानवी के चेहरे पर थी इस वक्त - - - आज सच में मानवी एक आदर्श बेटी की तरह लग रही थी ; लोग तो उसे हमेशा उछल -कुद करते ही देखे थे उस हिसाब से मानवी आज आदर्श बेटी लग रही थी सबको😜😄😅 शायद आज सुबह मे आपनी माँ से डाट पड़ने का असर है ये ;😜
पूजा सफलतापूर्वक समाप्त हो जाती हैं ।
पूजा समाप्त होते हैं सब लोग प्रसाद ग्रहण किये और धीरे - धीरे सब लोग अपने अपने घर जाने लगे ।
इधर मिस्टर सिकरवार भी प्रसाद लेने के बाद . . जाने से पहले पाठक जी के पास आए उनसे मिलने के लिए ' बातों ही बात में मिस्टर सिकरवार ने पाठक जी से मानवी को अपने साथ दिल्ली ले जाने के लिए कहते हैं , पहले तो पाठक जी ने बहुत मना किया .. कि नहीं रहने दिजिए । मानवी वहाँ जाकर आप लोगों को बहुत तंग करेंगी , और हमारा भी मन नहीं लगेगा उसके बिना । आप तो अब जान ही चुके होंगे कि मानवी कितनी चंचल है , वो एक जगह कभी चैन से नहीं रह सकती है , और तो और उसका पैर घर ज्यादा देर तक नहीं टिकते है , कही वो बाहर चली गई आप के गैर मौजूदगी में तो बहुत बडी गड़बड़ हो जाएगी । मुझे हमेशा उसको लेकर एक डर बना रहता है , कहीं किसी दिन उसकी यह उछल - कूद उसके लिए महंगा ना पड़ जाए ।
तो मिस्टर सिकरवार पाठक जी की बातों को बीच में काटते हुए बोले ।
मिस्टर सिकरवार - हमारी मानवी में चंचलता के साथ - साथ भोलापन भी हैं , आप इसी से डरते हैं ना की मानवी की भोलापन का कोई फायदा ना उठा ले ।
देखिए पाठक जी आप उसकी चिंता मत करें , वह छोटी जरूर है लेकिन उसे दुनिया कि समझ हैं । वह काफी समझदार है । रही बात मानवी को दिल्ली ले जाने की तो मैं उसको तो लेकर जाऊंगा । अब आप रोक नहीं सकते हैं . . . उसको मेरे साथ दिल्ली आने से क्योंकि , अब आपके पास कोई बहाना नहीं है उसको यहां रोक कर रखने का 😊। यह कहकर मिस्टर सिकरवार मुस्कुरा दिए । फिर मिस्टर सिकरवार पाठक जी से बोले की अब आप जल्दी से जाकर मानवी को बोल दीजिए दिल्ली जाने के लिए पैकिंग कर लें । मैं कल शाम को आऊंगा उसको लेने । तो पाठक जी मुस्कुरा कर बोले ... ठीक है भाई अब - जब आपने फैसला कर ही लिया है , उसको अपने साथ ले जाने के लिए ... तो मैं अब आपको रोक नहीं सकता .... क्योंकि आप मेरे भाई जैसे ही हैं । आप उसका ख्याल अच्छा से रखेंगे , ये मुझे पूरा विश्वास है । पाठक जी फिर मुस्कुरा कर बोले अरे मानवी जब यह बात सुनेगी तो बहुत खुश होगी । वह तो शायद वहां जाकर हमें भूल ही जाएगी ,क्योंकि उसका बचपन से ही शौक था कि वह कभी शहर जाए ,लेकिन हम कभी उसे लेकर गए ही नहीं । तो मिस्टर सिकरवार बोले कोई नहीं आप नहीं ले गए तो मै ही सही ...
कुछ देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे दोनों लोग आपस में और फिर कल शाम को आने का कह कर मिस्टर सिकरवार अपने घर चले गए उनको भी पैकिंग करनी थी दिल्ली जाने के लिए ।
इधर जब मानवी को यह पता चलता है कि वह कल शाम को मिस्टर सिकरवार के साथ दिल्ली आने वाली है , तो वह बहुत खुश हुई । क्योंकि कल उसका शहर देखने का सपना सच होने वाला था । उसकी हमेशा से यही इच्छा थी कि वह शहर जाए । शहर को करिब से देखें । आज मानवी का पैर जमीन पर नहीं था वह मानो आसमान में उड़ रही हों ।वह उछलती हुई अपनी मां श्वेता जी के पास गई और उनको गले लगाते हुए कही - माँ बताओं मैं तुम्हारे लिए वहां से क्या ले कर आऊंगी । तो उसकी बात सुनकर श्वेता जी मुस्करा कर बोली - तू खुद को ही लाना बस वहां से बस और कुछ नहीं चाहिए मुझे और हाँ वहां जाकर उनलोगों को तंग मत करना ,ना ही अकेले घर से बाहर जाना समझी ।
आज मै मानवी और मिस्टर सिकरवार के परिवार से परिचय करवाने वाली हूँ , कि किसका क्या नाम है और वो क्या करतें है या करतीं है ?
तो चलिए मानवी के परिवार से शुरू करते है ।
(पाठक परिवार )
कैलास पाठक - मानवी के बाबूजी । ये अपने यहाँ के सरपंच हैं और पूजा - पाठ भी कराते है ।
श्वेता पाठक - मानवी की माँ । ये एक बहुत ही सुलझी हुई ग्रहणी है ।
कार्तिक पाठक - मानवी का छोटा भाई । यह अभी अठवी में पढ़ता हैं । है तो ये मानवी से छोटा ... पर बड़ो के जैसे रहता हैं । कार्त्तिक आज तक कभी भी मानवी के जैसे हरकत नहीं करता हैं । उसे एक बार किसी बात के लिए कुछ भी बोला जाता है , वह वैसा ही करता है । लेकिन मानवी बिल्कुल उसके विपरित है ।😀😀
और रही बात मानवी के बारे में .... वो तो आप सब जानते ही है , क्योंकि मैंने कहानी के शुरुआत मे ही उसके बारे में बता दिया है ।😀
एक हंसता खेलता परिवार है मानवी का ...
चलिए अब ले चलते है हम सिकरवार परिवार से मिलाने ....
( सिकरवार परिवार )
मिस्टर राघवेंद्र सिंह सिकरवार - यानि कि मिस्टर सिकरवार मानवी के शहरी ( दिल्ली वाले ) अंकल ।😀 ये एक म्यूज़िक कंपनी के मालिक है ।
माधुरी सिंह सिकरवार - मिस्टर सिकरवार की वाइफ ।
अनुभव सिंह सिकरवार - मिस्टर सिकरवार का बेटा । यह अपने डैड के बिजनेस में हाथ बटाता है । यह स्वभाव से बहुत सख्त हैं । बस अपने काम से मतलब रहता है ।
अर्पिता सिंह सिकरवार - मिस्टर सिकरवार की प्यारी बेटी है और ये शिवकाशी में बैंक मैनेजर है । जो कि अनुभव से छोटी है उम्र में ।
क्रमश : -