श्वेता जी (मानवी से कहती हैं ) - यह तेरे घर की पूजा है , ना कि किसी और के घर की , जो तुम इतनी मटर गश्तीयाँ करते फिर रही हो ।😡 वह फिर मानवी से कहती हैं ,अब खड़े-खड़े मुंह क्यों बना रही हो जानवरों की तरह ; जाओ जा कर पूजा की तैयारियों में मदद करो अपने बाबू जी की और पंडित जी की भी , जल्दी जाओ। मानवी को यह सब करके फिर अपने मन में कहने लगती है । ना जाने किस के मत्थे पड़ेगी ये लड़की ? कौन इससे शादी करेगा ,इसकी ऐसी हरकतें देखकर ?
मानवी तो पूजा की तैयारियों में जाकर लग गई थी , श्वेता जी के कहने पर ; लेकिन इधर श्वेता जी उसी के विषय में सोच - सोच कर परेशान हो रही थी ,कि इतनी बड़ी हो गई है और अभी तक इसकी हरकतें बच्चों वाली ही है ! ना जाने कब समझदार बनेगी ।फिर भगवान शिव को मन में ध्यान करते हुए श्वेता जी उनसे बोली ; हे भोले नाथ ! आप मेरी बिटिया को सद्बुद्धि दे दो , थोड़ी सी अकल भी, कि किससे कैसी बातें करनी चाहिए और इसकी शादी जिस लड़के से हो , इसे वो हमेशा खुश रखे और बहुत प्यार करें इसका ख्याल रखे ; वो ( श्वेता जी ) भोलेनाथ से प्रार्थना कर रही थी , कि उसी समय एक छोटा सा लड़का वहाँ दौड़ते हुए बाहर जा रहा था , और वो लड़का दौड़ते हुए ही देखा , जिधर श्वेता जी बैठी हुई थी अभी , तो वो श्वेता जी को रोते हुए देख कर उनके पास चला गया और उसने उनसे ( श्वेता जी ) से पूछा ।
छोटा लड़का - ओए बड़ी मां क्या हो गया है आपको ?लड़का उनके पास आ कर , उन्हें हिलाते हुए पूछा ।तो उन्होंने जल्दी से अपनी आंसू को पोछते हुए कहा ।
श्वेता जी बच्चे से - अरे नहीं बेटा कुछ नहीं ... हम रो नहीं रहे हैं , बस आंख में कुछ चला गया था और वह यह कह कर मुस्कुरा दी .. तब बच्चा यह देखकर वहां से चला गया ।
(दरअसल वह भगवान जी से प्रार्थना करते समय मानवी को लेकर काफी भावुक हो गई थी और उनको भी यह पता नहीं चला कि उनके आंख से आंसू कब गिरने लगे , और इधर मानवी जब से डांट सुनी थी , तब से एक बार भी घर की चौखट के बाहर पैर नहीं रखी थी वह , बस पूजा की तैयारियों में व्यस्त थी । उसके हाथ इस समय जल्दी -जल्दी चल रहे थे । एक उसी के ही नहीं .. सबका हाथ पैर जल्दी - जल्दी चल रहा था इस समय । ज्यो - ज्यो पूजा शुरू करने की बेला नजदीक आ रही थी । घर में पहले से अधिक भागम दौड़ लगी हुई थी । सब के सब एकदम व्यस्त थे , क्योंकि पूजा शुरू करने की मुहूर्त 11:30 am से थी ।
11:30 am होते - होते पूजा शुरू कर दिया गया और इस समय सब लोग आँगन में बैठे हुए थे , आँगन काफी बड़ा था , तो उसीमें सब लोग बैठे हुए थे ।
पंडित जन पूजा करा रहे थे और इस समय बैकग्राउंड में ये श्लोक चल रहा था ।
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ
त्योर्मुक्षीय मामृतात्
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(आप सबको हम बता दे कि गाँव में आँगन इनहीं सब चीजों के लिए आँगन को बड़ा बनाया जाता हैं । जैसे -शादी के लिए मंडण्ड बनाना हो,घर मे कोई पूजा रखा गया हो या कोई भी ऐसी पार्टी के लिए , जिसमें औरते बेझिझक होकर भाग ले सके । आप सबको पता ही होगा कि गाँव में पर्दा प्रथा अभी भी है थोड़ा बहुत और हाँ एक और बात ये है कि हम भी गाँव से ही है , तो हमें पता हैं । )
सब लोग बैठ कर हो रही पूजा को देख रहे थे और बेचारी मानवी अभी भी व्यस्थ थी पूजा के अन्य कामों में । आप को तो पता ही होगा की ऐसी पूजाएं होती है तो , कितना भाग - दौड़ करना पड़ता है ।
आज मानवी पीले रंग की सूट पहनी हुई थी , ये रंग उसपे काफी जच रही थी , वो इस समय अपने सर पे दुप्पटा रखे हुई थी । वैसे तो यहां इस समय सब औरते और लड़कियां सर पे आँचल और दुप्पटा रखी हुई थी , पर मानवी बड़ी प्यारी लग रही थी , क्योंकि इस समय उसने अपने माथे पर छोटी - सी एक रेड़ कलर की बिंदी लगाई हुई थी और इस समय वो बहुत समझदार बच्ची के जैसे दिख रही थी । ( अगर मानवी बड़े घर की बेटी होती और शहर से होती , तो पता है उसके फ्रेंड्स क्या कहते आज उसे ऐसे लुक में देखकर - किलर लुक )😀😀
क्रमश: --------------------------