अब तक आपने देखा
अनुभव अपना दांत पीसते हुए , मानवी के तरफ अपने हाथ मे लिए हुए डंडे को उसके तरफ प्वाइंट करते हुए बोला — ओए ... सड़ी हुई दिमाग की गवार लड़की , तुम्हें अभी पता नहीं है , कि तुम अभी किसके घर में और किसके सामने खड़ी हो ?
अब आगे
फिर अनुभव मानवी के थोड़ा और पास जाते हुए बोला — और यह क्या तब से मुझे चोर - चोर लगा रखा है , मैं कोई चोर - वोर नहीं हूं । यह मेरा घर है मेरा ... समझी ... अक्ल से पैदल लड़की । फिर उसने ( अनुभव ने ) मानवी को घुरते हुए बोला — जिस काम से यहां आई हो वही करो । तुम्हारी इस फिक्र की कोई जरूरत नहीं है । मेरे घर में चोर नहीं आते है ।
अनुभव मानवी को इतना कुछ बोला लेकिन मानवी की सूई तो सड़ी हुई दिमाग की गवार लड़की पर ही अटक गया था । इसके आगे अनुभव ने जो भी उसको कहा था , उसको मानवी ने नहीं सुना था । मानवी ने अब पूरा मन बना लिया था कि , वह मिस्टर सिकरवार को यहां बुलाएगी और इस बदतमीज चोर को मजा चखायेगी ।
मानवी अभी अंक ... ही बोली थी कि तभी अनुभव उसका मुंह दबा दिया और दांत पिसते हुए बोला -— इसके आगे एक वर्ड भी मत बोलना .... नहीं तो .... अनुभव अभी आगे बोलता कि तभी मिस्टर सिकरवार के चप्पल की आवाज सुनाई दी और वो तुरंत मानवी के मुंह से अपना हाथ हटा लिया और उससे कुछ दूरी बना कर खड़ा हो गया और मानवी को चुप रहने का इशारा किया , ताकि मिस्टर सिकरवार उसकी आवाज सुनकर उस कमरे में ना आ जाए । मानवी उसे घूरते हुए धीरे से बोली — मैं तो बोलूंगी , चोर ... तुम कौन होते हो मुझे चुप कराने वाले और देखना अंकल अभी इसी कमरे में आयेगें । अभी मानवी इतना बोली ही थी कि मिस्टर सिकरवार दरवाजे पर आ गए और वो मानवी के कमरे से आयी आवाज के बारे में पूछते उससे पहले ही उनकी नजर फर्श पर गिरे वॉज पर गया । वो जल्दी से मानवी के पास आकर उससे पूछने लगे — मानवी बेटा क्या हुआ ? तुम ठीक हो ?
मानवी मिस्टर सिकरवार को ऐसे परेशान देखकर अपना हाथ पीछे करते हुए कही — अरे अंकल मैं बिल्कुल ठीक हूँ । फिर उसने अपना मुंह बनात हुए कहा — वो अंकल गलती से मुझसे ये गिर गया कर टूट गया ।
अनुभव ने देखा कि मिस्टर सिकरवार उस पर ध्यान नहीं दिये है तो वो मौका का फैदा उठाया और वहां से नीकल गया ।
क्रमश: