यह कहानी एक गांव की लड़की की है ,जो बहुत ही चंचल स्वभाव की है उसके पैर घर में बिल्कुल भी नहीं टिकते हैं । शहर क्या होता है यह मानवी नहीं जाती है ।
बच्चों में बच्ची बन जाती है ,तो कभी बड़ों में दादी मां की तरह बात करने लग जाती है । वह काफी समझदार भी है ,लेकिन उस की माँ उसको बुद्धू बोलती है ।
इस कहानी का उद्देश्य किसी के मान सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं है ,यह सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखा है हमने ।
अब चलते हैं हम अपनी कहानी की ओर .....
मानवी एक 23 साल की बहुत ही सुंदर और भोली - भाली सी लड़की है । 5 फुट 2 इंच हाइट है , गोरा रंग , गोरे - गोरे गुलाबी गाल , सुनहरी बाल जो कमर से थोडा ऊपर है ,छोटी-छोटी पर बहुत ही सुंदर कत्थई आंखें , पलकें बड़ी -बड़ी और घनी , होठ मिडियम साइज हैं ( ना ही ज्यादा मोटे और ना ही ज्यादा पतले है ) बिल्कुल गुलाब की पंखुड़ी के जैसे , पतली सूतवा नाक ,सुराही दार गर्दन ,मोती जैसे दांत जिनमें आगे के दो दात बड़े है और उसके साइड के दात छोटे - छोटे है । जिससे वो जब हंसती है तो और भी प्यारी लगती है , हँसते समय उसके एक गाल पे जो डिम्पल बनती है , उसमें वो गजब का कहर ढाती है । उसका जन्म गांव में हुआ है , और वो गांव में ही पली-बढ़ी हैं। इसलिए वो शहर के तौर तरीके से बिल्कुल अंजान है , क्याकि वो कभी शहर ही नहीं गयी है । शहर का तो नाम सुना है और देखा भी है उसने , लेकिन सिर्फ टीवी पर ।
गांव में रहने के कारण मानवी पढ़ने में थोड़ी कमजोर है और उसकी इंग्लिश भी बहुत कमजोर है ।क्योंकि जब वो पढाई करती थी तब गांव में अच्छी स्कूल नहीं थी , की वो या वहाँ के बच्चे अच्छी पढ़ाई कर सकें स्कूल जा कर ,और जिधर अच्छी स्कूल है थी उधर की सड़के बहुत सुनसान थी तब एकदम सन्नाटा पसरा रहता था वहां ।लोग डरते थे कि उनके बच्चे बच्चियों के साथ कुछ बुरा ना हो जाए ।आए दिन उस रास्ते से किसी ना किसी बच्चे का किडनैप हो जा ना सुनाई देता तो कभी किसी बच्ची के साथ छेड़छाड़ की बात सुनने को मिल जाती थी ।इसलिए गांव के रहने वाले लोग कहते थे कि हमरा बिटवा बिटिया भले ही ज्यादा नहीं पढ़ सकेंगे ,लेकिन हम स्कूल नहीं भेजेंगे उस रास्ते से कब हो अपने बच्चन को । अभी भी वहां अच्छे स्कूले नहीं है , लेकिन अब वहां के लोग अपने बच्चों को शहर भेज दे रहे हैं पढ़ने के लिए ,अपने बहू या बीवी के साथ ,ताकि उनके बच्चे अच्छे से पढ़ाई कर सके और उनकी जिंदगी अच्छे से गुजर सके ।
मानवी पढ़ाई को छोड़कर बाकी सब चीज में वह ठीक है ।मानवी मेकअप भी बहुत कम करती थी यानी कि नहीं के बराबर । वह मेकअप तो करती है सिर्फ ऑकेजनली , वह भी ज्यादा नहीं । आंखों में सिर्फ लाइनर , होंठ पर लिपस्टिक और क्रीम । ड्रेस के हिसाब से बाल बना लेती है ।कभी बन ( जुड़ा ) तो कभी फ्रेंच चोटी , कभी सागर चोटी तो कभी बालों को खुला ही छोड़ देती है , बस यही है उसका मेकअप । पर इसमें भी वह बहुत सुंदर लगती है। लोग कहते हैं ना कि सादा सबका दादा होता है ।बस यही बात मानवी में है ,वह अपनी सादगी से ही पहचानी जाती है अपने गांव में ,पर है वह बहुत ही चंचल स्वभाव की और इसकी अदाएं भी कमाल की है । उसका पैर एक जगह कभी नहीं टिकता है । हमेशा घर में बच्चों की तरह उधम मचाए रहती है । लगता ही नहीं है कि ये 23 साल की लड़की हैं ।जिसकी कुछ दिनों में शादी होने वाली भी है ।उसका दिमाग हमेशा शरारत करने में लगा रहता है ।बच्चों से उसकी खूब बनती है जब कभी वह नहीं दिखती है बच्चों को तो बच्चे घर पर आ कर पूछते हैं , कि मानवी दीदी कहां है ?हमें उनके साथ खेलना है ?तो मानवी की मां श्वेता जी कहती हैं ।
श्वेता जी - अरे वह बच्ची थोड़ी ना है ,जो तुम लोगों के साथ खेलेगी । वह अब बड़ी हो गई है ,अब तो उसकी शादी भी करनी है ,तो क्या तुम लोग उसके साथ उसके ससुराल भी जाओगे खेलने के लिए ।
मानवी की मां की यह बात सुनकर के एक बच्चा बोलता है ।
बच्चा - हम शादी कर लेंगे बड़ी मां मानवी दीदी से । तो मानवी की मां उसकी यह बात सुनकर हंसते हुए कहती है ।
श्वेता जी -अरे बहन से कोई शादी भी करता है क्या भला और तू तो अभी बहुत छोटा है । यह बात सुनकर वह बच्चा बोला ।
बच्चा - हां तो क्या हो जाएगा हम दीदी से ही शादी कर लेंगे और फिर वह हमें छोड़ कर कभी भी कहीं नहीं जाएंगी और हम सब खूब खेलेंगे भी साथ में ,मुझे तो दीदी बहुत अच्छी लगती हैं और हम सब उनसे बहुत प्यार भी करते हैं ।अभी वह यह बात कह रहा था कि अंदर से मानवी आई और उसे गोद में उठा कर कहती है ।
मानवी -अरे हम भी तो तुम सब से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं मेरे प्यारे प्यारे गोलू मोलू ।और वो यह कहकर बार खेलने जाने लगती है बच्चों के साथ ,तो मानवी की मां उसे रोककर कहती है ।
श्वेता जी -रुको ...तुम अब बच्ची नहीं हो जो बच्चों के साथ खेल रही हो ?अपने छोटे भाई को ही देख लो ।वह छोटा होकर भी तुम्हारे जितना हल्ला नहीं करता है ,जितना तुम करती हो और लोग क्या कहेंगे तुम्हें बताओ तो ?
मानवी -अरे मां तूम्हे यह क्या हो जाता है कभी-कभी ?
यह कहकर वह बच्चों से पूछती है ।अच्छा तो बच्चों तुम लोग यह बताओ कि तुम्हें मैं अच्छी लगती हूं ? कि कार्तिक भैया अच्छे लगते हैं ?
तो सब बच्चे एक साथ कहते हैं आप अच्छी लगती हो दीदी बहुत ज्यादा ।
मानवी -अच्छा एक और बात भी बताओ हमें और सही -सही जवाब देना तुम लोग ,झूठ बिल्कुल भी नहीं चलेगा समझ गये ।
सब बच्चे एक साथ -जी दीदी हम जो सच है वही कहेंगे ।
मानवी -ठीक है । तो यह बताओ कि तुम्हारी मम्मीयो को हम कैसे लगते हैं ?मेरा मतलब है तुम सब की मम्मी क्या कहती है मुझे ?
बच्चे -यही कि मानवीय बहुत अच्छी लड़की है , हमारे बच्चों से कितना प्यार करती है ।
मानवी ये बात सुनकर खुश होते हुए श्वेता जी से कहती हैं -सुन लिया मां आपने , लोग क्या करते हैं मुझे । मानवी की मां उसकी ये बात सुनकर हंसते हुए कहती है ।
श्वेता जी -हां सुन लिया सुन लिया तुम्हें कोई नहीं समझा सकता है । सिर्फ बहाना चाहिए घर से बाहर जाने
का ,तुम जिसके माथे पडोगी ,उसका क्या होगा यह तो भगवान ही जानते हैं ।
यह बात सुनकर मानवी अपना मुंह टेढ़ा करके ,बाहर बच्चों के साथ चली जाती है । आज उसे झूला झूलाना था बच्चों को , तो वह द्वार पर लगे नीम के पेड़ पर झूला लगाती है और फिर बच्चों को बारी-बारी से झूला झूलती है ।
बच्चे मानवी इसलिए ज्यादा घुले - मिले रहते हैं ,क्योंकि
वह बच्चों को कभी झूला झूलाती है , कभी कबड्डी , तो कभी पकड़म - पकड़ाई और कभी छुपन -छुपाई खेलती है । मतलब सिर्फ बच्चों वाली खेल खेलती है वह , वजह सिर्फ एक है . . उसे बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं । लगे भी क्यों ना आखिर वह भी तो बच्चों जैसी हरकत करती है ।😄
क्रमशः